उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से बंबई उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब देने को कहा है। बंबई उच्च न्यायालय ने नियामक द्वारा प्रसारण उद्योग पर पिछले साल पारित शुल्क आदेश की वैधता को उचित ठहराया था। हालांकि, उच्च न्यायालय ने एक शर्त को हटा दिया था जिसमें कहा गया था कि किसी एक चैनल का दाम उसी ‘समूह’ में सबसे अधिक कीमत वाले चैनल के एक-तिहाई से अधिक नहीं हो सकता है। उच्च न्यायालय के 30 जून के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आईं। पीठ ने इन याचिकाओं पर नोटिस जारी किया, लेकिन अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। पीठ में न्यायमूर्ति सूर्य कान्त और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी शामिल हैं। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में अंतरिम राहत देने के सवाल पर विचार को अगली सुनवाई की तिथि सात सितंबर तय की है। एक याचिकाकर्ता की ओर उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह मुद्दा समूचे प्रसारण उद्योग को प्रभावित कर रहा है। केंद्र की ओर से उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय ने कहा है कि यह नियमन लाखों उपभोक्ताओं के हित में है। पीठ ने इस मामले में प्रतिवादियों से अपना जवाबी हलफनामा सुनवाई की अगली तारीख से पहले दाखिल करने को कहा है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।