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क्या आप भी प्लास्टिक के बोतल में पीती है पानी तो हो जाएं सावधान, महिलाओं में हो सकती है यह परेशानी, रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

By आजाद खान | Updated: February 21, 2023 18:20 IST

इस रिसर्च को करने वाले शोधकर्ताओं की टीम का दावा है कि फटालेट्स केमिकल के संपर्क में आने के कारण रिसर्च में शामिल सभी महिलाओं में से 30 से 63 प्रतिशत महिलाएं डायबिटीज से पीड़ित पाई गई है।

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ठळक मुद्देमहिलाओं द्वारा प्लास्टिक की बोतल के इस्तेमाल से उन्हें परेशानी हो सकती है। एक रिसर्च में यह दावा किया गया है कि इन महिलाओं में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में इस खुलासे के लिए 1300 महिलाओं पर छह साल तक यह रिसर्च किया गया था।

Health Tips in Hindi: महिलाओं को लेकर एक नए रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासे हुए है। रिसर्च का दावा है कि जो महिलाएं प्लास्टिक या प्लास्टिक वाली बोतल का इस्तेमाल करती है तो उनमें टाइप 2 डायबिटीज का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। 

आपको बता दें कि फिलहाल करीब 8 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित है और आगे चल कर यह आंकड़ा और भी बढ़ने वाला, इसकी खूब संभावना जताई जा रही है। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2045 तक 13 करोड़ डायबेटिक के मरीज हो सकते है। 

रिसर्च में क्या हुआ है खुलासा

ग्लोबल डायबेटिक कम्युनिटी की वेबसाइट के मुताबिक, शोधकर्ताओं की टीम की ने रिसर्च को लेकर यह खुलासा किया है कि अगर महिलाएं प्लास्टिक की बोतल में पानी पीते है तो उन में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा और भी बढ़ जाता है। 

अध्ययन के अनुसार, प्लास्टिक में फटालेट्स (phthalates) नामक केमिकल होता है जिसके संपर्क में आने से महिलाओं में डायबिटीज का खतरा कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है। जानकारों की माने तो प्लास्टिक में पाया जाने वाला फटालेट्स केमिकल्स का एक ग्रुप है जो एक खतरनाक रसायन है। 

1300 महिलाओं पर हुआ है यह रिसर्च

आपको बता दें कि इस रिसर्च को जारी करने के लिए 1300 महिलाओं को इसमें शामिल किया था और पूरी जांच के बाद ही यह खुलासा किया गया है। ऐसे में रिसर्च को आम करने से पहले  शोधकर्ताओं की टीम ने छह साल तक महिलाओं के सेहत की पड़ताल की है। 

शोधकर्ताओं की टीम ने अपने रिसर्च में पाया कि जो जो महिलाएं  फटालेट्स केमिकल के संपर्क में आई है उन में से 30 से 63 प्रतिशत महिलाओं को डायबिटीज से पीड़ित पाया गया है। इस रिसर्च में हैरान करने वाली एक और बात सामने आई है कि इस फटालेट्स (phthalates) नामक केमिकल के संपर्क में आने से अश्वेत और एशियाई पर इसका असर नहीं पड़ा है। 

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