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नई शिक्षा नीति आने में लगे 34 साल, लागू होने में लग जाएंगे 10-15 साल, जानिए सब कुछ

By एसके गुप्ता | Updated: August 1, 2020 18:23 IST

मंत्रालय अधिकारियों के अनुसार सिफारिशों को चरणबद्ध तरीके से लागू करने में 15 साल की अवधि लग जाएगी। हालांकि एनसीईआरटी की ओर से पाठ्यक्रम निर्माण संबंधी कार्य एक साल में पूरा हो जाएगा। जिससे अगले दो सालों में नई शैक्षणिक संरचना संभव हो सकती है।

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ठळक मुद्देस्कूली शिक्षा को लेकर जो 5+3+3+4 का फार्मूला दिया गया है। उसमें 3 साल, 7 साल, 10 साल और 15 साल का समय निर्धारित किया गया है। मंत्रालय के अनुसार नई शिक्षा नीति में जहां तक मातृभाषा में पढ़ाई और त्रिस्तरीय फार्मूले की बात है तो इसमें लचीलापन अपनाया गया है।मातृ भाषा हिंदी, चाहें तो राज्य भाषा मराठी, तमिल, तेलगु, उडिया, बांग्ला आदि, या फिर पूरी तरह अंग्रेजी में भी छात्रों को शिक्षित कर सकते हैं। 

नई दिल्लीः नई शिक्षा नीति आने में 34 साल लगे हैं। अब इसे लागू होने में 10-15 साल लग जाएंगे। यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने लोकमत को दी है।

मंत्रालय अधिकारियों के अनुसार सिफारिशों को चरणबद्ध तरीके से लागू करने में 15 साल की अवधि लग जाएगी। हालांकि एनसीईआरटी की ओर से पाठ्यक्रम निर्माण संबंधी कार्य एक साल में पूरा हो जाएगा। जिससे अगले दो सालों में नई शैक्षणिक संरचना संभव हो सकती है।

स्कूली शिक्षा को लेकर जो 5+3+3+4 का फार्मूला दिया गया है। उसमें 3 साल, 7 साल, 10 साल और 15 साल का समय निर्धारित किया गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अनुसार नई शिक्षा नीति में जहां तक मातृभाषा में पढ़ाई और त्रिस्तरीय फार्मूले की बात है तो इसमें लचीलापन अपनाया गया है। राज्यों को यह छूट दी गई है कि वह चाहें तो मातृ भाषा हिंदी, चाहें तो राज्य भाषा मराठी, तमिल, तेलगु, उडिया, बांग्ला आदि, या फिर पूरी तरह अंग्रेजी में भी छात्रों को शिक्षित कर सकते हैं। एनईपी में 5+ 3+ 3+ 4 मॉडल बनाया गया है।

शुरू के पांच साल : इसमें तीन से आठ साल तक बच्चे पहले तीन साल आंगनबाड़ी में प्री-स्कूलिंग करेंगे। अगले दो साल यानि कक्षा एक-दो में पढेंगे। बच्चों को खेल खिलाकर, चित्रों के द्वारा, कठपुतली शो करके मातृभाषा या क्षेत्री भाषा जिसमें छात्र सहज रूप से समझ सकें। शिक्षित किया जाएगा।

दूसरे चरण के तीन साल : 8 से 11 साल के बच्चे स्कूल में कक्षा तीन से पांच तक की पढ़ाई करेंगे। इस दौरान प्रयोग आधारित शिक्षा के मॉडल अपनाकर छात्रों को गणित, विज्ञान और चित्रकला की पढ़ाई कराई जाएगी।

तीसरे चरण के तीन साल : कक्षा 6-8 की कक्षाओं में छात्रों को विषय आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। कक्षा छह से ही छात्र को कोडिंग और वोकेशनल कोर्स पढ़ाए जाएंगे। व्यवसायिक क्षेत्रों में छात्रों को इंटर्नशिप भी कराई जाएगी।

चौथा और आखिरी चरण : 14 से 18 साल के छात्रों को स्कूली शिक्षा के अंतिम चार साल यानि कक्षा 9वीं से 12वीं की पढ़ाई होगी। इसमें न केवल विषयों का गहन अध्ययन स्ट्रीम वाइज होगा। बल्कि अन्य विषयों के चुनने की आजादी भी होगी। अभी तक कक्षा एक से 10 तक सामान्य पढ़ाई होती थी। कक्षा 11 से विषय चुन सकते थे।

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