Nirbhaya Case: एक दोषी फांसी घर में लेटकर रोने लगा...तो दूसरे ने रोते हुए मांफी मांगी, जानें फांसी से पहले जेल में क्या हुआ
By अनुराग आनंद | Published: March 20, 2020 07:55 AM2020-03-20T07:55:02+5:302020-03-20T07:55:31+5:30
तिहाड़ जेल के जेल नंबर-3 की फांसी कोठी में चारों दोषियों को लटकाने के लिए चार हैंगर बनाए गए थे। इनमें से एक का लीवर जल्लाद पवन ने खींचा जबकि दूसरे का जेल स्टाफ ने खींचा।
नई दिल्ली: निर्भया मामले के सभी चार दोषियों को फांसी दे दी गई है। चार दोषियों पवन, विनय, मुकेश और अक्षय ने फांसी से पहले बचने के लिए तरह-तरह से कोशिश की। इस दौरान दोषियों ने खुद को बचाने के लिए जेलर से मिन्नतें मांगी। यही नहीं वे रोए, फांसी घर में लेट तक गए। लेकिन, इस सब के बाद भी सभी को फांसी के फंदे से लटका दिया गया।
आपको बता दें कि तिहाड़ जेल के जेल नंबर-3 की फांसी कोठी में चारों दोषियों को लटकाने के लिए चार हैंगर बनाए गए थे। इनमें से एक का लीवर जल्लाद पवन ने खींचा जबकि दूसरे का जेल स्टाफ ने खींचा। इससे पहले चारों दोषियों को फांसी दिए जाने के बारे में मालूम था, इसलिए चारों रात भर जगा हुआ ही था।
आजतक के मुताबिक, चारों को नहाने के बाद उनके पीने के लिए चाय मंगाई गई। लेकिन, चारों ने चाय पीने से इनकार कर दिया। इसके बाद चारों को काला कुर्ता पाजामा पहनाया गया और फिर हाथ पीछे बांध दिए गए।
इस दौरान दोषियों ने हाथ बंधवाने से इनकार किए। यही नहीं विनय ने कपड़े बदलने से इनकार कर दिया और फिर वह रोने भी लगा और माफी मांगने लगा।
इसके अलावा, जब दोषियों को लेकर जाया जा रहा था तो एक डर गया। वह फांसी घर में ही लेट गया और आगे जाने से मना करने लगा था। काफी कोशिशों के बाद उसे आगे लेकर जाया गया। फिर सेल से बाहर लाकर फांसी कोठी से ठीक पहले चारों के चेहरे काले कपड़े से ढक दिए गए।
दोषियों को फांसी दिए जाने पर निर्भया की मां ने ये कहा-
आशा देवी ने कहा कि देखिये फाइनली उन्हें फांसी लटका दिया गया, यह पहली बार है जब देश में रेप पीड़िता के दोषियों को फांसी पर लटकाया गया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से दोषियों को बचाने के लिए एक के बाद एक पिटीशन डाली गई, अदालत ने एक-एक कर सभी पिटीशन का खारिज किया, लेकिन आखिरकार मुझे इंसाफ मिला। देर से ही सही लेकिन हमारी न्यायपालिका साबित किया कि देश की बच्चियों को निशाने बनाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। संविधान पर सवाल उठ रहा था। लेकिन, इस फैसले ने साबित किया कि देश की न्याय व्यवस्था पर हमारा विश्वास बना रहेगा।
उन्होंने कहा कि ये लड़ाई हम निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ रहे थे लेकिन आगे भी देश की बच्चियों के सिए लड़ाई जारी रहेगी। चारों को फांसी दिए जाने के बाद अब परिवार के लोग जरूर अपने घर के बेटों को सिखाएंगे। मैंने उसकी तस्वीर के आगे हाथ जोड़ा, गले लगाया और कहा बेटी आज सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ मिला है। सात साल पहले बच्ची ने तड़प-तड़प के दम तोड़ा था, फाइनली आज उसे इंसाफ मिला।
मुझे आज अपनी बेटी पर गर्व है आज उसके नाम से उसकी मां को दुनिया जानती है। मैं उसे बचा नहीं पाई। उसे इसाफ मिला, मां की ममता का जो धर्म होता है आज पूरा हुआ। अगर आपके आसपास कुछ होता है तो पीड़ित महिला की मदद करिये। हम निवेदन करेंगे के निर्भया के केस में देरी की गई, वैसा आगे न हो, एक साथ याचिकाएं दायर की जाएं।