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जापान की अर्थव्यवस्था जर्मनी से इतनी फीसदी ग्रोथ से पिछड़ी, जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह

By आकाश चौरसिया | Updated: February 15, 2024 12:20 IST

अर्थशास्त्रियों ने इस जापान की स्थिति पर मानना है कि डॉलर के मुकाबले येन में महत्वपूर्ण बदलाव हुए, लेकिन ये जर्मनी की अर्थव्यवस्था में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इस कारण जापान की अर्थव्यवस्था 0.3 फीसदी के अंतर्गत सिकुड़ गई। इस बड़े अंतर से जर्मनी आगे निकल गया।

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ठळक मुद्देजर्मनी से इतनी फीसदी ग्रोथ के कारण जापान पिछड़ गयाजापान की ग्रोथ साल 2023 में वृद्धि 1.9 फीसदी की हुईजापानी मुद्रा 2023 में अमेरिकी मुद्रा की परफॉर्मेंस के मुकाबले लगभग चौथे स्थान पर पहुंच गई

नई दिल्ली: जापान विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान खोते हुए चौथे पायदान पर पहुंच गया है, पिछले साल के आंकड़े बताते हैं कि जर्मनी ने जापान को पीछे छोड़ते हुए यह स्थान प्राप्त किया। इस बात की जानकारी गुरुवार को आए आंकड़ों में इस बात की जानकारी सामने आई है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जापान की ग्रोथ में वृद्धि 1.9 फीसदी की हुई, जापान 2023 सकल घरेलू उत्पाद में डॉलर के मुकाबले 4.2 ट्रिलियन डॉलर के साथ नाममात्र की वृद्धि हुई है। वहीं, दूसरी ओर सामने आए डेटा में ये बात सामने आई है कि जर्मनी की कुल जीडीपी 4.5 ट्रिलियन डॉलर के साथ तीसरे पायदान पर काबिज हो गई। 

अर्थशास्त्रियों का जापान की इस स्थिति पर मानना है कि डॉलर के मुकाबले येन में महत्वपूर्ण बदलाव हुए, जर्मनी की अर्थव्यवस्था को इससे झटका लगा और मुद्रास्फीति का भी सामना करना पड़ा। इस कारण जापान की अर्थव्यवस्था 0.3 फीसदी के तहत सिकुड़ गई। इस बड़े अंतर से जर्मनी आगे निकल गया। जापानी मुद्रा 2022 और 2023 में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले लगभग चौथे स्थान पर पहुंच गई, जिस कारण पिछले साल लगभग 7 फीसदी की गिरावट आई है।  

ऐसा आंशिक रूप से इसलिए हुआ क्योंकि कीमतों को बढ़ावा देने के प्रयास में बैंक ऑफ जापान ने अन्य प्रमुख केंद्रीय बैंकों के विपरीत नकारात्मक ब्याज दरों को बनाए रखा है, जिन्होंने बढ़ती मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए उधार लेने की लागत बढ़ा दी है। फिच रेटिंग्स के अर्थशास्त्री ब्रायन कॉलटन ने कहा, डॉलर की मात्रा में वृद्धि होने के कारण येन कहीं न कहीं गिर गया। जापान की स्थिति असल में जीडीपी अच्छा परफॉर्म नहीं कर रही है। 

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ऊर्जा की बढ़ती कीमतों से जर्मनी के अत्यधिक निर्यात-निर्भर निर्माता विशेष रूप से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यूरोपीय सेंट्रल बैंक द्वारा यूरोजोन में ब्याज दरें बढ़ाने के साथ-साथ अपने बजट पर अनिश्चितता और कुशल श्रम की पुरानी कमी से भी बाधित हुई है।   

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