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कर्नाटक: अब निजी कंपनियों में इन पदों पर मिलेगा 100% आरक्षण, सिद्धारमैया सरकार ने दी मंजूरी

By आकाश चौरसिया | Updated: July 17, 2024 13:16 IST

सीएम सिद्धारमैया ने बिल को लेकर बताया कि हमारी सरकार कन्नड़ समर्थित सरकार है। इसलिए हमारी प्राथमिकता कन्नड़ के कल्याण को देखने की है और इस क्रम में बड़ा फैसला लिया।

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ठळक मुद्देराज्य सरकार ने प्रदेश के लोगों को दिया बड़ा तोहफा अब प्राइवेट कंपनियों में इन पदों पर मिलेगा 100 फीसदी आरक्षण हालांकि, आज बिल पर अंतिम मुहर सिद्धारमैया सरकार के द्वारा लगा दी गई है

बेंगलुरु:कर्नाटक मुख्य मंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को घोषणा की राज्य सरकार ने ग्रुप 'सी' और ग्रुप 'डी' पदों में निजी कंपनियों में कन्नडिगाओं के लिए 100 फीसद आरक्षण अनिवार्य करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। उन्होंने ये बड़ा फैसला तब लिया है, जब सोमवार को कैबिनेट बैठक हुई थी। 

राज्य के मुखिया सिद्धारमैया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर ट्वीट कर कहा, बीते दिन यानी मंगलवार को कैबिनेट बैठक में एक बिल पर मुहर लगी थी, जिसमें निजी कंपनियों में ग्रुप सी और डी में 100 फीसद कन्नडिगाओं को आरक्षण देने की बात पर आम सहमति बनी थी। 

सीएम ने आगे कहा कि हमारी सरकार कन्नड़ समर्थित सरकार है। इसलिए हमारी प्राथमिकता कन्नड़ के कल्याण को देखने की है और इस क्रम में बड़ा फैसला लिया। हालांकि, सामने आई खबर पर करीबी सूत्रों ने मीडिया को बताया कि कर्नाटक राज्य उद्योगों, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवारों का रोजगार विधेयक, 2024 गुरुवार को विधानसभा में पेश किया जाएगा।

बिल में क्या..बिल की कॉपी मीडिया को मिली, जिसमें साफ-साफ कहा गया है कि राज्य में किसी इंडस्ट्री या स्थापित उद्योगों में 50 प्रतिशत लोकल कैंडिडेट को मैनेजमेंट कैटेगरी में भर्ती करना होगा। यही नहीं 70 प्रतिशत गैर-मैनेजमेंट कैटेगरी में प्राइवेट कंपनियों को ऐसा करना होगा। 

इसके साथ बिल से पता चला कि अगर किसी कैंडिडेट के पास सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट कन्नड़ भाषा के साथ नहीं, तो उसे जरूरी है कि वो नोडल एजेंसी के द्वारा आयोजित कन्नड़ में दक्षता पाने के लिए टेस्ट में बैठे और उसे प्राइवेट कंपनियों में लगाएं, जिससे मिलने वाली नौकरी में उन्हें प्राथमिकता मिलेगी। 

प्रशिक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाए कंपनीइसमें कहा गया है कि यदि योग्य स्थानीय उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं, तो सरकार या एजेंसियों के सक्रिय सहयोग से प्रतिष्ठानों को तीन साल के भीतर उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए कदम उठाने चाहिए। प्रस्तावित विधेयक में कहा गया है कि इस तरह के आदेश को सरकार अंतिम रूप देने जा रही है, 25 फीसदी मैनेजमेंट कैटेगरी और 50 प्रतिशत गैर-मैनेजमेंट कैटेगरी में इससे कम आरक्षण नहीं होना चाहिए।  

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