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जीएसटी चौथी वर्षगांठ: वित्त मंत्रालय 54,439 जीएसटी करदाताओं को सम्मानित करेगा

By भाषा | Updated: June 30, 2021 21:45 IST

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नयी दिल्ली, 30 जून देश में अप्रत्यक्ष कर की नई प्रणाली वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू किये जाने की चौथी वर्षगांठ के मौके पर वित्त मंत्रालय 54,000 से अधिक जीएसटी करदाताओं को सही समय पर रिटर्न दाखिल करने और कर का नकद भुगतान करने पर प्रशंसा प्रमाणपत्र जारी कर उन्हें सम्मानित करेगा।

मंत्रालय ने कहा है कि जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद से अब तक 66 करोड़ से अधिक रिटर्न दाखिल की गई हैं। जीएसटी के तहत दरें कम होने से कर अनुपालन बढ़ा है। इस दौरान जीएसटी राजस्व में धीरे धीरे वृद्धि होती रही और पिछले आठ महीने से यह लगातार एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर बना हुआ है।

देश में एक जुलाई 2017 को जीएसटी व्यवस्था लागू की गई। अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में एक बड़े बदलाव के तौर पर इस व्यवस्था को शुरू किया गया। जीएसटी में केन्द्र और राज्यों के स्तर पर लगाने वाले उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट और 13- उपकर जैसे कुल 17 तरह के करों को समाहित किया गया है।

मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘‘जीएसटी व्यवस्था लागू होने की चौथी वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर यह तय किया गया है कि उन करदाताओं को सम्मानित किया जाना चाहिये जो कि जीएसटी की सफलता की कहानी में भागीदार रहे हैं।’’

बयान में कहा गया है कि केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने आंकड़ों का विश्लेषण कर उन करदाताओं की पहचान की है जिन्होंने सही समय पर रिटर्न दाखिल करने के साथ जीएसटी का नकद में भुगतान कर व्यापक योगदान किया है। इस विश्लेषण के परिणामस्वरूप 54,439 करदाताओं की पहचान की गई है।

पहचान किये गये इन करदाताओं में 88 प्रतिशत से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमी है। इसमें सूक्ष्म (36 प्रतिशत), लघु (41 प्रतिशत) और मध्यम श्रेणी के उद्यमी (11 प्रतिशत) शामिल हैं। ये उद्यमी विभिन्न राज्यों और संघ शासित प्रदेशों से हैं जहां यह माल की आपूर्ति और सेवा प्रदाता कार्य करते हैं।

केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) इन करदाताओं को प्रशंसा प्रमाणपत्र जारी करेगा।

माल एवं सेवाकर नेटवर्क (जीएसटीएन) इनमें से प्रत्येक करदाताओं को ई-मेल के जरिये प्रशंसा प्रमाणपत्र भेजेगा। करदाता इन प्रमाणपत्रों का प्रिंट लेकर उसे अपने कार्यस्थल पर प्रदर्शित कर सकते हैं।

आयकर विभाग भी विभिन्न श्रेणी में दिये गये कर के मुताबिक करदाताओं को प्रशंसा पत्र जारी करता है।

जीएसटी व्यवसथा के तहत 40 लाख रुपये तक वार्षिक कारोबार वाले व्यवसायों को कर से छूट है। इसके अतिरिक्त 1.5 करोड़ रुपये तक कारोबार करने वाले कारोबारी कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुन सकते हैं और केवल एक प्रतिशत कर का भुगतान कर सकते हैं।

इसी तरह सेवाओं के मामले में एक साल में 20 लाख रुपये तक कारोबार वाले सेवा व्यवसायों को छूट दी गई है। इसके बाद एक साल में 50 लाख रुपये तक का कारोबार करने वाले सेवाप्रदाता कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुन सकते हैं और उन्हें केवल छह प्रतिशत कर का भुगतान करना होता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी जीएसटी प्रणाली के चार साल पूरे होने पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘भारत के आर्थिक क्षेत्र में जीएसटी एक महत्वपूर्ण पड़ाव रहा है। इससे विभिन्न करों की संख्या कम हुई है, आम आदमी पर अनुपालन और सकल कर बोझ कम हुआ है जबकि पारदर्शिता, अनुपालन और सकल संग्रह उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। ’’

वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा, ‘‘अब यह व्यापक रूप से मान लिया गया है कि जीएसटी उपभोक्ताओं और करदाताओं, दोनों के अनुकूल है। जीएसटी से पहले की ऊंची कर दरों ने कर भुगतान को हतोत्साहित किया, जबकि जीएसटी प्रणाली में निम्न दरें होने से अनुपालन बढ़ाने में मदद मिली है। अब तक 66 करोड़ से अधिक जीएसटी रिटर्न दाखिल की गई हैं।’’

वित्त मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी के तहत लगभग 1.3 करोड़ करदाताओं के पंजीकरण के साथ अनुपालन में लगातार सुधार हो रहा है। इससे पहले विभिन्न राज्यों में अलग अलग कर की दरें होने से काफी मुश्किलें होतीं थी और अनुपालन लागत भी बढ़ जाती थी। सरकार करदाता सेवाओं में लगातार सुधार लाने के लिये प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही वह राष्ट्र के विकास और एक मजबूत भारत के लिये स्वैच्छिक रूप से अनुपालन के जरिये सभी करदाताओं का सहयोग चाहती है।

वित्त मंत्रालय ने हैशटैग ‘4इयरऑफजीएसटी’ के साथ ट्वीट करते हुए कहा कि जीएसटी प्रणाली में लोगों के लिये कर भुगतान की दर में कमी आई है।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘राजस्व निरपेक्ष दर (आरएनआर) समिति द्वारा अनुशंसित राजस्व तटस्थ दर 15.3 प्रतिशत थी। इसकी तुलना में आरबीआई के अनुसार वर्तमान में भारित जीएसटी दर केवल 11.6 प्रतिशत है।’’

जीएसटी व्यवसथा में चार कर श्रेणियां हैं। आवश्यक वस्तुओं पर सबसे कम पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है। कई वस्तुओं को इससे छूट भी दी गई है। सबसे ऊंची 28 प्रतिशत की दर कारों और भोग विलास से जुड़ी वस्तुओं पर लगता है। वहीं बीच में 12 और 18 प्रतिशत की दो अन्य दरें भी रखी गई हैं। इससे पहले वैट, उत्पाद शुल्क, सीएसटी कुल मिलाकर कर की दर 31 प्रतिशत तक पहुंच जाती थी।

मंत्रालय ने आगे कहा कि जीएसटी ने जटिल अप्रत्यक्ष कर ढांचे को एक सरल, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी संचालित कर व्यवस्था में बदल दिया है और इस तरह पूरे भारत को एक साझा बाजार बना दिया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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