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चालू खाता घाटे पर कच्चे तेल, कोयले की बढ़ती कीमतों का असर अस्थायी: रिपोर्ट

By भाषा | Updated: October 14, 2021 20:52 IST

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मुंबई, 14 अक्टूबर कई वर्षों के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने वाली कच्चे तेल और कोयले की कीमतों में तेजी से चालू खाता घाटे (सीएडी) में अस्थायी उछाल आ सकता है और यह रुपये को 78 के स्तर तक पहुंचा सकता है, लेकिन देश के पास इस तरह के संकट से निपटने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मार्च 2022 तक कच्चे तेल की कीमत 68 डॉलर प्रति बैरल तक गिर सकती है।

स्विस ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस सिक्योरिटीज ने बृहस्पतिवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि कच्चे तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि से सीएडी बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.5 प्रतिशत या 14 अरब अमेरिकी डॉलर तक हो सकता है। अगर कच्चे तेल की कीमत, जो अभी तीन साल के उच्चतम स्तर पर है, 100 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाती है, तो यह सीएडी को जीडीपी के लगभग तीन प्रतिशत तक पहुंचा सकती है, लेकिन यह केवल अस्थायी होगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, इसका मतलब यह भी हो सकता है कि रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरकर 78 पर पहुंच रहा है लेकिन साथ ही 637 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार 2013 के स्तर से 2.3 गुना ज्यादा है। इसके साथ बड़े पैमाने पर एफडीआई प्रवाह और आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के पैसे से बाजारों में बाढ़ आ गयी है, और दोनों ही इसके तेज पुनरुद्धार में मदद कर रहे हैं।

देश अपने कच्चे तेल की मांग का 84 प्रतिशत हिस्सा आयात से पूरा करता है और वित्त वर्ष 21 में तेल आयात 57 अरब डॉलर का था या जीडीपी का 2.1 प्रतिशत था। कच्चे तेल की कीमतें अगस्त के निचले स्तर से 30 प्रतिशत ऊपर हैं और तीन साल के उच्चतम स्तर के करीब हैं तथा वैश्विक तेल की कीमतों में कोई भी निरंतर वृद्धि व्यापक सीएडी, उच्च मुद्रास्फीति और कमजोर रुपये के संदर्भ में अर्थव्यवस्था के लिए एक नकारात्मक झटका है।

यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया की मुख्य अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने कच्चे तेल के लिए पूर्वानुमान लगाते हुए कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में 10 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि से सीएडी 14 अरब डॉलर तक बढ़ जाएगा या जीडीपी का 0.5 प्रतिशत हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमत अगर 100 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल को छूती है, तो यह अस्थायी रूप से सीएडी को जीडीपी के लगभग तीन प्रतिशत तक धकेल सकती है और रुपये को अस्थायी रूप से 78 तक पहुंचा सकती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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