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एयरटेल दूसरे नेटवर्क से आने वाली कॉल पर 2022 तक शुल्क जारी रखने के पक्ष में, वोडाफोन, आइडिया और BSNL की ये है राय

By भाषा | Updated: October 22, 2019 01:29 IST

वर्तमान में किसी आपरेटर के नेटवर्क पर दूसरे मोबाइल सेवा प्रदाता के नेटवर्क से आने वाली प्रत्येक कॉल पर छह पैसे प्रति मिनट का आईयूसी लगता है। हालांकि, नई दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी रिलायंस जियो इस शुल्क को जारी रखने का विरोध कर रही है।

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ठळक मुद्देदूरसंचार कंपनी भारतीय एयरटेल चाहती है कि अन्य मोबाइल सेवाप्रदाताओं के नेटवर्क से आने वाली ‘इनकर्मिंग कॉल्स’ पर शुल्क 2022 तक जारी रखा जाए। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को इस बारे में भेजी गई अपनी राय में एयरटेल ने यह विचार व्यक्त किया है।

दूरसंचार कंपनी भारतीय एयरटेल चाहती है कि अन्य मोबाइल सेवाप्रदाताओं के नेटवर्क से आने वाली ‘इनकर्मिंग कॉल्स’ पर शुल्क 2022 तक जारी रखा जाए। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को इस बारे में भेजी गई अपनी राय में एयरटेल ने यह विचार व्यक्त किया है। वोडाफोन आइडिया और सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल ने भी इंटरकनेक्ट उपयोगकर्ता शुल्क (आईयूसी) को जारी रखने का पक्ष लिया है।

वर्तमान में किसी आपरेटर के नेटवर्क पर दूसरे मोबाइल सेवा प्रदाता के नेटवर्क से आने वाली प्रत्येक कॉल पर छह पैसे प्रति मिनट का आईयूसी लगता है। हालांकि, नई दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी रिलायंस जियो इस शुल्क को जारी रखने का विरोध कर रही है।

ट्राई ने एक जनवरी, 2020 से आईयूसी व्यवस्था को बिल एंड कीप (बीएके) में बदलने का प्रस्ताव किया है जिसके तहत कोई आपरेटर कॉल के पारेषण पर शुल्क नहीं लेगा। हालांकि, नियामक ने हाल में मोबाइल कॉल टर्मिनेशन शुल्क को समाप्त करने की तारीख को बढ़ाने के बारे में परिचर्चा पत्र निकाला है।

एयरटेल और वोडाफोन आइडिया का कहना है कि आईयूसी वह शुल्क है जो कि एक दूरसंचार आपरेटर से उसकी कॉल को पूरा करने के लिये दूसरे सेवा प्रदाता की सुविधाओं का उपयोग करने के लिये लिया जाता है। एयरटेल ने ट्राई को भेजी प्रतिक्रिया में कहा है बीएके व्यवस्था को लागू करने की तारीख को कम से कम तीन साल टाला जाना चाहिए।

मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस जियो ने आरोप लगाया है कि ट्राई द्वारा कॉल कनेक्ट शुल्क की समीक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया की सोच के खिलाफ है। इससे न केवल नियामक की विश्वसनीयता प्रभावित होगी बल्कि निवेशकों का भरोसा भी डगमगाएगा। उसका कहना है कि इससे कुछ पुराने आपरेटरों के निहित स्वार्थी हितों का ही बचाव होगा। 

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