'फांसी के बाद उनकी विधवा बनकर नहीं रहना चाहती', निर्भया गैंगरेप के दोषी अक्षय की पत्नी ने मांगा तलाक
By स्वाति सिंह | Published: March 18, 2020 09:58 AM2020-03-18T09:58:58+5:302020-03-18T09:58:58+5:30
निर्भया गैंगरेप और हत्या कांड मामले के चारों दोषियों के फांसी में बस तीन दिन बचे हैं। इसके मद्देनजर बुधवार को तिहाड़ जेल में जल्लाद पवन की मौजूदगी में रिर्हसल हुई है। वहीं, दोषी अक्षय ठाकुर की पत्नी ने औरंगाबाद परिवार कोर्ट में तलाक की अर्जी दी है।
निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड मामले में दोषी अक्षय ठाकुर की पत्नी ने औरंगाबाद परिवार कोर्ट में तलाक की अर्जी दी है। कोर्ट में दी गई अर्जी में अक्षय की पत्नी पुनीता का कहना है कि मैं उसकी विधवा के रूप में अपना जीवन नहीं जी सकती। उन्होंने कहा उनके पति को निर्भया के दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराया गया है और उन्हें कोर्ट के फैसले के बाद अब फांसी दी जानी है। अक्षय ठाकुर की पत्नी का कहना है कि मेरे पति निर्दोष हैं, ऐसे में मैं उनकी विधवा बन कर नहीं रहना चाहती। इसलिए उसे अपने पति से तलाक चाहिए।
पुनीता के वकील मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि पीडि़त महिला को विधिक अधिकार है कि वह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत कुछ खास मामलों में तलाक ले सकती है। उसमें दुष्कर्म का मामला भी शामिल है। अगर दुष्कर्म के मामले में किसी महिला के पति को दोषी ठहरा दिया जाता है, तो वह तलाक के लिए अर्जी दायर कर सकती है।
बता दें कि निर्भया गैंगरेप और हत्या कांड मामले के चारों दोषियों के फांसी में बस तीन दिन बचे हैं। इसके मद्देनजर बुधवार को तिहाड़ जेल में जल्लाद पवन की मौजूदगी में रिर्हसल हुई है। जल्लाद पवन ने जेल प्रशासन के अधिकारियों के सामने दोषियों के डमी को फांसी पर लटकाने का रिहर्सल किया। निर्भया गैंगरेप और हत्या कांड मामले के चारों दोषियों को 20 मार्च को फांसी होनी है।
दोषी पवन गुप्ता ने SC में दायर की ताजा सुधारात्मक याचिका
उधर, चारों दोषियों में से एक पवन गुप्ता ने आखिरी प्रयास के तहत उच्चतम न्यायालय में एक सुधारात्मक याचिका दायर की है। पवन गुप्ता ने यह सुधारात्मक याचिका उस पुनर्विचार याचिका को खारिज किये जाने के खिलाफ दायर की है जिसमें उसके किशोर होने का दावा खारिज किया गया था। उच्चतम न्यायालय ने दोषी पवन गुप्ता की उस समीक्षा याचिका को 31 जनवरी को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने अदालत के उस फैसले की समीक्षा करने की अपील की थी जिसमें उसके नाबालिग होने के दावे को 20 जनवरी को खारिज कर दिया गया था। पुनर्विचार याचिका न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना ने चैंबर में सुनवायी करके खारिज कर दी थी। पवन के अधिवक्ता ए पी सिंह ने मंगलवार को सुधारात्मक याचिका दायर किये जाने की पुष्टि की।
ICJ निर्भया मामले में दोषियों की फांसी पर रोक नहीं लगा सकता
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी एन श्रीकृष्ण ने मंगलवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय निर्भया मामले में दोषियों की 20 मार्च को तय फांसी पर रोक नहीं लगा सकता। निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड मामले के चार दोषियों में से तीन ने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) का दरवाजा खटखटाकर अपनी ‘‘गैरकानूनी फांसी की सजा’’ रोकने का अनुरोध किया है। उनका आरोप है कि उन्हें ‘‘दोषपूर्ण’’ जांच के जरिये दोषी करार दिया गया और प्रयोग का माध्यम (गिनी पिग) बनाया गया है। न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण ने दोषियों की अपील पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आईसीजे उन्हीं मामलों में कुछ कर सकता है जो उसके क्षेत्राधिकार में आते हों। उन्होंने कहा, ''मुझे नहीं लगता कि आईसीजे इस मामले में दखल देकर फांसी रोक सकता है।'' उन्होंने यह भी कहा कि आईसीजे अपील की अगली अदालत नहीं है।