लाइव न्यूज़ :

मोदी सरकार ने निकाला विश्वविद्यालय आरक्षण विवाद का समाधान, विपक्ष से छीना एक बड़ा चुनावी मुद्दा

By आदित्य द्विवेदी | Updated: March 8, 2019 09:48 IST

मोदी सरकार ने वोटों के गणित का पूरा आंकलन करने के बाद 13 पॉइंट रोस्टर को खत्म करने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी।

Open in App
ठळक मुद्देसरकार ने 13 पॉइंट रोस्टर को खत्म करके पुराने सिस्टम पर लौटने का फैसला किया।सरकार ने कई तबकों की नाराजगी दूर कर उन्हें साधने की कोशिश की है।

देश में लोकसभा चुनाव करीब हैं। इस वक्त सरकार भी इलेक्शन मोड में आ चुकी है। इस वक्त सरकार के अधिकांश फैसले वोटों की गणित का आंकलन करके लिए जा रहे हैं। गुरुवार को मोदी सरकार ने विश्वविद्यालय आरक्षण विवाद का समाधान निकाला। सरकार ने 13 पॉइंट रोस्टर को खत्म करके पुराने सिस्टम पर लौटने का फैसला किया। सरकार ने गहन विमर्श के बाद इस संबंध में अध्याधेश को मंजूरी दी है।

अपने हालिया फैसलों में सरकार ने कई तबकों की नाराजगी दूर कर उन्हें साधने की कोशिश की है। एससी-एसटी एक्ट पर सरकार की हड़बड़ी से सवर्ण समाज नाराज माना जा रहा था। सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को 10 आरक्षण देकर सवर्णों को साधने की कोशिश की। इसी प्रकार 13 पाइंट रोस्टर आने के बाद ओबीसी वर्ग नाराज था। ये नाराजगी आगामी चुनाव में बीजेपी पर भारी पड़ सकती थी। इस मसले पर 5 मार्च को पूरे देश में बंद के अलावा धरना आयोजित हुआ। इसके तुरंत बाद बीजेपी हरकत में आई। सरकार के इस कदम ने विपक्ष से एक बड़ा मुद्दा छीन लिया है।

गौरतलब है कि 13 प्वाइंट रोस्टर को विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों समेत कई पार्टियों के नेताओं ने भी आरक्षण के सिद्धांत का उल्लंघन बताया था। एनडीए के सहयोगी दलों ने भी सरकार के समझ इस विषय को गंभीरता से रखा है। विश्वविद्यालय में आरक्षण की यह कौन सी प्रक्रिया है जिसने पूरे देश में विवाद खड़ा कर दिया।

13 पॉइंट रोस्टर विवाद

- रोस्टर एक विधि है, जिसके जरिये नौकरियों में आरक्षण लागू किया जाता है। देश के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 200 प्वाइंट रोस्टर के आधार पर भर्तियां होती थी।

- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2017 में ये फैसला दिया कि विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती 13 प्वाइंट रोस्टर के आधार पर होगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे मान्यता दे दी जिसके बाद 13 प्वाइंट रोस्टर देश में लागू हो गया है।

- पुरानी भर्ती व्यवस्था 200 प्वाइंट रोस्टर के आधार पर थी। जिसके मुताबिक विश्वविद्यालय को एक यूनिट माना गया। एक से 200 तक पदों की नियुक्ति में आरक्षण के प्रावधान लागू हुए। आरक्षित वर्ग के लिए 49.5 फीसदी और अनारक्षित वर्ग के 50.5 फीसदी सीटें इसी हिसाब से भरने की व्यवस्था हुई। यूनिवर्सिटी को एक यूनिट मान लेने से नियुक्तियों के लिए इतनी सीटें उपलब्ध थीं कि रिजर्व कैटेगरी के उम्मीदवारों की भागीदारी के लिए समुचित व्यवस्था हो पा रही थी।

- 13 प्वाइंट रोस्टर से भर्तियों का प्रावधान है। जिसके मुताबिक डिपार्टमेंट को एक यूनिट माना गया है। इसके मुताबिक अगर एक विभाग में 14 वैकेंसी निकलती हैं तो पहली. दूसरी और तीसरी पोस्ट सामान्य वर्ग के लिए, उसके बाद चौथी पोस्ट ओबीसी के लिए, फिर पांचवीं छठी सामान्य वर्ग के लिए, उसके बाद सांतवी पोस्ट एससी और आठवीं पोस्ट ओबीसी के लिए, फिर नौवां दसवां और ग्यारहवां पद सामान्य वर्ग के लिए, फिर बारहवीं पोस्ट ओबीसी और तेरहवीं सामान्य वर्ग के लिए, फिर चौदहवीं पोस्ट एसटी के लिए आती हैं।

Open in App

संबंधित खबरें

कारोबारIndiGo Crisis: इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने फ्लाइट कैंसिल होने पर माफी मांगी, कहा- बताया कब स्थिति हो जाएगी सामान्य

क्रिकेटस्मृति मंधाना ने शादी टलने पर तोड़ी चुप्पी, उनके हाथों में नहीं दिखी सगाई की अंगूठी

क्रिकेटक्या IPL 2026 में रियान पराग करेंगे राजस्थान रॉयल्स की कप्तानी? असम के क्रिकेटर ने तोड़ी चुप्पी

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

पाठशाला अधिक खबरें

पाठशालास्प्रिंगर नेचर ने ICSSR, दिल्ली में 'इंडिया रिसर्च टूर' के तीसरे संस्करण को दिखाई हरी झंडी

पाठशालापढ़ाई पर है पूरा ज़ोर, नहीं रहेगा बच्चा कमजोर

पाठशालासत्यार्थी समर स्कूल: 11 देशों के प्रतिभागियों ने किया दिल्ली और राजस्थान आश्रम का दौरा

पाठशालाJEE Advanced: मन में है विश्वास हम होंगे कामयाब?, लगन और जुनून तो मंज़िल मुश्किल नहीं

पाठशालारूस-यूक्रेन के डर के बीच किर्गिस्तान में मेडिकल पढ़ाई को मिल रहा नया ठिकाना