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Central Government: 3 बड़े फैसले, प्याज-बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य हटाया, जमाखोरी, कीमत वृद्धि रोकने के लिए गेहूं भंडारण सीमा सख्त

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 13, 2024 21:53 IST

Central Government: डीजीएफटी ने शुक्रवार को जारी अधिसूचना के जरिये तत्काल प्रभाव से एमईपी को हटा दिया।

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ठळक मुद्दे महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों से पहले उठाया गया है, जो प्याज का प्रमुख उत्पादक राज्य है।कदम से प्याज के निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।मॉडल मूल्य 50 रुपये प्रति किलोग्राम है।

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने किसान हित में 3 बड़े फैसले किए हैं। सरकार ने शुक्रवार को प्याज और बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात के लिए न्यूनतम मूल्य सीमा को समाप्त कर दिया। सरकार ने जमाखोरी और कीमत वृद्धि रोकने के लिए गेहूं भंडारण सीमा सख्त की है। इस पहल का मकसद किसानों की आय बढ़ाना है। सरकार ने पहले न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 550 डॉलर प्रति टन तय किया था। इसका मतलब था कि किसान इस दर से कम पर अपनी उपज विदेशों में नहीं बेच सकते थे। डीजीएफटी ने शुक्रवार को जारी अधिसूचना के जरिये तत्काल प्रभाव से एमईपी को हटा दिया।

यह कदम महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों से पहले उठाया गया है, जो प्याज का प्रमुख उत्पादक राज्य है। इस कदम से प्याज के निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने अधिसूचना में कहा, ‘‘प्याज के निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) की शर्त तत्काल प्रभाव से और अगले आदेश तक हटा दिया गया है।’’

इस प्रमुख रसोई के खाद्य सामग्री की उच्च खुदरा कीमतों के बावजूद प्याज पर एमईपी को हटाने का निर्णय लिया गया है। उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार को प्याज का अखिल भारतीय औसत मूल्य 50.83 रुपये प्रति किलोग्राम था, जबकि मॉडल मूल्य 50 रुपये प्रति किलोग्राम है।

प्याज का अधिकतम मूल्य 83 रुपये प्रति किलोग्राम है और न्यूनतम मूल्य 28 रुपये प्रति किलोग्राम है। केंद्र ने पांच सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और मुंबई के उपभोक्ताओं को प्याज की बढ़ती कीमतों से राहत देने के लिए 35 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर प्याज की खुदरा बिक्री का पहला चरण शुरू किया।

राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) ने अपने स्टोर और मोबाइल वैन के माध्यम से खुदरा बिक्री शुरू कर दी है। ये सरकार की ओर से 4.7 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाए हुए हैं, पिछले सप्ताह, उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा कि आने वाले महीनों में प्याज की उपलब्धता और कीमतों का परिदृश्य, सकारात्मक बना हुआ है।

इसका कारण खरीफ (गर्मी) की बुवाई का रकबा पिछले महीने तक 2.9 लाख हेक्टेयर तक बढ़ गया है, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 1.94 लाख हेक्टेयर था। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, लगभग 38 लाख टन प्याज का भंडार अभी भी किसानों और व्यापारियों के पास होने की रिपोर्ट है।

सरकार ने बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य हटाया

सरकार ने बासमती चावल पर 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) हटा दिया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि इस कदम से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय बढ़ेगी। वाणिज्य विभाग की एक सूचना के अनुसार, ‘‘बासमती चावल के निर्यात के लिए पंजीकरण-सह-आवंटन प्रमाण पत्र (आरसीएसी) जारी करने के लिए 950 डॉलर टन के मौजूदा न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को हटाने का निर्णय लिया गया है।’’ एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरध) से इस निर्णय को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया है।

हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है कि एपीडा बासमती निर्यात के लिए किसी भी अवास्वतिक मूल्य पर होने वाले निर्यात अनुबंध पर करीब से नजर रखेगा। सरकार ने पिछले साल अक्टूबर की शुरुआत में बासमती चावल के निर्यात के लिए न्यूनतम कीमत को 1,200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन कर दिया था।

अधिक कीमतों के कारण निर्यात प्रभावित होने की चिंताओं के चलते ऐसा किया गया था। सरकार ने 27 अगस्त, 2023 को प्रीमियम बासमती चावल की आड़ में सफेद गैर-बासमती चावल के अवैध निर्यात पर लगाम लगाने के लिए 1,200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से कम कीमत पर बासमती चावल के निर्यात की अनुमति नहीं देने का फैसला किया था। भारत का बासमती चावल का कुल निर्यात 2022-23 में कीमत के लिहाज से 4.8 अरब डॉलर रहा, जबकि मात्रा के लिहाज से यह 45.6 लाख टन था।

सरकार ने जमाखोरी, कीमत वृद्धि रोकने के लिए गेहूं भंडारण सीमा सख्त की

केंद्र ने शुक्रवार को व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, बड़ी खुदरा श्रृंखला विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए गेहूं का स्टॉक रखने की सीमा सख्त कर दी। इसका उद्देश्य मूल्यवृद्धि और जमाखोरी पर लगाम लगाना है। गेहूं पर यह संशोधित स्टॉक सीमा, 24 जून को लगाए गये स्टॉक सीमा के बमुश्किल दो महीने बाद आई है।

ये प्रतिबंध सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 31 मार्च, 2025 तक लागू रहेंगे। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि संशोधित नियमों के तहत, व्यापारियों और थोक विक्रेताओं को अब 2,000 टन तक स्टॉक करने की अनुमति है, जबकि पहले यह सीमा 3,000 टन थी। बड़ी खुदरा श्रृंखला विक्रेता प्रत्येक बिक्रीकेन्द्र में ‘‘10 टन और अपने सभी डिपो पर (कुल बिक्रीकेन्द्र की संख्या का 10 गुना) तक गेहूं का भंडारण कर सकते हैं।’’ पहले, उन पर बिक्री केन्द्र की संख्या के आधार पर गेहूं स्टॉक करने पर कोई प्रतिबंध नहीं था।

प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए, सीमा को घटाकर उनकी मासिक स्थापित क्षमता (एमआईसी) का 60 प्रतिशत कर दिया गया है। अबतक यह 70 प्रतिशत था। व्यक्तिगत खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा को अपरिवर्तित रखा गया है यानी वे 10 टन तक गेहूं का स्टॉक रख सकते हैं। सरकार ने सभी संस्थाओं को अपने स्टॉक की स्थिति घोषित करने और इसे नियमित रूप से खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल ‘‘एचटीटीपीएस:// ईवीईजीओआईएलएस डॉट एनआईसी डॉट आईएन / डब्ल्यूएसपी/ लॉगइन’’ पर अद्यतन करने को अनिवार्य किया है।

निर्धारित सीमा से अधिक स्टॉक रखने वालों को नए मानदंडों का पालन करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। बयान में कहा गया है कि केंद्र और राज्य दोनों अधिकारी इन स्टॉक सीमाओं के प्रवर्तन की बारीकी से निगरानी करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश में ‘गेहूं की कोई कृत्रिम कमी’ न पैदा हो।

टॅग्स :प्याज प्राइसनरेंद्र मोदीNirmal Sitharaman
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