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RBI का अनुमान चालू वित्त वर्ष में 7.4 प्रतिशत की दर से होगा आर्थिक विकास

By भाषा | Published: June 06, 2018 5:21 PM

रिजर्व बैंक ने कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधियों में सतत रूप से सुधार दिखा है और उत्पादन क्षमता और उत्पादन का अंतर लगभग समाप्त हो गया है। 

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मुंबई , छह जून (भाषा) रिजर्व बैंक ने निवेश को गति मिलने तथा खपत अधिक रहने की उम्मीद में चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। पिछले वित्त वर्ष में यह 6.7 प्रतिशत थी। 

मौद्रिक नीति समिति की 2018-19 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने आज कहा कि हालांकि पेट्रोलियम उत्पादों के दाम में तीव्र वृद्धि खर्च करने योग्य आय को प्रभावित कर सकती है। यह बैठक तीन दिन चली। 

केंद्रीय बैंक ने कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधियों में सतत रूप से सुधार दिखा है और उत्पादन क्षमता और उत्पादन का अंतर लगभग समाप्त हो गया है। 

आरबीआई की तरफ से जारी नीति बयान में कहा गया है , ‘‘ विशेष रूप से निवेश गतिविधियों में पुनरूद्धार हो रहा है और ऋण शोधन तथा दिवाला संहिता के तहत अर्थव्यवस्था के दबाव वाले क्षेत्रों के सुगमता से निपटान से इसमें और तेजी आने की उम्मीद है। ’’ 

केंद्रीय बैंक ने कहा कि कुल मिलाकर आकलन के आधार पर 2018-19 के लिये जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। 

अमेरिकी की साख रेटिंग एजेंसी मूडीज ने पिछले सप्ताह देश की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 7.3 प्रतिशत कर दिया। पूर्व में इसके 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था। उसका कहना था कि तेल की ऊंची कीमतों तथा कड़ी वित्तीय स्थिति का तेजी पर असर पड़ेगा। 

आरबीआई ने अप्रैल - सितंबर अवधि के लिये आर्थिक वृद्धि दर 7.5 से 7.6 प्रतिशत तथा अक्तूबर मार्च के लिये 7.3 से 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। 

उसने कहा कि क्षमता उपयोग तथा ऋण उठान में सुधार से निवेश गतिविधयां मजबूत बनी रहने की उम्मीद है। 

आरबीआई ने कहा कि वैश्विक मांग भी अच्छी बनी हुई है। इससे निर्यात को प्रोत्साहन मिलना चाहिए तथा निवेश को और गति मिल सकती है। इसके अलावा ग्रामीण तथा शहरी दोनों खपत बेहतर बनी हुई है और इसमें और मजबूती की उम्मीद है। 

हालांकि उसने कहा कि भू - राजनीतिक जोखिम , वैश्विक वित्तीय बाजार में उतार - चढ़ाव तथा व्यापार संरक्षणवाद को खतरा घरेलू पुनरूद्धार के रास्ते में चुनौती है। 

आरबीआई ने कहा , ‘‘ यह महत्वपूर्ण है कि सार्वजनिक वित्त से निजी क्षेत्र की निवेश गतिविधियां प्रभावित नहीं हो। केंद्र तथा राज्यों के बजटीय लक्ष्यों पर कायम रहने से मुद्रास्फीति परिदृश्य के ऊपर जाने का जोखिम कम होगा। ’’ 

पिछली बार अप्रैल में हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक से भारत द्वारा खरीदे जाने वाले कच्चे तेल का भाव 66 डालर बैरल से बढ़कर 74 बैरल डालर पहुंच गया है। 

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