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पैरासिटामॉल सहित 850 से अधिक दवाओं के दाम 10 फीसदी तक बढ़ेंगे, 2019 में 2 फीसदी तो 2020 में 0.5 फीसदी बढ़े थे दाम

By विशाल कुमार | Updated: March 26, 2022 10:36 IST

अब बुखार, संक्रामक, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, त्वचा रोग और एनीमिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के दाम बढ़ेंगे। इसमें पेरासिटामोल, फेनोबार्बिटोन, फ़िनाइटोइन सोडियम, एज़िथ्रोमाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन हाइड्रोक्लोराइड और मेट्रोनिडाज़ोल जैसी दवाएं शामिल हैं।

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ठळक मुद्देगैर-सूचीबद्ध दवाओं की कीमतों में हर साल 10 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।पिछले कुछ सालों में आवश्यक दवाओं की कीमतों में मात्र 1 से 2 फीसदी की बढ़ोतरी होती थी।एनपीपीए) ने 2021 के लिए 10.8 फीसदी बदलाव की घोषणा की।

मुंबई: पहले से ही महंगाई की मार झेल रही आम जनता के कंधों पर अब सरकार ने हर घर में इस्तेमाल की जाने वाली सामान्य दवाईयों की कीमतों का भी बोझ डालने जा रही है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 1 अप्रैल से अधिकांश सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में लगभग 850 से अधिक दवाओं की कीमतों में 10.8 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।

अब बुखार, संक्रामक, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, त्वचा रोग और एनीमिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के दाम बढ़ेंगे। इसमें पेरासिटामोल, फेनोबार्बिटोन, फ़िनाइटोइन सोडियम, एज़िथ्रोमाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन हाइड्रोक्लोराइड और मेट्रोनिडाज़ोल जैसी दवाएं शामिल हैं।

दरअसल, नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनपीपीए) ने शुक्रवार को कैलेंडर वर्ष 2021 के लिए थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में 2020 की इसी अवधि की तुलना में 10.8 फीसदी बदलाव की घोषणा की।

बता दें कि, ऐसा पहली बार होगा जब गैरसूचीबद्ध दवाओं (मूल्य नियंत्रण के बाहर) की तुलना में राष्ट्रीय सूची में आने वाली आवश्यक दवाओं की कीमतें अधिक बढ़ रही हैं। गैर-सूचीबद्ध दवाओं की कीमतों में हर साल 10 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।

पिछले कुछ सालों में डब्ल्यूपीआई में होने वाले वार्षिक बदलाव के कारण आवश्यक दवाओं की कीमतों में मात्र 1 से 2 फीसदी की बढ़ोतरी होती थी। 2019 के लिए एनपीपीए ने दवा कंपनियों को लगभग 2 फीसदी की कीमतों में वृद्धि की अनुमति दी थी, जबकि 2020 में वार्षिक डब्ल्यूपीआई में बदलाव के अनुरूप कीमतों में 0.5 फीसदी की वृद्धि की गई थी।

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