बाराबंकी जिले के रामनगर क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई तथा 39 अन्य बीमार हो गये। बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक अजय साहनी ने बताया कि रामनगर थाना क्षेत्र के रानीगंज गांव और उसके आसपास के मजरों के कई लोगों ने सोमवार/मंगलवार की दरमियानी रात को शराब पी थी, जिसके बाद उनकी तबीयत खराब हो गई। उनमें से अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है।
मरने वालों में चार एक ही परिवार के हैं। उन्होंने बताया कि शराब पीने से बीमार 39 अन्य लोगों को लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय अस्पताल समेत विभिन्न चिकित्सालयों में भर्ती कराया गया है। मरने वालों की संख्या और बढ़ने की आशंका है। साहनी ने बताया कि मृतकों में विनय प्रताप उर्फ राजू सिंह (30), राजेश (35),रमेश कुमार(35),सोनू (25) मुकेश (28) छोटेलाल(60), सूर्य बक्श,राजेन्द्र वर्मा, शिवकुमार (38), महेंद्र, राम सहारे (20) तथा महेश सिंह 45 शामिल हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर दुख जताते हुए मरने वाले लोगों के परिजन को दो—दो लाख रुपये की सहायता का एलान किया है। इस मामले में जिला आबकारी अधिकारी, नौ आबकारी कर्मियों और दो पुलिस अफसरों को निलम्बित कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने लखनऊ में बताया कि प्रकरण की जांच के लिये अयोध्या के मंडलायुक्त, पुलिस महानिरीक्षक और आबकारी विभाग के आयुक्त की टीम बनायी गयी है, जो विभिन्न पहलुओं की जांच करके 48 घंटे के अंदर रिपोर्ट देगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि मामले की जांच के लिये गठित उच्च स्तरीय टीम अन्य पहलुओं के अलावा इस बात की भी जांच करेगी कि कहीं इस घटना के पीछे कोई राजनीतिक साजिश तो नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले भी हापुड़ और आजमगढ़ में हुई ऐसी घटनाओं में राजनीतिक साजिश सामने आयी है, लिहाजा जांच के दायरे में इस बिंदु को भी लाया गया है। सिंह ने कहा कि इस मामले में जिला आबकारी अधिकारी शिव नारायण दुबे, हलक़ा आबकारी निरीक्षक राम तीरथ मौर्य, तीन आबकारी हेड कांस्टेबल और पांच सिपाहियों के साथ—साथ रामनगर के पुलिस क्षेत्राधिकारी पवन गौतम और थाना प्रभारी राजेश कुमार सिंह को भी निलम्बित कर दिया गया है।
इस बीच, प्रदेश के आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि यह घटना बेहद गंभीर है क्योंकि जिस शराब को पीने से लोगों की मौत हुई वह आबकारी विभाग के पंजीकृत विक्रेता के यहां से ली गई थी और उसमें संभवतः पहले से मिलावट की गई थी। आबकारी विभाग समय-समय पर पंजीकृत विक्रेताओं के यहां जांच करवाता रहता है ताकि शराब में किसी भी तरह की मिलावट ना होने पाए। ऐसे में यह मामला बेहद गंभीर है। सिंह ने कहा कि इस मामले के दोषियों को कतई बख्शा नहीं जाएगा।
बता दें कि इस साल फरवरी में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जहरीली शराब से भारी संख्या में मौत हुई थी। सहारनपुर, रुड़की और कुशीनगर में जहरीली शराब पीने से 98 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि सहारनपुर के 64, रुड़की में 26 और कुशीनगर में 8 लोगों की मौत हुई थी।
तब मामले में प्रशासन की लापरवाही के लिए सरकार ने नागल थाना प्रभारी सहित दस पुलिसकर्मा और आबकारी विभाग के तीन इंस्पेक्टर व दो कांस्टेबर को सस्पेंड कर दिया था