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अमरजीत सादा: बिहार का 8 साल का बच्चा, दुनिया का सबसे कम उम्र का सीरियल किलर! दिल दहला देने वाली है इससे जुड़ी कहानी

By विनीत कुमार | Updated: May 26, 2023 14:27 IST

जरा सोचिए कोई सीरियल किलर अगर 8 सला का बच्चा हुआ तो आप क्या कहेंगे? बिहार के अमरजीत सादा की कहानी ऐसी ही है। उसने महज 8 साल की उम्र में तीन हत्याएं कर डाली थी। मामला 2007 का है, जब उसे पकड़ा गया।

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नई दिल्ली: किसी सीरियल किलर का किस्सा सुनते ही कई लोगों के रौंगटे खड़े हो जाते हैं। लेकिन जरा सोचिए कोई सीरियल किलर अगर 8 सला का बच्चा हुआ तो! बिहार के अमरजीत सादा की कहानी ऐसी ही है, जिसने 8 साल की उम्र में तीन हत्याएं कर डाली थी।   

ये बात 2007 की है। आठ साल का अमरजीत सादा जब 2007 में एक नवजात की हत्या के सिलसिले में पुलिस स्टेशन लाया गया था तो वह मुस्कुरा रहा था। दुनिया के सबसे कम उम्र के सीरियल किलर के रूप में पहचाने जाने वाली सादा को तीन हत्याओं के बाद गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से दो की जानकारी ही पुलिस तक नहीं पहुंची थी। 

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 1998 में बिहार के मुसहर गांव में जन्मा अमरजीत दिखने में भले आम बच्चों जैसा लगता था लेकिन उससे जुड़ी बातें किसी का भी दिल दहला सकते हैं। उसने पहली हत्या 2006 में की थी और पीड़ित उसका छह साल का चचेरा भाई था। 

'सैडिस्ट' मानसिकता का था अमरजीत साडा

एक मनोवैज्ञानिक ने कथित तौर पर उसे 'सैडिस्ट' बताया था। यानी एक ऐसा शख्स जो दूसरों को चोट पहुंचाकर आनंद या खुशी महसूस करता है। क्राइम वायर के अनुसार जब अमरजीत से बिहार के भागलपुर पुलिस स्टेशन के प्रभारी (ओआईसी) द्वारा पूछताछ की जा रही थी, तो उसने किसी भी सवाल का जवाब देने से पहले पहले खाने के लिए बिस्कुट मांगे। अधिकारी सकते में थे, लेकिन उन्हें अहसास था उनके सामने जो बैठा है, वह महज आठ साल का बच्चा है।

कैसे सामने आया अमरजीत सादा से जुड़ा सच?

अमरजीत का जन्म बिहार में एक गरीब परिवार में हुआ। माता-पिता मजदूरी करते थे। बेटी के जन्म के बाद परिवार के लिए जीवन बिताना और मुश्किल हो गया गया था। स्वभाव से अकेले रहने वाले अमरजीत का कोई खास दोस्त नहीं था लेकिन वह पेड़ों पर चढ़ने और अपने गांव में घूमने आदि में समय बिताता था। इस परिवार के जीवन में एक अप्रत्याशित मोड़ तब आया जब परिवार का एक रिश्तेदार छह साल की बेटी के साथ अमरजीत के घर पहुंचा।

कुछ दिनों बाद एक दिन रिश्तेदार और अमरजीत की मां बच्चों की जिम्मेदारी उस पर छोड़कर सब्जी लेने के लिए घर से निकल गए।  दोनों को अकेला देख अमरजीत ने पहले तो अपने रिश्तेदार के बेटे को चिकोटी काटी और थप्पड़ मारने शुरू कर दिए। जैसे ही वह रोने लगा, उसने अपना हाथ उसके गले में डाल दिया और अंत में गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। वह कथित तौर पर पास के जंगल में गया और उसके सिर को एक पत्थर से कुचल दिया और उसे दफनाने के बाद घर लौट आया।

हालाँकि, उसके माता-पिता ने अमरजीत द्वारा अपराध कबूल करने के बाद भी उसे बचा लिया। हालांकि यह महंगा पड़ा और अगला शिकार अमरजीत ने अपनी बहन को बना डाला।

जाड़े की उस दोपहर जब उसके माता-पिता सो रहे थे तो अमरजीत का ध्यान अपनी बहन की ओर गया। उसने कथित तौर पर उसे खाट से उठा लिया और गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। बाद में जब उसकी मां ने उसे दूध पिलाने के लिए उठाया, तो उसे पता चल चुका था कि क्या हुआ है। जब उसने अमरजीत से पूछा कि क्या उसने ऐसा किया है, तो उसने कहा 'हां'। जब पूछा गया कि क्यों? उसने उत्तर दिया- 'बस ऐसे ही।' लेकिन एक बार फिर उसके माता-पिता ने उसकी शिकायत पुलिस में नहीं की।

पुलिस ने ऐसे अमरजीत को पकड़ा

साल 2007 में अमरजीत ने जब तीसरी हत्या की तो पुलिस ने उसे पकड़ा। इस बार खुशबू नाम की छह महीने की बच्ची थी। बच्ची की माँ ने अपनी बेटी को एक प्राथमिक विद्यालय में कुछ समय के लिए छोड़ दिया था। जब वह वापस लौटी तो वह गायब थी। कुछ घंटों के बाद अमरजीत ने कथित तौर पर उसकी हत्या की बात कबूल की। उसने स्वीकार किया कि उसने उसका गला घोंटा और ईंट से मारा और फिर उसे दफना दिया। वह ग्रामीणों को उस स्थान तक ले गया जहां उसने उसे दफनाया था।

अमरजीत ने पुलिस को बताया, 'वह स्कूल में सो रही थी। मैं उसे थोड़ी दूर ले गया और पत्थर से मारकर उसकी हत्या कर दी।'

अमरजीत आठ साल का था जब आखिरकार पुलिस उस तक पहुंची। उसने जो कुछ किया था, उसके बाद भी वह कथित तौर पर शांत था और उनके चेहरे पर कोई डर नहीं था। उसकी इस बेपरवाही ने पुलिस अधिकारियों को सकते में डाल दिया। साडा पुलिसवालों को वहां खुद ले गया जहां उसने अपने आखिरी शिकार को दफनाया था। यह जगह उस प्राथमिक विद्यालय के पीछे की एक जमीन थी। इसके बाद वह शांति से पुलिस को अपनी पिछली हत्याओं के बारे में बताने लगा।

अब कहां है अमरजीत, किसी को नहीं मालूम

चूंकि वह हत्या के समय नाबालिग था, इसलिए उसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया। उसका इलाज करने वाले डॉक्टरों ने कथित तौर पर कहा कि उसे एक विकार था जिसमें उन्हें दूसरों को नुकसान पहुंचाने में खुशी मिलती थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2016 में जब अमरजीत 18 साल का हुआ, तो उसे एक नई पहचान के तहत रिहा कर दिया गया और अब उसके असल ठिकाने के बारे में कोई नहीं जानता।

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