देश में रोजगार की गंभीर स्थिति, औसत आर्थिक वृद्धि दर अप्रैल-जून में 6 प्रतिशत रहने का अनुमान

By भाषा | Published: August 26, 2019 06:01 PM2019-08-26T18:01:39+5:302019-08-26T18:01:39+5:30

देश की आर्थिक वृद्धि दर 2018-19 की अप्रैल-जून तिमाही में 8.2 प्रतिशत थी। फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वे के अनुसार, ‘‘एनएसएसओ के हाल में जारी बेरोजगारी के आंकड़े देश में रोजगार की गंभीर स्थिति को बयां करता है।’’

Critical employment situation in the country, average economic growth rate is estimated to be 6 percent in April-June | देश में रोजगार की गंभीर स्थिति, औसत आर्थिक वृद्धि दर अप्रैल-जून में 6 प्रतिशत रहने का अनुमान

आने वाले समय में धीमी वैश्विक वृद्धि से भारत की वृद्धि संभावना प्रभावित होगी।

Highlightsकेंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय अगले सप्ताह पहली तिमाही के आर्थिक वृद्धि के आंकड़े जारी करेगा।उद्योग मंडल ने 2019-20 में सालाना औसत जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।

देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में औसतन 6 प्रतिशत रहेगी। उद्योग मंडल फिक्की ने एक रिपोर्ट में यह कहा है।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय अगले सप्ताह पहली तिमाही के आर्थिक वृद्धि के आंकड़े जारी करेगा। देश की आर्थिक वृद्धि दर 2018-19 की अप्रैल-जून तिमाही में 8.2 प्रतिशत थी। फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वे के अनुसार, ‘‘एनएसएसओ के हाल में जारी बेरोजगारी के आंकड़े देश में रोजगार की गंभीर स्थिति को बयां करता है।’’

उद्योग मंडल ने 2019-20 में सालाना औसत जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इसके न्यूनतम 6.7 प्रतिशत और अधिकतम 7.2 प्रतिशत तक जाने का अनुमान है। सर्वे में शामिल ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक नरम रुख बनाये रखेगा और 2019-20 की शेष अवधि में रेपो दर में और कटौती की जाएगी।

उनका मानना है कि मौजूदा वास्तविक ब्याज दर ऊंची है। जमा में हल्की वृद्धि से बैंक परेशान हैं क्योंकि इससे उनके कर्ज देने की क्षमता प्रभावित हो रही है और यह उन्हें पर्याप्त रूप से ब्याज दर में कटौती का लाभ देने से रोक रहा है। सर्वे में शामिल प्रतिभागियों ने अधिक रोजगार सृजित करने के लिये सुधार के चार क्षेत्रों को चिन्हित किया है।

ये चार क्षेत्र हैं... कारोबार करने की लागत, नियामकीय सुधार, श्रम सुधार और क्षेत्र केंद्रित विशेष पैकज की घोषणा। उनका कहना है कि आने वाले समय में धीमी वैश्विक वृद्धि से भारत की वृद्धि संभावना प्रभावित होगी। रिपोर्ट में अर्थशास्त्रियों ने आम सहमति से भारत की संभावित वृद्धि दर 7 से 7.5 प्रतिशत रहेगी, जो कुछ साल पहले जतायी गयी 8 प्रतिशत की संभावना से कम है।

हालांकि बहुसंख्यक अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जीडीपी वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहेगी। सर्वे में शामिल प्रतिभागियों ने पहले हासिल की गई 8 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर को दोहराने और उसे बनाये रखने की संभावना पर संदेह जताया। हालांकि इस मामले में अर्थशास्त्री बंटे दिखे।

आशावादी अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मौजूदा वैश्विक माहौल को देखते हुए परिस्थिति में बदलाव चुनौतीपूर्ण होगा और इसमें कम-से-कम तीन से चार साल लग सकते हैं। देश की वृद्धि दर की संभावना हासिल करने के बारे में अर्थशास्त्रियों ने कृषि क्षेत्र को गति देने, सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों को मजबूत बनाने, उत्पादन साधन बाजार सुधारों को आगे बढ़ाने तथा बुनियादी ढांचा क्षेत्र के वित्तपोषण के लिये विकल्प बढ़ाने के सुझाव दिये। यह सर्वे इस साल जून-जुलाई के दौरान उद्योग, बैंक और वित्तीय सेवा क्षेत्र से जुड़े अर्थशास्त्रियों के बीच किया गया। 

Web Title: Critical employment situation in the country, average economic growth rate is estimated to be 6 percent in April-June

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