पटनाः बिहार विधानमंडल में पेश नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सरकार ने 31 मार्च, 2024 तक 70,877.61 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) जमा नहीं किए। वित्त वर्ष 2023-24 को कवर करने वाली इस रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि बार-बार याद दिलाने के बावजूद 9,205.76 करोड़ रुपये के विस्तृत आकस्मिक (डीसी) बिल लंबित हैं, जिनमें से 7,120.02 करोड़ रुपये पिछले वित्तीय वर्ष के हैं। हालांकि रिपोर्ट में यह बताया गया है कि बिहार ने 2023-24 में 14.47 फीसदी की मजबूत आर्थिक बढ़ोतरी दर्ज करना जारी रखा है, जो राष्ट्रीय औसत 9.6 फीसदी से काफी ज्यादा है। रिपोर्ट बताती है कि यह बढ़ोतरी बढ़ती देनदारियों के साथ आई है। राज्य का कुल कर्ज अब 3.98 लाख करोड़ रुपए है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.34 फीसदी ज्यादा है।
हालांकि, यह अभी भी मंजूर करने की रेंज के अंदर है। कैग ने बताया कि राज्य 15वें वित्त आयोग की तरफ से सुझाए गए राजकोषीय लक्ष्य को भी पूरा नहीं कर पाया। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की अर्थव्यवस्था अभी भी मुख्यतः सेवा-आधारित है, जिसमें तृतीयक क्षेत्र सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 57.06 फीसदी का योगदान देता है, उसके बाद प्राथमिक क्षेत्र (24.23 फीसदी) और द्वितीयक क्षेत्र (18.16 फीसदी) का स्थान आता है। इसके बावजूद अधिकांश आबादी अभी भी कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों पर निर्भर है।
राजकोषीय मोर्चे पर राजस्व प्राप्तियों में करीब 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई-20,659 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी, जो केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी में 9.87 फीसदी की बढ़ोतरी और गैर-कर राजस्व में 25.14 फीसदी की तेज बढ़ोतरी की वजह से हुई। फिर भी बजट क्रियान्वयन एक चिंता का विषय बना रहा।
2023-24 के बजट में आवंटित 3.26 लाख करोड़ रुपये में से केवल 2.6 लाख करोड़ रुपए (79.92 फीसदी) ही वास्तव में खर्च किए गए। 65,512 करोड़ रुपए की कैरी ओवर का केवल 36.44 फीसदी ही वापस लाया गया, जो बजटीय योजना और कार्यान्वयन में लगातार खामियों को दर्शाता है। प्रतिबद्ध व्यय, जिसमें वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान शामिल हैं।
8.86 फीसदी की औसत वार्षिक दर से बढ़ता रहा, जो 2023-24 में 70,282 करोड़ रुपये तक पहुच गया। रिपोर्ट बता रही है कि बिहार की आर्थिक सेहत अंदर से अभी भी कमजोर और बेढंगी बनी हुई है। 326230 करोड़ के बजट में से सरकार खर्च कर पाई केवल 79.92 फीसदी यानी ₹2.6 लाख करोड़। बाकी बचत में जो ₹65512 करोड़ था, उसमें से भी सिर्फ 36.44% ही सरकारी खजाने में लौटाया गया।
31 मार्च 2024 तक सरकार ने ₹70877.61 करोड़ खर्च किए, लेकिन उसका उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) नहीं भेजा।सरल भाषा में कहें तो पैसा खर्च हुआ, पर ये नहीं बताया गया कि कहां और कैसे खर्च हुआ! इतना ही नहीं, ₹9205 करोड़ का डीसी बिल भी अधूरा पड़ा है, जबकि बार-बार याद दिलाया गया था।