बायो बबल में रहने पर स्टार्क ने कहा, यह लंबे समय तक चलने वाली जीवनशैली नहीं

By भाषा | Published: November 09, 2020 3:13 PM

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मेलबर्न, नौ नवंबर आस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाजी आक्रमण के अगुआ मिशेल स्टार्क जैविक रूप से सुरक्षित माहौल (बायो बबल) में खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताने वाले खिलाड़ियों की सूची में शामिल हो गए हैं और उनका कहना है कि लंबे समय तक ऐसी पाबंदियों के बीच रहना ‘व्यावहारिक’ नहीं है।

दुनिया भर में फैली कोविड-19 महामारी के बीच क्रिकेट का आयोजन जैविक रूप से सुरक्षित माहौल में किया जा रहा है और निकट भविष्य में स्थिति में सुधार होने की संभावना भी नहीं है।

क्रिकेट.कॉम.एयू ने स्टार्क के हवाले से कहा, ‘‘यह लंबे समय तक चलने वाली जीवनशैली नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आप होटल के कमरे में रह रहे हैं और बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं है। कई खिलाड़ियों ने अपने परिवारों या अपने बच्चों को लंबे समय तक नहीं देखा है, आईपीएल में खेलने वालों के साथ ऐसा है।’’

दुनिया भर के शीर्ष क्रिकेट अगस्त से यूएई में जैविक रूप से सुरक्षित माहौल में इंडियन प्रीमियर लीग में हिस्सा ले रहे हैं और जब वे आगामी प्रतियोगिताओं को अपने देश के टीमों की ओर से खेलेंगे तो उन्हें फिर जैविक रूप से सुरक्षित माहौल में रहना होगा।

मंगलवार को आईपीएल फाइनल के बाद भारतीय टीम आस्ट्रेलिया के लंबे दौरे पर रवाना होगी। भारतीय टीम के साथ स्टीव स्मिथ, पैट कमिंस, जोश हेजलवुड और डेविड वार्नर जैसे आस्ट्रेलिया के शीर्ष क्रिकेटर भी रवाना होंगे जो विभिन्न आईपीएल टीमों का हिस्सा हैं।

अन्य खिलाड़ियों में इंग्लैंड की टीम आईपीएल समाप्त होने के एक पखवाड़े के भीतर सीमित ओवरों के छह मैचों के लिए दक्षिण अफ्रीका जाएगी जबकि वेस्टइंडीज को न्यूजीलैंड के दौरे पर रवाना होना है।

स्टार्क ने बायो बबल के मॉडल पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘यह मुश्किल स्थिति है- हमें क्रिकेट खेलने को मिल रहा है इसलिए हम अधिक शिकायत नहीं कर सकते लेकिन खिलाड़ियों, स्टाफ और अधिकारियों की बेहतरी को देखते हुए आप जैविक रूप से सुरक्षित माहौल में कब तक रह सकते हो?’’

इससे पहले भारतीय कप्तान विराट कोहली के अलावा इंग्लैंड के कप्तान इयोन मोर्गन और वेस्टइंडीज के कप्तान जेसन होल्डर भी खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंता जता चुके हैं।

कोहली ने कहा था कि जैविक रूप से सुरक्षित माहौल में रहने के कारण होने वाला ‘दोहराव’ क्रिकेटरों के लिए मानसिक रूप से मुश्किल हो सकता है और अगर सुरक्षित माहौल में खेलना नियम बनता है तो दौरे के समय पर विचार किया जाना चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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