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अगर एक बार पड़ चुका हो दिल का दौरा तो इन बातों का रखें ध्यान, जानिए क्या करें और क्या न करें

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: February 15, 2024 17:55 IST

दिल का दौरा आने के बाद कई बार दिल की सर्जरी कराने की सलाह दी जाती है लेकिन ये निर्णय आसान नहीं है। पको सर्जरी कराने की जरूरत हो या न हो कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है।

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ठळक मुद्दे दिल का दौरा पड़ना एक ऐसी स्थिति है जो आपको शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित कर सकती हैकुछ ऐसी चीजें हैं जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी हैदिल का दौरा पड़ने का सबसे प्राथमिक लक्षण है सीने में दर्द होना

Heart Attack Recovery: हार्ट अटैक या दिल का दौरा पड़ना एक ऐसी स्थिति है जो आपको शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित कर सकती है। इससे डरना सामान्य बात है क्योंकि एक बार दिल का दौरा पड़ने के बाद दूसरी बार हृदय संबंधी घटना होने की संभावना होती है और व्यक्ति के साथ पूरा परिवार आशंका से पीड़ित रहता है। 

दिल का दौरा आने के बाद कई बार दिल की सर्जरी कराने की सलाह दी जाती है लेकिन ये निर्णय आसान नहीं है। हालांकि अगर सर्जरी कराई जाती है तो इसके कई फायदे हैं। यह दिल के स्वास्थ्य की मरम्मत और उसे बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। आपको सर्जरी कराने की जरूरत हो या न हो कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है। दिल का दौरा पड़ने के बाद वापस सामान्य जीवन में आने के बाद क्या करें और क्या न करें, यही इस लेख में बताया गया है।

लक्षण

दिल का दौरा पड़ने का सबसे प्राथमिक लक्षण है सीने में दर्द होना। सीने में अचानक दबाव, भारीपन और कसाव महसूस होने लगता है। ये सिर्फ बाएं(left side ) तरफ नहीं होता बल्कि बीच में या दांए तरफ भी होता है। यह दर्द पेट के ऊपर की तरफ जाता है कभी बांए हाथ या कंधे की तरफ जाता है। कई बार जबड़े में या दांत में भी दर्द हो सकता है।

एक बार दिल का दौरा पड़ चुकने के बाद क्या करें 

एक निर्दिष्ट उपचार योजना का पालन करें। डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा लेने में निरंतरता सुचारू रूप से ठीक होने के लिए महत्वपूर्ण है। फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज और दुबला प्रोटीन खाएं।  यह आहार समग्र हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है। दैनिक दिनचर्या में नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल होना महत्वपूर्ण है। व्यायाम की तीव्रता में धीरे-धीरे वृद्धि, जिसकी शुरुआत पैदल चलने जैसी गतिविधियों से होती है, हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है। रक्तचाप, हृदय गति और कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर कड़ी नज़र रखें। किसी भी असामान्य रीडिंग की समय पर डॉक्टर को रिपोर्ट करने से सक्रिय प्रबंधन में मदद मिल सकती है। यदि आवश्यक हो तो ट्रैक करने और शीघ्र हस्तक्षेप करने के लिए नियमित रूप से अपने डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। गहरी साँस लेने, ध्यान और मनोरंजक गतिविधियों और शौक जैसी तनाव कम करने वाली तकनीकों का उपयोग करें। शारीरिक और भावनात्मक सेहत को बेहतर बनाने के लिए आराम और पर्याप्त नींद लेना प्राथमिकताएं हैं। ठीक से हाइड्रेटेड रहने के लिए पर्याप्त पानी पिएं। कैफीन और अल्कोहल का सेवन सीमित करने से हृदय संबंधी स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।

क्या न करें

अपने लक्षणों को नजरअंदाज न करें। सीने में दर्द या सांस लेने में परेशानी को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में तुरंत चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक है। जब तक सलाह न दी जाए तब तक भारी व्यायाम न करें। दवा के सेवन में निरंतरता बहुत जरूरी है। अपने डॉक्टर से सलाह किए बिना अपनी दवा बंद करने या बदलने से बचें। इससे रिकवरी में बाधा आ सकती है। 

प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, तले हुए खाद्य पदार्थ और मीठे स्नैक्स के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए। चिंतित या उदास महसूस होने पर मदद लें और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें। यदि संभव हो तो धूम्रपान छोड़ दें, क्योंकि यह हृदय स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। अत्यधिक शराब का सेवन भी दिल की सेहत के लिए हानिकारक है। 

(डिस्क्लेमर:  लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। यह पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। किसी चिकित्सीय स्थिति के संबंध में आपके किसी भी प्रश्न के लिए हमेशा अपने चिकित्सक या अन्य योग्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की सलाह लें लोकमत हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता।)

टॅग्स :हार्ट अटैक (दिल का दौरा)फिटनेस टिप्सभोजनMedical and HealthHealth and Family Welfare Services
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