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वित्त मंत्रालय चालू वित्त वर्ष में जुटाएगा 80 हजार करोड़ का विनिवेश, लक्ष्य हासिल करने के लिए बनाई योजना

By भाषा | Updated: October 19, 2018 16:22 IST

वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि पिछले तीन-चार महीनों से बाजार में नकदी की कुछ समस्या थी और वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता तथा कच्चे तेल के दाम में उतार-चढ़ाव बने रहने तक यह स्थिति कायम रहेगी।

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नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर (भाषा) वित्त मंत्रालय चालू वित्त वर्ष में 80,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य हासिल करने के लिये केंद्रीय लोक उपक्रमों के विलय एवं अधिग्रहण तथा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा शेयर पुनर्खरीद पर भरोसा कर रहा है।

सरकार ने चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीने में तीन सार्वजनिक उपक्रमों के आईपीओ तथा भारत-22 ईटीएफ के जरिये 9,600 करोड़ रुपये से अधिक जुटाया है।

वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि पिछले तीन-चार महीनों से बाजार में नकदी की कुछ समस्या थी और वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता तथा कच्चे तेल के दाम में उतार-चढ़ाव बने रहने तक यह स्थिति कायम रहेगी।

अधिकारी ने कहा, ‘‘हम विनिवेश लक्ष्य हासिल करेंगे। हम आरईसी द्वारा पीएफएसी में हिस्सेदारी खरीदने जैसे प्रस्तावों पर विचार कर रहे हैं...।’’ 

निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) की विलय एवं अधिग्रहण प्रक्रिया को गति देने के लिये इसके प्रबंधन को लेकर संबंधित कंपनियों से जल्दी ही बोली आमंत्रित करने की योजना है।

सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की पावर फाइनेंस कारपोरेशन (पीएफसी) में 65.61 प्रतिशत हिस्सेदारी ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) को बेचने पर गौर कर रही है। इससे सरकारी खजाने को 14,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।

इसके अलावा वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में शेयरों के संभावित पुनर्खरीद के लिये कोल इंडिया, एनटीपीसी, नालको और एनएमडीसी समेत करीब एक दर्ज केंद्रीय लोक उपक्रमों को भी छांटा है। इसमें भेल, एनएचपीसी, एनबीसीसी, एसजेवीएन, केआईओसीएल तथा हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स भी शामिल हैं।

दिशानिर्देश के अनुसार जिन केंद्रीय उपक्रमों का का नेटवर्थ कम-से-कम 2,000 करोड़ रुपये और नकद एवं बैंकों में जमा राशि 1,000 करोड़ रुपये से अधिक है, उन्हें अनिवार्य रूप से शेयर की पुनर्खरीद करनी है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘करीब एक दर्जन कंपनियां हैं जो शेयरों की पुनर्खरीद करेगी। मौजूदा बाजार स्थिति को देखते हुए हम इस समय और आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) तथा अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (ओएफएस) लाने पर गौर नहीं कर रहे।’

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