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मारुति सुजुकी ने मेक इन इंडिया प्रोग्राम को किया बूस्ट, 2021 में भारत से रिकॉर्ड संख्या में वाहनों का किया निर्यात

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 3, 2022 20:06 IST

कंपनी ने सोमवार को घोषणा की है कि उसने 2021 में भारत में अपनी विनिर्माण सुविधाओं से कुल 205,450 वाहनों का निर्यात दूसरे देशों में किया है जो अब तक का सबसे अधिक है।

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ठळक मुद्देमारुति सुजुकी ने 205,450 वाहनों का निर्यात दूसरे देशों में कियाकंपनी ने कहा- दुनिया के कई बाजारों में मारुति सुजुकी के वाहनों की बढ़ी डिमांड

मारुति सुजुकी ने साल 2021 में भारत से रिकॉर्ड संख्या में वाहनों का निर्यात किया है। कंपनी ने सोमवार को घोषणा की है कि उसने 2021 में भारत में अपनी विनिर्माण सुविधाओं से कुल 205,450 वाहनों का निर्यात दूसरे देशों में किया है जो अब तक का सबसे अधिक है। मारुति ने भारत सरकार के मेक इन इंडिया पहल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है। मारुति ने अपने इस दावे का भी समर्थन किया है कि उसके वाहन दुनिया भर के कई बाजारों में अधिक से अधिक स्वीकृति प्राप्त कर रहे हैं।

मारुति सुजुकी के एमडी और सीईओ केनिची आयुकावा ने कहा, "हमारी कारों की गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी, विश्वसनीयता, प्रदर्शन और लागत प्रभावशीलता में दुनिया भर के ग्राहकों के विश्वास को जीता है। विशेष रूप से ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में हम अपनी मूल कंपनी सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन और वैश्विक बाजारों में कंपनी के वितरकों के आभारी हैं।"

बता दें कि देश की सबसे बड़ी यात्री वाहन निर्माता कंपनी मारुति भारत से अपनी कारों का निर्यात 100 से अधिक देशों में करती है। यहां से निर्यात का पहला बैच 1986 में हंगरी के लिए एक खेप के साथ शुरू हुआ। तब से अब तक, कंपनी ने लगभग 21.85 लाख वाहनों का निर्यात किया है, जिसमें लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और आसियान देशों के बाजार प्रमुख हैं।

मारुति सुजुकी भारत से लगभग अपने 15 मॉडल विदेशों के बाजारों में निर्यात करती है। इनमें से सबसे लोकप्रिय हैं बलेनो, डिजायर, स्विफ्ट, एस-प्रेसो और ब्रेजा हैं। जबकि कंपनी ने हाल ही में लॉन्च - और अपडेटेड - सेलेरियो को भी इस सूची में जोड़ा है, यह यहां से जिम्नी का निर्माण और निर्यात भी करती है। फिलहाल जिम्नी ऑफ-रोडर सिर्फ विदेशी बाजारों के लिए है।

कंपनी के सीईओ ने कहा कि भारत में अधिकांश अन्य कार निर्माताओं की तरह, 2021 में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में स्थानीयकृत लॉकडाउन से उत्पादन की समयसीमा भी प्रभावित हुई। चिप की कमी का संकट और महामारी से चुनौतियां 2022 के कम से कम पहले शुरूआती कुछ महीनों तक बने रहने की संभावना है। बढ़ती इनपुट कीमतों और परिचालन लागत को भी एक बाधा के रूप में देखा जा रहा है।

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