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अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने के साथ ज्यादातर क्षेत्रों में स्थिति पहले के स्तर पर पहुंच जाएगी: वर्मा

By भाषा | Updated: September 2, 2021 12:42 IST

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प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जयंत आर वर्मा ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस समय अर्थव्यवस्था के दोबारा पटरी पर आने के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के ज्यादातर क्षेत्रों में स्थिति तेजी से महामारी से पहले वाले स्तर पर पहुंच जाएगी। उन्होंने साथ ही कहा कि भारतीय वित्त क्षेत्र का बेहतर स्वास्थ्य भी आर्थिक वृद्धि के लिए एक सकारात्मक कारक है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य वर्मा ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि उच्च और निरंतर बनी हुई मुद्रास्फीति, मौद्रिक नीति के लिए एक बड़ा अवरोधक है। उन्होंने कहा, "मैं इस समय अर्थव्यवस्था के दोबारा पटरी पर लौटने को लेकर काफी सकारात्मक हूं। और मुझे लगता है कि इसकी मदद से हम संपर्क-गहन सेवाओं को छोड़कर अर्थव्यवस्था के ज्यादातर क्षेत्रों में महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच जाएंगे।"वर्मा ने कहा कि आगे चुनौती 2018 के आसपास शुरू हुई मंदी को पलटने और निरंतर मजबूत वृद्धि हासिल करने की है।उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि निरंतर वृद्धि मुख्य रूप से व्यापार क्षेत्र द्वारा पूंजी निवेश की वापसी पर निर्भर करती है और मैं इसे लेकर भी आशान्वित हूं" और भारतीय वित्तीय क्षेत्र का बेहतर स्वास्थ्य भी आर्थिक विकास के लिए एक सकारात्मक कारक है।कोविड-19 की खतरनाक दूसरी लहर के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 20.1 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि दर्ज की गयी। इसका कारण पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही का तुलनात्मक आधार नीचे होना और विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्रों का बेहतर प्रदर्शन रहा है। भारत अब इस साल दुनिया की सबसे तेज विकास दर हासिल करने की राह पर है।उन्होंने कीमतों को लेकर कहा कि 2020-21 में मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर थी, 2021-22 में यह 5.5 प्रतिशत से ऊपर होने की संभावना है, और 2022-23 की पहली तिमाही में भी इसके पांच प्रतिशत से ऊपर रहने का अनुमान है।वर्मा ने कहा, "इतनी लंबी अवधि के लिए बढ़ी हुई मुद्रास्फीति जोखिम पैदा करती है कि परिवार और व्यवसाय भविष्य में भी उच्च मुद्रास्फीति की उम्मीद करना शुरू कर देंगे। मुद्रास्फीति की उम्मीदों की ऐसी खाई मौद्रिक नीति के कार्य को और अधिक कठिन बना देती है।" अर्थशास्त्री ने कहा, "मुद्रास्फीति की उम्मीदों को कम करने वाला एक प्रमुख कारक केंद्रीय बैंक की विश्वसनीयता है। इस विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए, मौद्रिक नीति समिति को मुद्रास्फीति के दबावों का निर्णायक रूप से जवाब देना होगा क्योंकि वे अर्थव्यवस्था में जड़ें जमाना शुरू कर देते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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