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हमने पढ़ा है, अर्थव्यवस्था कोविड महामारी की दूसरी लहर के बाद तेजी से आगे बढ़ रही है: न्यायालय

By भाषा | Updated: September 3, 2021 20:57 IST

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उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कर्ज खातों को गैर-निष्पाादित परिसंपत्ति (एनपीए) या फंसा ऋण घोषित करने को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और अन्य बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई को लेकर दायर याचिकाओं पर आगे सुनवाई से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि कोविड महामारी की दूसरी लहर के बाद देश में अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अवमानना का मामला अदालत और अवमानना करने वालों के बीच है तथा उसकी बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने को लेकर दिलचस्पी नहीं है। न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायाधीश विक्रम नाथ तथा न्यायाधीश हीमा कोहली की पीठ ने कहा, ‘‘हमने यह सोच-विचार कर तय किया है। हमारी अवमाना कार्रवाई करने में कोई रूचि नहीं है क्योंकि यह न्याय के हित में नहीं है।’’ पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता वित्तीय संपत्तियों के पुनर्गठन और प्रतिभूति हितों के प्रवर्तन कानून (सरफेसी कानून), 2002 के तहत मामले के समाधान को लेकर कदम उठाने को स्वतंत्र है। याचिकाएं दायर करने वालों की तरफ से पेश अधिवक्ता विशाल तिवारी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने तीन सितंबर, 2020 को कहा था कि जिन खातों को 31 अगस्त, 2020 तक एनपीए घोषित नहीं किया गया, उसे अगले आदेश तक फंसे ऋण की श्रेणी में नहीं डाला जाए। इसके बावजूद बैंकों ने खातों को सरफेसी कानून के तहत एनपीए घोषित किया है। पीठ ने पहले कहा, ‘‘हमने अखबारों में पढ़ा है कि कोविड महामारी की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था में तीव्र गति से पुनरूद्धार हो रहा है... दूसरी लहर के बाद से जब ये आदेश पारित किये गये थे, तब से काफी चीजें हो चुकी हैं। हम इसके लिये आरबीआई को कुछ नहीं कहेंगे। अवमानना का मामला न्यायालय और अवमानना करने वाले के बीच है।’’ तिवार ने कहा कि आरबीआई ने खुद ही पिछले साल मार्च में राष्ट्रव्यापी नॉलकडाउन के बाद नोटिस जारी किया था जिसमें कर्ज की किस्तों के भुगतान से छूट दी गई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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