Registered Automated Test Stations: सरकार ने भारी मालवाहक और यात्री मोटर वाहनों के लिए पंजीकृत स्वचालित परीक्षण स्टेशन (एटीएस) के माध्यम से अनिवार्य फिटनेस परीक्षण की तारीख 18 महीने बढ़ाकर एक अक्टूबर 2024 कर दी है।
इससे पहले, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कहा था कि एटीएस के जरिए भारी मालवाहक और यात्री मोटर वाहनों की फिटनेस जांच करवाना एक अप्रैल 2023 से अनिवार्य होगा। जबकि मध्यम आकार के मालवाहक वाहनों, मध्यम आकार के यात्री मोटर वाहनों और हल्के मोटर वाहनों (परिवहन) के लिए यह अनिवार्यता पहले से ही एक जून 2024 थी।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘देशभर में एटीएस के तैयार होने की मौजूदा स्थिति को देखते हुए मंत्रालय ने भारी मालवाहक वाहनों/ भारी यात्री मोटर वाहनों, मध्यम मालवाहक वाहनों/मध्यम यात्री मोटर वाहनों तथा हल्के मोटर वाहनों (परिवहन) के लिए एटीएस के जरिए अनिवार्य परीक्षण की तारीख बढ़ाकर एक अक्टूबर 2024 कर दी है।’’
फरवरी में राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य का 82.8 प्रतिशत पर: सरकारी आंकड़ा
केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा फरवरी के अंत में पूरे साल के लक्ष्य का 82.8 फीसदी तक हो गया। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। वित्त वर्ष 2022-23 में अप्रैल-फरवरी के दौरान राजकोषीय घाटा या राजस्व संग्रह और खर्च के बीच का अंतर 14.53 लाख करोड़ रुपये रहा।
वित्त वर्ष 2021-22 की समान अवधि में राजकोषीय घाटा, पूरे साल के संशोधित अनुमान (आरई) का 82.7 प्रतिशत था। सरकार को वित्त वर्ष 2022-23 में घाटा 17.55 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद का 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। सीजीए के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों में शुद्ध कर संग्रह 17,32,193 करोड़ रुपये या 2022-23 के संशोधित अनुमान का 83 प्रतिशत था।
यह आंकड़ा इससे पिछले साल की समान अवधि में 83.9 प्रतिशत था। सरकार का कुल खर्च 34.93 लाख करोड़ रुपये रहा, जिसमें 29,03,363 करोड़ रुपये राजस्व खाता और 5,90,227 करोड़ रुपये पूंजी खाता मद में थे। कुल राजस्व व्यय में 7,98,957 करोड़ रुपये ब्याज भुगतान के लिए और 4,59,547 करोड़ रुपये सब्सिडी के लिए दिए गए।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि 2022-23 के लिए राजकोषीय घाटा संशोधित लक्ष्य से अधिक होने का अनुमान नहीं है। सरकार का लक्ष्य 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.5 फीसदी से नीचे लाने का है।