भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी में इस बार 23 और 24 अगस्त को दो दिन मनाई जाएगी। भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्यरात्रि को ही भगवान विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण ने अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में जन्म लिया था। उनके आगमन दिवस की खुशी में ही हर साल इस तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त
निशिथ पूजा– 00:01 से 00:45पारण– 05:59, 24 अगस्त, सूर्योदय के बाद रोहिणी समाप्त- सूर्योदय से पहलेअष्टमी तिथि प्रारंभ– 08:08, 23 अगस्तअष्टमी तिथि समाप्त – 08:31, 24 अगस्त
जन्माष्टमी के प्रसाद पंचामृत और धनिया पंजीरी के फायदे
जन्माष्टमी के दिन प्रसाद के रूप में पंचामृत और धनिया पंजीरी बनाए जाते हैं। इन दोनों प्रसाद का कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव में बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। इन्हें जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्ण मंदिरों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार पंचामृत और धनिया पंजीरी प्रत्येक व्यक्ति के सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।
पंजीरी के फायदे
-पंजीरी खाने से ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रोल कंट्रोल रहते हैं और इन्फेक्शन से बचाव होता है।- जीरी दिमागी तरावट, मस्तिष्क संबंधी समस्याओं के लिए फायदेमंद है और यह दिमाग को ठंडा रख उसकी कार्यक्षमता को बढ़ाती है।- गठिया के मरीजों के लिए धनिया की पंजीरी बेहद फायदेमंद होती है। इसके रोजाना सेवन से गठिया से निजात मिल सकती है। - आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए नियमित रूप से पंजीरी का सेवन करना लाभप्रद है। इससे आंखें स्वस्थ रहती हैं।- चक्कर आने की समस्या के लिए धनिया की पंजीरी एक रामबाण इलाज है। - यह पाचन तंत्र को बेहतर करने के साथ-साथ गैस और अपच जैसी समस्याओं से निजात दिलाता है।
धनिया पंजीरी बनाने के लिए सामग्री
50 ग्राम धनिया पाउडर, 25 ग्राम पिसी हुई चीनी, 20 ग्राम बादाम की कतरन, 1 बड़ा चम्मच घी और 1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर
धनिया पंजीरी की विधि
सबसे पहले एक कड़ाही में घी डालकर गर्म करें और इसमें पिसा हुआ धनिया डालकर इसे 5 मिनट तक मध्यम आंच पर सकें। सिका हुआ धनिया एक प्लेट में डालकर ठंडा होने दें। इसमें सभी सामग्री मिला लें।
पंचामृत के फायदे
- पंचामृत शुक्र धातु यानि प्रजनन ऊतकों को पोषण प्रदान करता है जिससे कि पुरुषों में यौन शक्ति में सुधार करता है।- पंचामृत के नियमित सेवन से बुद्धि, याददाश्त, याद करने की शक्ति, रचनात्मक क्षमता आदि बढ़ती है। - पंचामृत के नियमित सेवन से हाइपर एसिडिटी और पित्त असंतुलन के अन्य दुष्प्रभावों से राहत मिलती है। - इसे गाय के दूध से बनाया जाता है। गाय के दूध का शरीर और दिमाग पर शीतलन प्रभाव पड़ता है। प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाता है। - पंचामृत में दही मिलाया जाता है जिसका सेवन करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है।
चरणामृत या पंचामृत बनाने की सामग्री
500 ग्राम दूध, एक कप दही, 4 तुलसी के पत्ते, 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच गंगाजल, 100 ग्राम चीनी, एक चम्मच चिरौंजी, 2 चम्मच मखाने और 1 चम्मच घी
पंचामृत बनाने की विधि
एक साफ बर्तन में दूध ड़ालें और इसके बाद इसमें शहद मिला लें। एक-एक करेके इसमें तुलसी, शहद, गंगाजल ड़ालें। दही का इस्तेमाल अंत में करें। भोग के लिए आपका चरणामृत या पंचामृत तैयार है। अब आप चाहें तो इसमें चीनी, चिरौंजी, मखाने और पिघला हुआ घी ड़ाल लें।