नई दिल्ली: हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडाणी ग्रुप के शेयरों की कीमत में भारी गिरावट हुई थी और समूह को कारोबारी घाटा उठाना पड़ा। अब अडाणी समूह अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने जा रहा है। इसके लिए अडाणी समूह अमेरिकी लॉ फर्म 'वॉचटेल' की सेवाएं लेने जा रहा है।
हिंडनबर्ग के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का मन बना चुके अडाणी समूह ने जिस अमेरिका लॉ फर्म 'वॉचटेल' को चुना है वह दुनिया भर में विवादित मामलों में कानूनी सेवाएं देने के लिए ही जानी जाती है। अडाणी समूह न्यूयॉर्क स्थित वाचटेल लिप्टन, रोसेन और काट्ज के टॉप वकीलों से इस बारें में सलाह ले रहा है कि हिंडनबर्ग के खिलाफ अदालत में केस को मजबूती से कैसे रखा जाए।
क्या है हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में
वित्तीय शोध करने वाली कंपनी हिंडनबर्ग ने 25 जनवरी 2023 को अदाणी ग्रुप के संबंध में 32 हजार शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया कि अडाणी समूह समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है। इसके अलावा रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक टैक्स हेवन देशों में अदाणी परिवार की कई मुखौटा कंपनिया मौजूद हैं जिनका इस्तेमाल मनी लांड्रिंग के लिए किया जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर शेयरों को गिरवी रखकर कर्ज लिया गया। इस रिपोर्ट के आते ही भारतीय शेयर मार्केट में भूचाल आ गया और अडाणी समूह के शेयर लुढ़क कर काफी नीचे आ गए। देखते ही देखते दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडाणी शीर्ष 20 अमीरों की सूची से भी बाहर हो गई। इस रिपोर्ट के आने के बाद संसद तक तक हंगामा हुआ। विपक्ष ने भी अदाणी समूह पर जांच की भी मांग की। विपक्ष का कहना है कि अडाणी समूह को सरकार ने फायदा पहुंचाने के लिए बिना जांच के बैंको से लोन दिलाने में मदद की। विपक्ष का कहना है कि बैंको के पैसे और अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों के अडाणी समूह में निवेश किए गए पैसों का अब डूबने का खतरा है।