मुजफ्फरनगर, 7 जुलाई: जब कुछ कर गुजरने का जज्बा दिल में हो तो भले ही जितनी भी मुश्किलें सामने आए, रास्ता खुद बनता चला जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के नीशू कुमार ऐसे ही एक उदाहरण बन कर उभरे हैं जिनका चयन भारतीय फुटबॉल टीम में हुआ है। नीशू के पिता और मूल रूप से नेपाल के रहने वाले मंगल बहादुर एक स्थानीय इंटर कॉलेज में चपरासी हैं।
तमाम चुनौतियों और आभाव के बावजूद नीशू का फुटबॉल के लिए प्रेम कभी कम नहीं हुआ और अब उनकी उपलब्धि शहर में दूसरे बच्चों को भी फुटबॉल के लिए प्रेरित कर रही है। नीशू का खेल शहर में इतना लोकप्रिय है कि लोग उन्हें 'रोनाल्डो भाई' कहकर संबोधित करते हैं।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए नीशू ने बताया कि उन्होंने पांच साल की उम्र से ही फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था। नीशू ने कहा, 'मैं जब पांच साल का था तभी से फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था। हम स्कूल में अपने स्पोर्ट्स टीचर के नेतृत्व में खेलते थे। मैं भारतीय टीम के कोच स्टीफन कोस्टेंटाइन से भी काफी कुछ सीख रहा हूं। वह बहुत अच्छे कोच हैं।'
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नीशू ने अपने फुटबॉल करियर की शुरुआत चंडीगढ़ फुटबॉल एकेडमी से की और 2010 में पहली बार उन्हें भारत से बाहर खेलने को मौका मिला। वह चंडीगढ़ फुटबॉल एकेडमी टीम की कप्तानी कर चुके हैं। 21 साल के नीशू के फुटबॉल करियर में बड़ा मोड़ 2016 में आया जब उन्हें एएफसी के लिए अंडर-19 टीम में चुना गया।
साथ ही नीशू को इंडियन सुपर लीग के लिए बेंगलुरु फुटबॉल क्लब ने भी 2015 में एक करोड़ में अपने साथ जोड़ा था। भारत की अंडर-15, अंडर-16 टीमों का हिस्सा रह चुके नीशू इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, जापान, यूरोप और रूस तक में खेल चुके हैं।
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