आंखों-देखीः बुराड़ी में 11 लोगों की 'सामूहिक आत्महत्या' पर मुझे भरोसा नहीं होता!

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 5, 2018 03:37 PM2018-07-05T15:37:19+5:302018-07-05T15:37:19+5:30

Burari Death Case: पुलिस ने अब तक की जांच में दावा किया है कि उसे 11 डायरी मिली हैं। इसके अलावा सीसीटीवी फुटेज में भी कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं। इसमें देर रात पूरा परिवार अपनी मौत का सामान जुटा रहा है।

Burari death case: I do not believe in mass suicide theory, ground report | आंखों-देखीः बुराड़ी में 11 लोगों की 'सामूहिक आत्महत्या' पर मुझे भरोसा नहीं होता!

बुराड़ी कांड | Burari death case Ground Report| Burari death case

जनार्दन पांडेय और आदित्य द्विवेदी

जब हम बुराड़ी के संतनगर इलाके में गली नंबर 44 पहुंचे तो सामने कुछ लोग 'मौत के घर' में जा रहे थे। हम भी उनके पीछे-पीछे अंदर जाने लगे। गेट पर खड़े दिल्ली पुलिस के सिपाही उमेश शर्मा ने कहा कि मीडिया को अंदर जाने की इजाजत नहीं है, सिर्फ क्राइम ब्रांच की इनवेस्टिगेशन टीम जा सकती है।

एक 30x40 का दो मंजिला मकान। जिसके आगे के हिस्से में दो दुकानें हैं जिनके शटर गिरे हुए हैं। लोगों ने बताया कि एक परचून की दुकान है जिसे बड़ा भाई भुवनेश चलाता था और दूसरी प्लाईवुड की दुकान है जिसे छोटा ललित चलाता था। प्लाईवुड की दुकान के ठीक बगल से घर की एंट्री का गेट है। गेट खुलते ही सीढ़ियां शुरू हैं जो सीधा पहली मंजिल ले जाती हैं। इसी पहली मंजिल पर 1 जुलाई की सुबह भाटिया परिवार के 11 लोगों के शव लटके मिले थे। 9 लोग आँगन में मौजूद लोहे की छड़ों से लटके हुए थे। एक शव खिड़की से लटका था और बूढ़ी महिला एक कमरे में मृत पाई गई थी।

गली में तीन-चार मकान आगे बढ़ने पर ऑफिसनुमा कमरे में एक व्यक्ति हुक्का पी रहे थे। कमरे में घुसते ही उन्होंने हमें हुक्का ऑफर किया। नाम सोनू बताया और पेशा बिजनेस। पिछले करीब 10 साल से उसी गली में रहते हैं। भाटिया परिवार के सदस्यों से बहुत नजदीकी से इनकार करते हैं लेकिन एक पड़ोसी के नाते सामान्य बोलचाल और व्यहार की बात स्वीकार की। सोनू इस बात पर जोर देते हैं कि पूरा भाटिया परिवार बहुत सज्जन था। आज तक किसी से झगड़ा करते नहीं देखा। भुवनेश के व्यवहार की वजह से परचून की दुकान अच्छी चलती थी। 

सोनू ने हमें 1 जुलाई की सुबह के घटनाक्रम के बारे में बताया,

'रोज सुबह भुवनेश करीब 5 बजे उठते थे। अपने कुत्ते को टहलाने ले जाते थे। उसे वापस घर में छोड़कर नीचे दुकान खोलते थे। तबतक दूध वाला आ जाता था। दूध दुकान में रखने के बाद वो पीछे के राम मंदिर जाते थे। यही रोजाना का रूटीन था। 1 जुलाई की सुबह करीब 6 बजे दूध वाला दूध का कैरट रख गया लेकिन भुवनेश ने दुकान नहीं खोली। 6.30 बजे तक भी दुकान नहीं खुली तो उनके पड़ोसी अमरीक सिंह (सबसे पहले इन्होंने ही शवों को देखा) ने दरवाजा खटखटाया। उन्होंने धक्का दिया तो दरवाजा खुला हुआ था। वो ऊपर चढ़ गए। पहली मंजिल का दरवाजा भी खुला हुआ था। सामने का नजारा देखकर वो हैरान रह गए। जल्दी से मुहल्ले के और लोगों को बुलाया और पुलिस को फोन कर दिया।'

सोनू ने जो घटनाक्रम बताया उसे पड़ोसी अमरीक सिंह ने भी दोहराया। अमरीक सिंह ने बताया कि मृतक का परिवार की उनसे घनिष्ठता थी।

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सोनू ने अपनी बातचीत में पीछे के राम मंदिर का जिक्र किया था। हम राम मंदिर पहुंच गए। मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित जेपी शर्मा मौजूद नहीं थे। उनकी बहू भारती ने बताया कि 16 जून को प्रियंका भाटिया (ननिहाल में रहती थी) की सगाई थी। सभी कितना खुश थे। उन्हें भरोसा ही नहीं है कि एक साथ 11 लोग आत्महत्या कर सकते हैं। भारती ने बताया कि सगाई समारोह में दोनों पक्षों से करीब 200 मेहमान शामिल हुए थे। प्रियंका नोएडा में एक मल्टी नेशनल कंपनी में जॉब करती थी। लड़के वाले भी नोएडा के ही हैं। हम भारती से  भाटिया परिवार के बारे में बात कर ही रहे थे कि पंडित जी आ गए। थोड़े से परेशान। शायद हमसे पहले भी कई मीडिया और पुलिसकर्मियों उनसे सवाल-जवाब कर चुके होंगे।

पंडित जी ने बताया कि भाटिया परिवार का बड़ा बेटा भुवनेश रोजाना सुबह 6 बजे मंदिर आता था। छोटा बेटा ललित हर शनिवार और मंगलवार को आता था और हनुमान चालीसा का पाठ करता था। प्रसाद भी चढ़ाता था। पंडित जी का भाटिया परिवार के घर भी आना-जाना था।

 'सबसे राम-राम थी। किसी के मन की बात कोई नहीं जान सकता लेकिन सामने से देखकर कभी लगा नहीं कि अंदर इतना बड़ा तूफान चल रहा है। बड़े ही व्यावहारिक लोग थे। आर्थिक स्थिति भी अच्छी थी। देखकर कोई नहीं कह सकता है कि मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी।' ः राम मंदिर के पुजारी जेपी शर्मा

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पंडित जी से मिलकर हम उस गली में वापस लौटे जहां भाटिया परिवार का घर था। पड़ोस में ही कपड़ों की रंगाई की एक दुकान है जिसपर मीडिया के कुछ कैमरे लगे हुए थे। 'सोनी डायर्स' के मालिक बता रहे थे कि घटना के एक दिन पहले शाम को प्रियंका भाटिया (जिसकी पिछले दिनों सगाई हुई थी) अपने कुछ कपड़े देकर गई थी। दुकानदार ने बताया, 'प्रियंका ने कहा ये कपड़े कलर करने हैं। वो कल लेकर जाएगी। कपड़े तो कलर हो गए लेकिन अब उन्हें ले जाने के लिए प्रियंका इस दुनिया में नहीं है।' दुकानदार की बात से एक बात दिमाग में खटकी। अगर ये 'सामूहिक आत्महत्या' पहले से तय होती तो कपड़े रंगाने की फिक्र किसे होती?

हम घर के ठीक सामने पहुंचे तो हमें सुदेश मिल गए। सामने मेन रोड पर बर्फ की दुकान चलाते हैं। उन्होंने बताया कि 30 जून की रात को वो भुवनेश की दुकान से ही दूध लेकर गए थे। पैसे पूरे नहीं थे तो तीन रुपये बकाया लगा गये थे। सुबह आठ बजे आए तो दुकान के सामने पुलिस और मीडिया की गाड़ी देखी। 

मकान के बाईं ओर का प्लॉट खाली पड़ा है। उसी तरफ 11 पाइप निकले हुए हैं। (मीडिया रिपोर्ट्स में इन पाइप का कनेक्शन सामूहिक आत्महत्या से जोड़ा जा रहा है।) सुदेश ने हमें बताया कि जब घर बन रहा था तो उन्होंने ललित भाटिया से इतने सारे पाइप लगाने का कारण पूछा। उन्होंने बताया कि घर के इस हिस्से में सीढ़िया हैं। वेंटिलेशन के लिए ये पाइप लगाए गए हैं। हालांकि सुदेश ने पाइप के ऊपर दीवार पर बने 11 बुमकी (Hole) भी दिखाए और इनका मौत से कुछ कनेक्शन होने की आशंका जताई। हमने मेन गेट के ऊपर की सलाखें भी गिनीं वो भी 11 थी।

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भाटिया परिवार के सामने वाले घर में लाइब्रेरी चलती है। लाइब्रेरी की छत पर पहुंचे तो क्राइम ब्रांच के अधिकारी भाटिया के घर की पड़ताल कर रहे थे। हम जितनी देर छत पर रहे अधिकारी सभी छोटी-छोटी चीजों को उलट-पुलट कर देख रहे थे। कोई नया सुराग तलाशने की हर संभव कोशिश कर रहे थे। तभी नीचे गली पर गहमागहमी बढ़ चुकी थी।

भाटिया परिवार के सदस्य घर के अंदर दाखिल हो रहे थे। हम नीचे पहुंचे और प्रशांत से बात की। प्रशांत ने बताया कि ललित और भुवनेश उनके सगे चाचा हैं। प्रशांत के पिता सिविल क़न्ट्रैक्टर हैं और राजस्थान में रहते हैं। प्रशांत ने हमारा ध्यान एक बड़ी गड़बड़ी की ओर खींचा।

प्रशांत ने बताया, 'मीडिया वाले परिवार के सदस्यों का गलत उपनाम बता रहा है। हम लोग भाटिया नहीं चुंडावत हैं। प्रियंका भाटिया सिर्फ बुआ की बेटी लगाती थी। बाकि घर से सभी सदस्य सिंह उपनाम लगाते थे।' जब हमने प्रशांत से एफआईआर में भी भाटिया दर्ज होने की बात कही तो उन्होंने कहा कि किसी ने गलत सूचना दे दी है। प्रशांत ने बताया कि 16 जून को प्रियंका की सगाई में पूरा परिवार साथ था। कभी ऐसा अंदेशा ही नहीं हुआ। प्रशांत अंधविश्वास में आत्महत्या की थियरी से भी इनकार करते हैं।

हम प्रशांत से बात कर ही रहे थे कि घर के अंदर से सिविल ड्रेस में एक शख्स निकला। पसीने से तर-बतर। उसने अपना मुंह धुला और भीड़ को चीरते हुए मेन सड़क पर आकर बीड़ी फूंकने लगा। हमने सोचा का परिवार का कोई सदस्य होगा तो उनके पास जाकर बात करने लगे। उस शख्स ने बताया कि अंदर अभी भी छह स्टूल वैसे ही पड़े हुए हैं। कूलर-पंखे जिस अवस्था में चल रहे थे वैसे ही चल रहे हैं। अंदर घुटन सी हो रही थी इसलिए वो बाहर भाग आया।उन्होंने बताया कि आज कुछ और कॉपी-किताबें जब्त की गई हैं।

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इतनी देर में पीछे से जोर का हल्ला हुआ। सारे मीडिया के कैमरे दो शख्स के ऊपर फोकस हो गए। रिपोर्टर सक्रिय होकर उनका पीछा कर रहे थे। हमने गौर से देखा तो उन दोनों शख्स के हाथ में एक झोला था जिसमें ढेर सारी कॉपी-किताबें रखी हुई थी। उन्होंने झोला पुलिस जीप में रखा और हमसे बात कर रहा शख्स उसी जीप में बैठकर चला गया। बाद में हमें एहसास हुआ कि वो शख्स क्राइम ब्रांच से था और उस झोले में कुछ और सबूत मिले थे।

पुलिस ने अब तक की जांच में दावा किया है कि उसे 11 डायरी मिली हैं। इसके अलावा सीसीटीवी फुटेज में भी कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं। इसमें देर रात पूरा परिवार अपनी मौत का सामान जुटा रहा है। माना जा रहा है कि ललित मानसिक विक्षिप्त था। उसके बहकावे में आकर परिवार 'क्रिया' करने को राजी हो गया।

पंडित जेपी शर्मा की कही एक बात याद आ गई, 'आत्महत्या करने से मोक्ष नहीं मिलता। ये तो अकाल मृत्यु है। ऐसी मौत के बाद तो आदमी भूत योनि में ही घूमता रहता है। वो धार्मिक लोग थे। उन्हें भी इसका एहसास था। मुझे भरोसा नहीं होता कि एक ही परिवार के इतने लोग एकसाथ आत्महत्या कर सकते हैं!'

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English summary :
Burari death case Ground Report: Delhi police claimed in the investigation that he had received 11 diaries. Apart from this, there are some important clues in CCTV footage.


Web Title: Burari death case: I do not believe in mass suicide theory, ground report

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