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शोधकर्ताओं ने किया बड़ा दावा, बताया नाक की जगह मलद्वार से भी लिया जा सकता है सांस, सांस की समस्या वालों लोगों को इस शोध से मिल सकती है राहत

By आजाद खान | Published: June 22, 2022 4:48 PM

शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि जिस तरीके से चूहे और सूअर के रक्त में ऑक्सीजन की आपूर्ति उनके मलद्वार (Rectum) के द्वारा हो रही है, उसी तरीके से अन्य स्तनधारी भी गुदा से सांस लेने में सक्षम हो पाएंगे।

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ठळक मुद्देशोधकर्ताओं ने हाल में ही एक नया खुलासा किया है। उनके अनुसार, कुछ जानवर अपने मलद्वार से भी सांस ले सकते हैं।इस खुलासे के सामने आने पर आने वाले दिनों में इन्सानों को लेकर भी कुछ नई बातें सामने आ सकती है।

Breathe From Bum: क्लीनिकल एंड ट्रांसलेशनल रिसोर्स एंड टेक्नोलॉजी इनसाइट (Clinical and Translational Resources and Technology Insight) के जर्नल में छपे एक पोस्ट में यह दावा किया गया है कुछ जानवर अपने मलद्वार से भी सांस ले सकते हैं। इस नए खोज से यह भी कहा जा रहा है कि यह भी जल्द ही साफ हो जाएगा कि सांस लेने में परेशानी से जूझ रहे इंसान भी मलद्वार (Anus) से सांस ले सकते है। ऐसा दावा किया जा रहा है। आपको बता दें कि इस खोज से आने वाले दिनों में कई समस्याओं के हल निकल सकते है। 

क्या है यह दावा 

पिछले साल टोक्यो मेडिकल एंड डेंटल यूनिवर्सिटी  (Tokyo Medical and Dental University) के शोधकर्ताओं ने यह पाया था कि कुछ जानवर जैसे चूहे और सूअर के रक्त में ऑक्सीजन की आपूर्ति उनके मलद्वार (Rectum) के द्वारा हो रही है। शोधकर्ताओं ने इस टेक्नीक को आंत्र वेंटिलेशन (Enteral Ventilation) का नाम दिया था जिससे आने वाले दिनों में सांस की परेशानी से जूझ रहे लोगों को ऑक्सीजन आपूर्ति में मदद कर सकता है। 

इस खोज में यह भी दावा किया गया है कि जिस तरीके से चूहे और सूअर के रक्त में ऑक्सीजन की आपूर्ति उनके मलद्वार (Rectum) के द्वारा हो रही है, उसी तरीके से अन्य स्तनधारी भी गुदा से सांस लेने में सक्षम हो पाएंगे।  

ऐसे किया गया यह शोध

डेली स्टार (Daily Star) की एक रिपोर्ट की अगर माने तो CTRTI जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने कछुओं के धीमे चयापचय (Metabolism) पर शोध किया है। इस शोध में उन्होंने कछुओं के धीमे चयापचय को आधार बनाकर सूअरों और चूहों पर कई प्रयोग किए जिससे कई नए खुलासे हुए है। 

इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने चूहे और सूअर जैसे जानवरों की आंतों को स्क्रब (Intestinal Scrubbing) कर उन्हें कम ऑक्सीजन वाले कमरे में रखा और पाया कि वो जानवर जिनकी आंतों को पतला ( (Intestinal Scrubbing) ) नहीं किया गया था, लेकिन उन्हें इंस्टेंटिनल वेंटिलेशन दिया गया था, वो लगभग दोगुने समय तक जिन्दा रहे थे। वहीं जिन जानवारों के आंतों के जरिए वेंटिलेशन (Intestinal Ventilation) नहीं किया गया था वे ज्यादा समय तक जिन्दा नहीं रह पाए और जल्दी मर गए। 

क्या मिला इस खोज में 

वहीं इस शोध में यह खुलासा हो गया कि 75 फीसदी ऐसे जानवर जिनके मलाशय (Rectum) को साफ किया गया था और जिन्हें दबाव में ऑक्सीजन मिली था वो करीब एक घंटे तक जीवित रहे थे। ऐसे में यह भी साफ हो गया कि चूहे और सूअर सही परिस्थितियों में अपने आंतों से सांस ले सकते है जिससे आने वाले दिनों में इन्सानों को लेकर भी नए खुलासे हो सकते है। 

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