मध्यप्रदेश में 19 वर्ष की दिव्यांगा ममता पटेल ने साबित कर दिया है कि अगर मनोबल ऊंचा हो तो किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति का सामना किया जा सकता है.
छात्रा ने यूनिवर्सिटी की परीक्षा के दौरान पैर से लिख कर सबको चौंका दिया.
इस दौरान न्यूज़ एजेंसी एएनाई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मेरे पिता ने मुझे पैर से लिखना सिखाया है. स्कूल में मेरे दोस्त इसके लिए मेरा मजाक भी उड़ाते थे लेकिन आज यूनिवर्सिटी का एग्जाम देते हुए बहुत अच्छा लग रहा है.
ममता पटेल जैसी लड़कियां उन लाखों लोगों के प्रेरणा के श्रोत हैं जिन्हें शारीरिक अड़चन के कारण शिक्षा से महरूम रहना पड़ता है.
2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में 2 करोड़ 68 लाख लोग किसी न किसी रूप से शारीरिक परेशानी का सामना कर रहे हैं.