नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ ने 25 जुलाई यानी आज बहुमत से फैसला सुनाते हुए कह दिया कि खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के तहत खनिजों पर रॉयल्टी कर की तरह उसे मानना पूरी तरह से गलत है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने बताया कि राज्यों को ये अधिकार है कि जिस जमीन से खनन कर खनिज निकाला जा रहा है, तो उस पर कर और उपकर भारित करने की शक्ति है। कोर्ट ने 25 जुलाई 2024 को कहा कि खनिज अधिकारों के लिए रॉयल्टी लेना एक कॉन्ट्रेंक्ट का बड़ा जरिया है। हालांकि, रॉयल्टी वह भुगतान होता है जो एक उपयोगकर्ता किसी संपदा युक्त भूमि के मालिक को करता है।
जस्टिस नागारथना उन नौ जजों में अकेले थे, जिनका मत उन सभी से अलग रहा कि खनन पर रॉयल्टी टैक्स देने को गलत माना और राज्यों के पास उस भूमि पर कर लगाने की क्षमता नहीं थी जहां से खनिज निकाले जाते हैं।