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पत्नी की हत्या के आरोपी ने 14 साल की सजा को कम करने लगाई याचिका, हाईकोर्ट ने सुना दी उम्रकैद

By शाहनवाज आलम | Updated: January 13, 2023 22:44 IST

सेशन कोर्ट ने पत्नी की हत्या के आरोप में आरोपी को 14 साल की सजा और करीब 22 हजार रुपए जुर्माना लगाया था। सेशन कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई और सजा को चुनौती दी थी।

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ठळक मुद्देसेशन कोर्ट ने आरोप सिद्ध होने के बाद सुनाई थी 14 साल की सजा और 22 हजार रुपये का जुर्मानानिचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ दोषी ने हाईकोर्ट में लगाई थी याचिकाहाईकोर्ट ने कानून को स्पष्ट करते हुए मोरे को हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा सुनाई

नागपुर: हत्या के एक आरोपी को चालाकी दिखाना भारी पड़ गया। सेशन कोर्ट ने पत्नी की हत्या के आरोप में आरोपी को 14 साल की सजा और करीब 22 हजार रुपए जुर्माना लगाया था। सेशन कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई और सजा को चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने सभी तथ्य और साक्ष्यों को देखते हुए आरोपी की 14 साल की सजा को बदलकर उसे आजीवन कारावास की सजा सुना दी।

मामला ऐसा है कि आरोपी का नाम नारायण भुजंग मोरे (41) है। जो कसबेगवां, अंजनगांव सुरजी, जिला अमरावती का निवासी है। मृतका पत्नी का नाम जया था। आरोपी से उसकी शादी 30 अप्रैल 2014 को हुई थी। आरोपी उसे दहेज के लिए प्रताड़ित कर रहा था।

इसी बीच 3 अगस्त 2014 को आरोपी ने उसे जलाकर मार डाला। यह घटना नंदगांवपेठ थाना क्षेत्र की है। 6 मई 2017 को सेशन कोर्ट ने आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत मोरे को 14 साल के सश्रम कारावास और 20,000 रुपए के जुर्माने और धारा 498-ए के तहत तीन साल के सश्रम कारावास और 2,000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी। 

इसी फैसले के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने रिकॉर्ड पर मौजूद विभिन्न साक्ष्यों पर विचार करने के बाद अपील को खारिज कर दिया और साथ ही सजा के संबंध में कानून को स्पष्ट करते हुए मोरे को हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

कोर्ट ने की ये टिप्पणी

बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई। न्यायाधीश विनय जोशी और वाल्मीकि मेनेजेस ने मामले में सुनवाई करते हुए सेशन कोर्ट के फैसले को बदल दिया। कोर्ट ने कहा कि हत्या करने वाले आरोपी को भारतीय दंड संहिता में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। ऐसे में आरोपी को 14 साल के कैद की सजा देना कानूनन ठीक नहीं है, हालांकि हाईकोर्ट ने जुर्माना कम कर दिया, क्योंकि आरोपी पेशे से मजदूर था। इन दोनों अपराधों में उन पर क्रमश: दो हजार और एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया। 

हत्या के आरोपी को मिलना चाहिए उम्रकैद  

हत्या के आरोप में आरोपी को 14 साल की कैद की सजा का कानून में कोई प्रावधान नहीं है। हत्या के अपराध का दोषी पाए जाने के बाद आरोपी को आजीवन उम्रकैद की सजा दी जानी चाहिए। उम्रकम से कम की सजा देना कानून के खिलाफ है।

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