नई दिल्लीः रेस्तरां में व्यंजन चुनने से लेकर उपहार खरीदने जैसे छोटे-छोटे निर्णयों में भी अब बड़ी संख्या में भारतीय प्रौद्योगिकी का सहारा ले रहे हैं। एक सर्वेक्षण में यह जानकारी मिली है। ‘सेंटर फ्रेश’ और ‘यूगव’ की साझा रिपोर्ट बताती है कि नए जमाने के डिजिटल उपकरण जैसे ‘चैटजीपीटी’ और गूगल, अब भारतीयों के लिए अनिश्चित परिस्थितियों में सही जानकारी और स्पष्टता पाने का प्रमुख माध्यम बनते जा रहे हैं। सर्वेक्षण में 2,100 लोगों को शामिल किया गया, जिसमें पाया गया कि 81 प्रतिशत भारतीय प्रतिदिन तीन घंटे से अधिक समय तक जरूरत से ज्यादा सोचने में बिताते हैं।
चार में से एक शख्स ने स्वीकार किया कि "यह एक निरंतर आदत है।" 'इंडिया ओवरथिंकिंग रिपोर्ट' के अनुसार, तीन में से एक व्यक्ति ने ज्यादा सोच विचार से निपटने के लिए गूगल या ‘चैटजीपीटी’ का उपयोग किया है और इसका इस्तेमाल एक छोटे संदेश को डिकोड करने से लेकर उपहार खरीदने का निर्णय लेने तक के लिए किया।
सर्वेक्षण में देश भर के छात्र, पेशेवर और खुद का व्यवसाय करने वाले लोग शामिल थे। सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत में ज्यादा सोचना (ओवर थिंकिंग) दैनिक जीवन का हिस्सा बन गया है और ऐसा सिर्फ संकट के वक्त नहीं होता है, बल्कि छोटी से छोटी बात, नियमित निर्णयों में भी होता है।
रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल 63 प्रतिशत लोगों ने कहा कि किसी रेस्तरां में व्यंजन चुनना "किसी राजनीतिक नेता को चुनने से भी अधिक तनावपूर्ण है।" इसमें कहा गया है, “अनिश्चितता का सामना करने पर, भारतीय स्पष्टता के लिए तेजी से प्रौद्योगिकी की ओर रुख कर रहे हैं।”