Defence Budget 2025: सरकार ने शनिवार को 2025-26 के रक्षा बजट के लिए 6,81,210 करोड़ रुपये आवंटित किए जो पिछले साल के परिव्यय 6,21,940 करोड़ रुपये से अधिक है। कुल पूंजी परिव्यय 1,92,387 करोड़ रुपये आंका गया है। राजस्व व्यय 4,88,822 करोड़ रुपये रखा गया है, जिसमें पेंशन के लिए 1,60,795 करोड़ रुपये शामिल हैं। पूंजीगत व्यय के तहत विमान और वैमानिकी इंजनों के लिए 48,614 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं जबकि नौसेना बेड़े के लिए 24,390 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। अन्य उपकरणों के लिए 63,099 करोड़ रुपये की राशि अलग रखी गई है।
सरकार ने 2024-25 में रक्षा बजट के लिए 6,21,940 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। पूंजी परिव्यय 1,72,000 करोड़ रुपये आंका गया था। सीतारमण द्वारा शनिवार को पेश किए गए केंद्रीय बजट 2025-26 के अनुसार, देश-विदेश में सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने और बुनियादी ढांचे से संबंधित आवश्यक प्रशिक्षण के सिलसिले में अगले वित्त वर्ष के लिए कार्मिक मंत्रालय को 334 करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किए गए हैं। प्रशासनिक सुधारों के लिए 100 करोड़ रुपए की राशि निर्धारित की गई है।
यह प्रावधान सरकारी कार्यालयों के आधुनिकीकरण, प्रशासनिक सुधारों से जुड़ीं पायलट परियोजनाओं के लिए है, जिसमें ई-गवर्नेंस, सुशासन को बढ़ावा देना और जन शिकायतों के निवारण के लिए व्यापक प्रणाली शामिल है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कुल 334.45 करोड़ रुपये के आवंटन में से 105.99 करोड़ रुपये प्रशिक्षण प्रभाग, सचिवालय प्रशिक्षण और प्रबंधन संस्थान (आईएसटीएम) और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) संबंधी व्यय को पूरा करने के लिए हैं।
इसके अलावा 118.46 करोड़ रुपये "प्रशिक्षण योजनाओं" और 110 करोड़ रुपये "राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम" के लिए हैं। नई पीढ़ी के वित्तीय सुधारों के तहत बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने 2025-26 का आम बजट पेश करते हुए कहा कि बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह बढ़ी हुई सीमा उन कंपनियों के लिए होगी, जो पूरा प्रीमियम भारत में निवेश करती हैं।
विदेशी निवेश से जुड़ी मौजूदा सुरक्षा और शर्तों की समीक्षा की जाएगी और उन्हें सरल बनाया जाएगा।’’ एफडीआई सीमा बढ़ाने के लिए सरकार को बीमा अधिनियम 1938, जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 में संशोधन करना होगा।
बीमा अधिनियम 1938 भारत में बीमा के लिए विधायी ढांचा प्रदान करने वाला प्रमुख कानून है। यह बीमा व्यवसायों के कामकाज के लिए रूपरेखा देता है और बीमाकर्ता, उसके पॉलिसीधारकों, शेयरधारकों और नियामक - भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है।
इस क्षेत्र में और अधिक कंपनियों के प्रवेश से न केवल बीमा का प्रसार बढ़ेगा, बल्कि देश भर में अधिक रोजगार सृजन भी होगा। इस समय देश में 25 जीवन बीमा कंपनियां और 34 गैर-जीवन या साधारण बीमा कंपनियां हैं। बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को आखिरी बार 2021 में 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत किया गया था।