जयपुर: कॉलेज टाइम के बाद एक दौर आता है, जब मिडिल क्लास फैमिली के बच्चे कॉम्पीटिशन (सरकारी सेवा) की तैयारी करते हैं। लेकिन मेरा कभी इसे लेकर इंट्रेस्ट नहीं जागा। लेकिन हां, सरकारी सेवा के नाम पर हमेशा आर्मी, फोर्स, जरूर जेहन में रहते थे। दो बार ऐसा समय भी आया, जब मैंने गवर्नमेंट जॉब के लिए फॉर्म भरा। पहला नेवी बैंड में, जहां म्यूजिक बैंड के लिए रिक्रूटमेंट आई थी। दूसरा इंटेलीजेंस ब्यूरो, जिसमें थिएटर के लोगों को प्रिफरेंस दी जा रही थी। आईबी की रिक्रूटमेंट एक बार कैंसिल हो गई, और जब मैंने मुंबई अपने एक्टिंग के करियर को आगे बढ़ाने की ठान ली। तब वही आईबी की भर्ती फिर से चालू हो गई, लैटर भी आया। लेकिन मुंबई का विचार तब तक ज़्यादा गहरा हो चुका था और मैं अपने एक्टिंग करियर के प्रति पूरी तरह फोकस्ड हो चुका था।
नेवी में हेल्थ इश्यूज ( सीवियर साइनस) की वजह से जाना संभव नहीं हो पाया। लेकिन, खुफिया एजेंसियों में कैसे काम होता है, इसे कुछ हद तक सीरिज 'सारे जहां से अच्छा' के जरिए समझ पाया हूं। ये कहा जा सकता है कि इस फिल्म के जरिए मैं 'उस' सपने का छोटा अंश जी पाया हूं। यही कहना है फिल्म, टीवी और कई बेब सीरीज में काम कर चुके एक्टर राघव तिवारी का।
आर्ट से जुड़ाव परिवार के जरिए मिला
मेरी पिता क्लासिकल वॉकलिस्ट थे, संगीत से तो उन्होंने हमारी बचपन से ही पहचान करवा दी थी। मैंने इस दौरान सितार वादन भी सीखा। इसी दौरान डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी जी के टीवी सीरियल उपनिषद गंगा में छोटे से किरदार को निभाने के बाद, अभिनय सीखने की जिज्ञासा बढ़ती गई, स्कूल कॉलेज में नाटक किए , लेकिन अब जरूरत महसूस हो रही थी, अभिनय को विधिवत और डीप तरीके से जानने की।
इसी बीच पढ़ाई लिखाई पर भी ध्यान देते रहे, और ग्रेजुएशन कंप्लीट होते ही एक रोज पापा सुबह अखबार में छपे आर्टिकल को देखने और मेरे इंटरेस्ट को जानने बाद, वो मुझे जयपुर के आर्ट सेंटर (रवींद्र मंच) भारत रत्न भार्गव सर की थिएटर वर्कशॉप में ले गए। उन्होंने कहा कि अब कहीं और भटकने की ज़रूरत नहीं,
अब इसी कला को सीखो और मेहनत करो। मेरे पिताजी के कला प्रेम और शायद उनकी परख ने ये जान लिया था कि अभिनय ही मेरे लिए सही रास्ता होगा। कला के साथ आगे बढ़ने में, और वहीं से मेरे अभिनय के सफर की शुरुआत हुई, जो अभी तक बदस्तूर जारी है।
थिएटर पहली पाठशाला, युवा एक्टर स्कूलिंग जरूर लें
राघव तिवारी का कहना है कि थिएटर ही अभिनय की पहली पाठशाला है, जो सिर्फ आपको अभिनय नहीं सिखाता, बल्कि आपको लाइव ऑडियंस के बीच खड़े होने का कॉन्फिडेंस भी देता है। राघव तिवारी ने आगे कहा कि थिएटर ने उनमें ना सिर्फ एक्टिंग स्किल डवलप किए। वहीं कैरेक्टर को जिया कैसे जाता है, ये जानने और समझने में भी मदद की। न्यू कमर्स अगर एक्टिंग के मैथेड को गहराई से समझना चाहते हैं, तो उन्हें थिएटर की क्लासेज लेनी चाहिए, यह आपके अंदर ओवरऑल डवलपमेंट करेगा।
पेट्रियोटिज्म को जगाने का काम करता है आर्ट
देशभक्ति के मुद्दे पर राघव तिवारी का कहना है कि देशभक्ति हमारे भीतर देश के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का अहसास करवाता है। अब बतौर फौजी या देश के सिपाही के तौर पर, मैं देश की सेवा नहीं कर पा रहा , लेकिन हां जो माध्यम मुझे मिला , उसके साथ भी मैं देश की सेवा कर सकता हूं और इसे आगे तक जारी भी रखूंगा। '
अभिनय और संगीत लोगों के भीतर देशभक्ति को जगाने का काम हमेशा करते रहे हैं। एक लाइन शायद आप सबने सुनी होगी, फिल्में और थिएटर समाज का आईना होते हैं, तो बस उसी आईने के माध्यम से समाज में अपने देश को, अपने देश के लोगों और अपने समाज को अच्छा बनाने की कोशिश लगातार जारी रहेगी, अब चाहे ये अभिनय से हो, या लेखन और निर्देशन से हो ।