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Tuhin Kanta Pandey: कौन हैं तुहिन कांत पांडेय?, माधबी पुरी बुच की जगह होंगे नए सेबी प्रमुख

By सतीश कुमार सिंह | Updated: February 28, 2025 12:18 IST

Tuhin Kanta Pandey: मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने 1987 बैच के ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी तुहिन कांत पांडेय को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का चेयरमैन नियुक्त किया है।

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ठळक मुद्देTuhin Kanta Pandey: नियुक्ति पदभार संभालने की तारीख से शुरू में तीन साल या अगले आदेश तक है।Tuhin Kanta Pandey: सेबी प्रमुख की नियुक्ति अधिकतम पांच वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) के लिए की जाती है।Tuhin Kanta Pandey: कई बार सरकार शुरू में सेबी प्रमुख की नियुक्ति तीन साल के लिए करती है।

नई दिल्लीः मोदी सरकार ने वित्त और राजस्व सचिव तुहिन कांत पांडेय को बाजार नियामक सेबी का चेयरमैन नियुक्त किया है। वह माधबी पुरी बुच का स्थान लेंगे जिनका कार्यकाल इस महीने समाप्त हो रहा है। पांडे को माधबी पुरी बुच की जगह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जिनका कार्यकाल 1 मार्च 2025 को समाप्त हो रहा है। मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने 1987 बैच के ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी पांडेय को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का चेयरमैन नियुक्त किया है। नियुक्ति पदभार संभालने की तारीख से शुरू में तीन साल या अगले आदेश तक, इनमें से जो भी पहले हो, के लिए की गयी है। ओडिशा कैडर के 1987-बैच के अधिकारी पांडे वर्तमान में वित्त सचिव और राजस्व विभाग के सचिव के रूप में कार्य कर रहे हैं।

कौन हैं तुहिन कांत पांडे: एक मजबूत वित्तीय ट्रैक रिकॉर्ड वाले नौकरशाह पांडे वित्तीय जटिलताओं का प्रबंधन करने में कोई अजनबी नहीं हैं। 2025-26 के केंद्रीय बजट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए देखा गया है। उन्होंने 1961 के पुराने आयकर अधिनियम को बदलने के लिए एक नए आयकर विधेयक का मसौदा तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) में सबसे लंबे समय तक सेवारत सचिव के रूप में पांडे ने प्रमुख निजीकरण में अहम भूमिका निभाई। जनवरी 2022 में ₹18,000 करोड़ में टाटा समूह को एयर इंडिया की ऐतिहासिक बिक्री भी शामिल थी। विनिवेश और वित्तीय पुनर्गठन में उनकी विशेषज्ञता उनकी नई भूमिका में महत्वपूर्ण होगी।

अनुभवी नौकरशाह और नियमों के पक्के वित्त सचिव तुहिन कांत पांडेय तीन साल के लिए पूंजी बाजार नियामक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख होंगे। पांडेय 1987 बैच के ओडिशा कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं। वह माधबी पुरी बुच की जगह लेंगे, जिनका तीन साल का कार्यकाल शुक्रवार को समाप्त हो रहा है।

बुच सेबी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला और निजी क्षेत्र से चुनी गईं पहली सेबी चेयरपर्सन भी हैं। सेबी प्रमुख का पद ज्यादातर अनुभवी नौकरशाहों के पास रहा है। यह हालिया महीनों में किसी नियामक संस्था के शीर्ष पर नौकरशाह की दूसरी नियुक्ति है। दिसंबर 2024 में सरकार ने शक्तिकान्त दास की सेवानिवृत्ति के बाद राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ​​को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का गवर्नर नियुक्त किया था। बुच ने अपने कार्यकाल में इक्विटी के तेजी से निपटान, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) खुलासे में वृद्धि तथा म्यूचुअल फंड पैठ बढ़ाने जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की।

लेकिन उनके कार्यकाल के अंतिम वर्ष में काफी विवाद हुआ जब सेबी के कर्मचारियों ने ‘‘कामकाज के गलत तरीकों’’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। साथ ही अमेरिका की शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग तथा विपक्षी दल कांग्रेस ने भी उनपर कई आरोप लगाए थे। इस पृष्ठभूमि में, सरकार ने एक अनुभवी नौकरशाह पांडेय को नियामक निकाय का प्रमुख चुना, जिनके पास सरकार के विनिवेश व निजीकरण कार्यक्रमों को संभालने का व्यापक अनुभव है। मृदुभाषी पांडेय नियम पुस्तिका का पालन करने और काम पूरा करने के लिए पहचाने जाते हैं।

दीपम (डीआईपीएएम) सचिव के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान ही एयर इंडिया का निजीकरण किया गया था, जबकि ऐसा करने के कई प्रयास पहले असफल रहे थे। पांडेय ने आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की योजनाओं की भी देखरेख की। पांडेय सेबी के प्रमुख का पद ऐसे समय संभालेंगे जब विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निकासी के बाद बाजार में मंदी का दबाव देखने को मिल रहा है। जनवरी से अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है।

पांडेय निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सचिव हैं। दीपम वित्त मंत्रालय का एक विभाग है जो सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में सरकारी इक्विटी और सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) का भी प्रबंधन करता है। उन्होंने नौ जनवरी को राजस्व विभाग का कार्यभार संभाला था, जब उनके पूर्ववर्ती संजय मल्होत्रा ​​भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर बन गए थे।

पांडेय ने 2025-26 के बजट को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई, जिसमें मध्यम वर्ग को कुल एक लाख करोड़ रुपये की कर राहत दी गई। वे नए आयकर विधेयक के मसौदे को तैयार करने में भी शामिल थे, जो 64 साल पुराने आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा।

दीपम में अपने पांच साल से अधिक के कार्यकाल (24 अक्टूबर 2019 से आठ जनवरी 2025) में पांडेय ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) के विनिवेश को आगे बढ़ाया क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (पीएसई) संबंधी नीति को लागू किया, जिसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में पीएसई में सरकार की उपस्थिति को कम करना था।

पांडेय ने पंजाब विश्वविद्यालय (चंडीगढ़) से अर्थशास्त्र में एमए और बर्मिंघम विश्वविद्यालय (ब्रिटेन) से एमबीए किया है। उन्होंने ओडिशा सरकार और केंद्र सरकार में विभिन्न पदों पर काम किया है। अपने करियर के शुरुआती दौर में पांडेय ने स्वास्थ्य, सामान्य प्रशासन, वाणिज्यिक कर, परिवहन व वित्त विभागों में प्रशासनिक प्रमुख के रूप में काम किया।

उन्होंने ओडिशा राज्य वित्त निगम के कार्यकारी निदेशक और ओडिशा लघु उद्योग निगम के प्रबंध निदेशक के रूप में भी काम किया। केंद्र में उन्होंने योजना आयोग (अब नीति आयोग) में संयुक्त सचिव, कैबिनेट सचिवालय में संयुक्त सचिव और वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव के पद पर सेवाएं दी हैं।

माधवी पुरी बुच तीन साल के कार्यकाल के बाद सेबी प्रमुख के पद से होंगी सेवानिवृत्त

भारत की पहली महिला सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच शुक्रवार को अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद सेवानिवृत्त हो रही हैं। वित्त सचिव तुहिन कांत पांडेय उनकी जगह लेंगे। बुच हाल ही में कथित हितों के टकराव को लेकर पिछले कुछ समय से चर्चा में रही हैं। सेबी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बुच ने दो मार्च 2022 को तीन साल की अवधि के लिए पदभार संभाला था।

वह अप्रैल 2017 से एक मार्च 2022 तक सेबी की पूर्णकालिक सदस्य भी रहीं। बुच ने पूर्व आईएएस अधिकारी अजय त्यागी का स्थान लिया था, जो एक मार्च 2017 से 28 फरवरी 2022 तक, पांच वर्षों तक शीर्ष पद पर रहे थे। बुच ने अपने कार्यकाल में इक्विटी के तेजी से निपटान, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) खुलासे में वृद्धि तथा म्यूचुअल फंड पैठ बढ़ाने जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की।

लेकिन उनके कार्यकाल के अंतिम वर्ष में काफी विवाद हुआ जब सेबी के कर्मचारियों ने ‘‘कामकाज के गलत तरीकों’’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। साथ ही अमेरिका की शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग तथा विपक्षी दल कांग्रेस ने भी उनपर कई आरोप लगाए थे। हालांकि, हिंडनबर्ग ने अपना कारोबार समेटने की इस महीने ही घोषणा की है।

बुच पर पिछले वर्ष अगस्त में इस्तीफा देने का दबाव था, जब हिंडनबर्ग ने उन पर हितों के टकराव का आरोप लगाया था, जिससे अदाणी समूह में हेरफेर और धोखाधड़ी के दावों की गहन जांच नहीं हो सकी। हिंडनबर्ग ने बुच और उनके पति धवल बुच पर विदेशी संस्थाओं में निवेश करने का आरोप लगाया, जो कथित तौर पर एक कोष संरचना का हिस्सा थे।

जिसमें अदाणी समूह के संस्थापक चेयरमैन गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी ने भी निवेश किया था। बुच ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि ये निवेश उनके नियामक का प्रमुख बनने से पहले किए गए थे और उन्होंने खुलासे के लिए सभी आवश्यक नियमों का पालन किया था। सरकार ने हालांकि अपनी ओर से सार्वजनिक रूप से यह नहीं बताया कि क्या उसने बुच से स्पष्टीकरण मांगा था या नहीं।

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