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1 April 2025: आज पहली तारीख, जेब पर असर?, कारें महंगी, दूध 04 रुपये प्रति लीटर महंगा, देखें कहां-कहां बदलाव

By सतीश कुमार सिंह | Updated: April 1, 2025 05:10 IST

Major Changes in India from 1 April 2025: नए आयकर नियम वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट 2025 भाषण में घोषणा की कि प्रति वर्ष 12 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को आयकर से छूट दी जाएगी।

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ठळक मुद्देMajor Changes in India from 1 April 2025: वित्तीय वर्ष 2025-26 (FY26) में नए आयकर स्लैब आएगा। Major Changes in India from 1 April 2025: UPI दिशा-निर्देशों के साथ-साथ अन्य बदलाव भी किए।Major Changes in India from 1 April 2025: एकीकृत पेंशन योजना (UPS) पुरानी पेंशन योजना की जगह लेगी।

Major Changes in India from 1 April 2025: आज पहली तारीख है। इसका असर आपके जेब पर पड़ने वाला है। 1 अप्रैल को नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के साथ ही कई बदलाव हुए। असर करदाताओं, वेतनभोगी व्यक्तियों और उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। वित्तीय वर्ष 2025-26 (FY26) में नए आयकर स्लैब आएगा। UPI दिशा-निर्देशों के साथ-साथ अन्य बदलाव भी किए। नए आयकर नियम वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट 2025 भाषण में घोषणा की कि प्रति वर्ष 12 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को आयकर से छूट दी जाएगी। प्रभावी रूप से 12.75 लाख रुपये का वेतन कर-मुक्त हो जाएगा। नई पेंशन योजना नियम में बदलाव अगस्त 2024 में सरकार द्वारा शुरू की गई एकीकृत पेंशन योजना (UPS) पुरानी पेंशन योजना की जगह लेगी।

इस बदलाव का असर केंद्र सरकार के करीब 23 लाख कर्मचारियों पर पड़ेगा। कम से कम 25 साल की सेवा वाले कर्मचारी अपने पिछले 12 महीनों के औसत मूल वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर पेंशन के लिए पात्र होंगे। क्रेडिट कार्ड नियम में बदलाव कई बैंक अपने क्रेडिट कार्ड रिवॉर्ड स्ट्रक्चर में बदलाव कर रहे हैं।

सिंपलीक्लिक एसबीआई कार्ड और एयर इंडिया एसबीआई प्लेटिनम क्रेडिट कार्ड रिवॉर्ड पॉइंट स्ट्रक्चर में बदलाव होंगे। एयर इंडिया के साथ एयरलाइन के विलय के बाद एक्सिस बैंक विस्तारा क्रेडिट कार्ड के लाभों में संशोधन करेगा। जिन उपयोगकर्ताओं ने लंबे समय से UPI लेनदेन के लिए अपने मोबाइल नंबर का उपयोग नहीं किया है, उन्हें 1 अप्रैल से पहले अपने बैंक के साथ अपने विवरण अपडेट करने होंगे।

भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और केनरा बैंक सहित प्रमुख बैंक 1 अप्रैल से अपनी न्यूनतम शेषराशि आवश्यकताओं को संशोधित करेंगे। न्यूनतम शेषराशि बनाए रखने में विफल रहने वाले ग्राहकों को दंड का सामना करना पड़ सकता है। करदाताओं को बढ़ी हुई सुरक्षा के लिए GST पोर्टल में लॉग इन करते समय MFA पूरा करना होगा।

अप्रैल से महंगा होगा कार खरीदना, ज्यादातर कंपनियों ने की दाम बढ़ाने की घोषणा

अगले महीने यानी अप्रैल से ज्यादातर कंपनियों की कारें महंगी होने वाली हैं। उत्पादन लागत में बढ़ोतरी और परिचालन खर्च बढ़ने के बीच दिग्गज कंपनियों...मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, हुंदै और अन्य ने अगले महीने से अपने वाहनों के दाम बढ़ाने की घोषणा की है। देश में यात्री कार खंड की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) ने अगले महीने से अपने सभी मॉडल के दाम चार प्रतिशत तक बढ़ाने की घोषणा की है। वाहन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी भारतीय बाजार में प्रवेश स्तर की ऑल्टो के-10 से लेकर बहुउद्देश्यीय वाहन इनविक्टो तक विभिन्न मॉडल बेचती है।

इनकी कीमत क्रमशः 4.23 लाख रुपये से 29.22 लाख रुपये (एक्स-शोरूम दिल्ली) तक है। मारुति की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी हुंदै मोटर इंडिया ने कहा कि वह कच्चे माल और परिचालन लागत में वृद्धि के कारण अप्रैल, 2025 से अपनी कारों के दाम तीन प्रतिशत तक बढ़ाएगी। इसी तरह, टाटा मोटर्स अप्रैल से अपने इलेक्ट्रिक वाहन सहित सभी यात्री वाहनों के दाम बढ़ाने जा रही है।

टाटा मोटर्स इस साल दूसरी बार अपने वाहनों के दाम बढ़ाने की घोषणा की है। महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कहा है कि वह अप्रैल से अपने स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन (एसयूवी) और वाणिज्यिक वाहनों की कीमतों में तीन प्रतिशत तक की बढ़ोतरी करेगी। किआ इंडिया, होंडा कार्स इंडिया, रेनो इंडिया और बीएमडब्ल्यू ने भी अगले महीने से अपने वाहनों की कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणा की है।

डेलॉयट के भागीदार और वाहन क्षेत्र के लीडर रजत महाजन ने कहा कि भारत में कार विनिर्माता आमतौर पर दो बार कीमतों में बढ़ोतरी करते हैं। एक कैलेंडर वर्ष की शुरुआत में और दूसरा वित्त वर्ष की शुरुआत में। उन्होंने कहा, ‘‘बढ़ोतरी की सीमा अलग-अलग हो सकती है, यह मुद्रा में उतार-चढ़ाव से संबंधित हो सकता है, जहां हमें समान उत्पाद, वस्तु या कलपुर्जा आयात करने के लिए अधिक खर्च करने की आवश्यकता होती है।’’ पिछले छह महीनों में, रुपये में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले तीन प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे आयात पर अधिक निर्भर क्षेत्र प्रभावित हुए हैं।

इसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उत्पादन की लागत पर असर पड़ता है। महाजन ने कहा, ‘‘अन्य कारणों में प्रवेश स्तर के वाहनों की मांग में कमी से भी वाहन कंपनियां प्रभावित हुई हैं। खासकर पहली बार के खरीदारों और ग्रामीण ग्राहकों से प्रवेश स्तर के वाहनों की मांग में कमी आई है, जिससे वाहन कंपनियों के मार्जिन पर दबाव पड़ रहा है।’’ इसके अलावा कारों में नियमित रूप से नए ‘फीचर’ जोड़े जा रहे हैं।

इस वजह से भी कंपनियों को अपनी कारों के दाम बढ़ाने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) जानते हैं कि प्रवेश स्तर का खंड मूल्य की दृष्टि से संवेदनशील होता है। ऐसे में वे इस खंड में दाम बढ़ाते समय सतर्कता बरतते हैं। इक्रा कॉरपोरेट रेटिंग्स के उपाध्यक्ष और क्षेत्र प्रमुख रोहन कंवर गुप्ता ने कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी आमतौर पर कैलेंडर/वित्त वर्ष की शुरुआत में की जाती है।

कर्नाटक में एक अप्रैल से दूध चार रुपये प्रति लीटर महंगा होगा

कर्नाटक में एक अप्रैल से दूध की कीमतें चार रुपये प्रति लीटर बढ़ जाएंगी। राज्य के सहकारी मंत्री के एन राजन्ना ने यह घोषणा की। मंत्री ने कहा कि दूध संघों और किसानों के दबाव के कारण कीमतों में वृद्धि की गई है। राजन्ना ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘कीमतें बढ़ाने का फैसला दूग्ध महासंघ ने लिया है। वे प्रति लीटर पांच रुपये की बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे, सरकार ने इस पर सहमति जताई और एक अप्रैल से चार रुपये की वृद्धि का फैसला किया। बढ़ाए गए पूरे चार रुपये किसानों को मिलने चाहिए...।’’

दूध की कीमत में बढ़ोतरी बस और मेट्रो किराये के साथ-साथ बिजली दरों में वृद्धि के मद्देनजर की गई है। इससे पहले कर्नाटक दुग्ध महासंघ (केएमएफ) के अध्यक्ष भीमा नाइक ने भी दूध की कीमतों में वृद्धि का संकेत दिया था। केएमएफ अपने डेरी उत्पादों का विपणन ‘नंदिनी’ ब्रांड के तहत करता है।

केएमएफ ने पिछले साल भी दूध के दाम में दो रुपये प्रति पैकेट की बढ़ोतरी की थी और प्रति पैकेट मात्रा में 50 मिलीलीटर की वृद्धि की थी। केएमएफ का कहना है कि वर्ष 2024 में मूल्य वृद्धि कोई बढ़ोतरी नहीं थी, क्योंकि आपूर्ति की जाने वाली दूध की मात्रा में भी वृद्धि हुई थी। मौजूदा समय में 1,050 मिलीलीटर के नियमित नंदिनी टोंड दूध (नीला पैकेट) की कीमत 44 रुपये है।

सरकार ने एक अप्रैल से प्याज पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क वापस लिया

सरकार ने एक अप्रैल से प्याज पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क को वापस ले लिया है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि यह कदम किसानों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है। बयान में कहा गया कि उपभोक्ता मामलों के विभाग से पत्र मिलने के बाद राजस्व विभाग ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की है।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा, ''यह फैसला किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और उपभोक्ताओं के लिए प्याज की वाजिब कीमत बनाए रखने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का एक और प्रमाण है। रबी फसलों की अच्छी मात्रा में आवक की उम्मीद के बाद थोक और खुदरा कीमतों में गिरावट हुई है।''

निर्यात शुल्क सितंबर 2024 से लागू है। हालांकि, इसके बावजूद चालू वित्त वर्ष में 18 मार्च तक प्याज का निर्यात 11.65 लाख टन पर पहुंच गया। सितंबर 2024 में प्याज का मासिक निर्यात 0.72 लाख टन से बढ़कर इस साल जनवरी में 1.85 लाख टन हो गया। रबी फसल की आवक बढ़ने के कारण प्रमुख उत्पादक राज्यों में प्याज की कीमतों में गिरावट आई है। एशिया में प्याज के सबसे बड़े थोक बाजारों महाराष्ट्र के लासलगांव और पिंपलगांव में 21 मार्च को कीमतें क्रमशः 1,330 रुपये प्रति क्विंटल और 1,325 रुपये प्रति क्विंटल थीं। 

सरकार ने एमएसएमई के लिए निवेश, कुल बिक्री मानदंडों में संशोधन को अधिसूचित किया; एक अप्रैल से होंगे प्रभावी

सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोला उद्यम (एमएसएमई) को वर्गीकृत करने के लिए कुल कारोबार और निवेश मानदंडों में महत्वपूर्ण संशोधनों को अधिसूचित किया है। ये एक अप्रैल से लागू होंगे। अब 2.5 करोड़ रुपये तक के निवेश वाले सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों को ‘‘सूक्ष्म उद्यम’’ के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। इसकी सीमा पहले एक करोड़ रुपये की थी।

कुल कारोबार (टर्नओवर) की सीमा भी पांच करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दी गई है। वहीं 25 करोड़ रुपये तक के निवेश वाली इकाइयों को ‘‘लघु उद्यम’’ के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, जिसकी पहले सीमा 10 करोड़ रुपये थी। ऐसे उद्यमों के लिए कुल कारोबार की सीमा 50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये कर दी गई है।

इसके अलावा 125 करोड़ रुपये तक के निवेश वाले एमएसएमई को अब ‘‘मध्यम उद्यम’’ के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, जबकि पहले यह सीमा 50 करोड़ रुपये थी। मध्यम उद्यमों के लिए कुल कारोबार की सीमा दोगुनी करके 500 करोड़ रुपये कर दी गई है। निवेश तथा कुल कारोबार की सीमा को क्रमशः 2.5 गुना और दो गुना बढ़ाने का प्रस्ताव था।

रिजर्व ने प्राथमिकता क्षेत्र ऋण मानदंडों में किया संशोधन, एक अप्रैल से लागू होंगे नए नियम

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) पर संशोधित दिशानिर्देश जारी किए। इस कवायद का मकसद इन क्षेत्रों को बेहतर ढंग से लक्षित बैंक कर्ज उपलब्ध कराना है। आरबीआई ने कहा कि नए दिशानिर्देश एक अप्रैल, 2025 से प्रभावी होंगे। संशोधित दिशानिर्देशों से अर्थव्यवस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को बेहतर ढंग से लक्षित बैंक ऋण की सुविधा मिलने की उम्मीद है।

नए मानदंडों में किए गए बदलावों में कई ऋण सीमाओं को बढ़ाना शामिल है। इसके तहत नवीकरणीय ऊर्जा के तहत वर्गीकरण को व्यापक बनाया गया है। इनमें कमजोर वर्गों की श्रेणी के तहत कर्ज लेने की योग्यता की सूची को भी बढ़ाया गया है और शहरी सहकारी बैंकों के ऋण पर मौजूदा सीमा को भी खत्म किया गया है।

सरकार का ऑनलाइन विज्ञापनों पर समानीकरण शुल्क को एक अप्रैल से खत्म करने का प्रस्ताव

सरकार ने वित्त विधेयक-2025 में 59 संशोधनों के तहत ऑनलाइन विज्ञापनों पर समानीकरण शुल्क या डिजिटल कर को एक अप्रैल से खत्म करने का प्रस्ताव रखा। विधेयक पर लोकसभा में बहस हो रही है। इस कदम से गूगल, एक्स और मेटा जैसे डिजिटल मंचों को फायदा होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, ऑनलाइन विज्ञापनों पर समानीकरण शुल्क को हटाने का प्रस्ताव अमेरिका के प्रति एक उदार रुख दिखाने के लिए लाया गया है। गौरतलब है कि अमेरिका ने दो अप्रैल से भारत पर जवाबी शुल्क लगाने की धमकी दी है।

समानीकरण शुल्क एक जून, 2016 को ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर लगाया गया था। इसका मकसद डिजिटल अर्थव्यवस्था से कर का एक उचित हिस्सा सुनिश्चित करना है। वित्त विधेयक-2025 में संशोधन वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी द्वारा लोकसभा में पेश किए गए।

सरकार ने पिछले साल ई-कॉमर्स लेनदेन पर दो प्रतिशत समानीकरण शुल्क हटा दिया था, लेकिन ऑनलाइन विज्ञापनों पर छह प्रतिशत शुल्क जारी था। एकेएम ग्लोबल के कर भागीदार अमित माहेश्वरी ने कहा, ‘‘दो प्रतिशत शुल्क की अमेरिका में बहुत आलोचना हुई थी, लेकिन अब उसके द्वारा अधिक शुल्क लगाने की स्थिति में टकराव से बचने के लिए सरकार अधिक उदार रुख दिखा रही है।

ऑनलाइन विज्ञापन पर छह प्रतिशत समानीकरण शुल्क को हटाना उस दिशा में एक कदम है। हालांकि, यह देखना अभी बाकी है कि क्या इन कदमों से अमेरिका के रुख में कोई नरमी आएगी।’’ नांगिया एंडरसन एलएलपी के भागीदार विश्वास पंजियार ने कहा कि समानीकरण शुल्क को पूरी तरह खत्म करने का प्रस्ताव सही दिशा में एक कदम है।

क्योंकि इससे करदाताओं का भरोसा बढ़ता है और शुल्क की एकतरफा प्रकृति के बारे में भागीदार देशों (जैसे अमेरिका) की चिंताओं का समाधान भी होता है। डेलॉयट इंडिया के भागीदार अनिल तलरेजा ने कहा कि वित्त विधेयक-2025 में प्रस्तावित संशोधन काफी हद तक स्पष्टीकरण देने वाले हैं। ये करदाताओं और बड़े व्यवसायों के संदेहों और मुद्दों का समाधान करते हैं।

देसी चना पर एक अप्रैल से 10 प्रतिशत आयात शुल्क

सरकार ने एक अप्रैल से देसी चना (बंगाल ग्राम) पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया है। सरकार ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए पिछले साल मई में चने के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी थी। यह शुल्क छूट 31 मार्च 2025 तक लागू थी।

वित्त मंत्रालय की ओर से 27 मार्च को जारी अधिसूचना के अनुसार एक अप्रैल से देसी चना के आयात पर 10 प्रतिशत शुल्क लगेगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2024-25 में चना उत्पादन 1.15 करोड़ टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 1.1 करोड़ टन था।

जम्मू-कश्मीर में एक अप्रैल से परिजनों को संपत्ति के उपहार पर नहीं लगेगा स्टाम्प शुल्क

जम्मू-कश्मीर सरकार ने खून का रिश्ता रखने वालों के बीच उपहार विलेख के माध्यम से संपत्ति हस्तांतरण पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क को माफ करने की अधिसूचना जारी की है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस अधिसूचना को साझा करते हुए कहा है कि यह छूट एक अप्रैल से प्रभावी हो जाएगी।

अब्दुल्ला ने सात मार्च को अपने बजट भाषण में रक्त संबंधियों के बीच संपत्ति हस्तांतरण पर स्टाम्प शुल्क माफ करने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य करीबी रिश्तेदारों के बीच संपत्ति के लेन-देन को सुव्यवस्थित करना और कानूनी विवादों को कम करना है। वित्त विभाग के प्रमुख सचिव संतोष डी वैद्य ने अधिसूचना में कहा, ‘‘स्टाम्प अधिनियम के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सरकार जनहित में जरूरी समझते हुए खून के रिश्ते वाले संबंधियों के बीच उपहार विलेख के आधार पर संपत्ति हस्तांतरण पर स्टाम्प शुल्क को माफ करती है।’’

मुख्यमंत्री की बजट घोषणा को प्रभावी बनाने के लिए अधिसूचना जारी करने वाले वैद्य ने कहा कि रक्त संबंधियों में पिता, माता, भाई, बहन, बेटा, बेटी, दादा, दादी, पोता और पोती शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर इस अधिसूचना को साझा करते हुए कहा, ‘‘सार्वजनिक सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक अप्रैल से, करीबी पारिवारिक सदस्यों के बीच इस तरह के भूमि हस्तांतरण पर जम्मू और कश्मीर में शून्य स्टांप शुल्क लगेगा।’’ वर्तमान में इस तरह के लेनदेन के लिए स्टाम्प शुल्क तीन प्रतिशत से सात प्रतिशत तक लगता है।

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