नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी कभी भारतीय टेलीविजन पर सबसे बड़े नामों में से एक थीं। वह मशहूर कार्यक्रम 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' में तुलसी विरानी की भूमिका के लिए प्रसिद्ध थीं। जब स्मृति ईरानी अभिनय की दुनिया में थीं तब उन्हें कई बार पान मसाला विज्ञापनों की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने हर बार अस्वीकार कर दिया।
अब केंद्रीय महिला एवं बाल विकास और अल्पसंख्यक मामलों की कैबिनेट मंत्री ने इस बात का खुलासा किया है कि आखिर उन्होंने ऐसा निर्णय क्यों लिया। रणवीर अलाहबादिया के पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान स्मृति ईरानी ने कहा, "मुझे याद है जब मैंने अपनी यात्रा शुरू की थी, मेरे पास बिल्कुल पैसे नहीं थे। मेरी नई-नई शादी हुई थी और मेरे बैंक खाते में 20-30 हजार रुपये भी नहीं थे और मैंने घर खरीदने के लिए बैंक से पैसे उधार लिए थे। यह लगभग 25-27 लाख रुपये था। इसी समय एक पान मसाला विज्ञापन करने की पेशकश की गई थी। लेकिन मैंने उसे ठुकरा दिया।"
स्मृति ईरानी ने बताया कि पान मसाले के विज्ञापन के लिए उन्हें जो पैसे ऑफर किए गए थे वह उनके बैंक से लिए गए लोन से 10 गुना ज्यादा थे। प्रस्ताव ठुकराने के फैसले पर स्मृति ईरानी ने कहा, "मुझे पता था कि वहाँ परिवार देख रहे थे, युवा देख रहे थे, और मुझे लगा कि क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई उन्हें यह महसूस करा रहा है कि आप परिवार का हिस्सा हैं और आप अचानक पान मसाला बेच रहे हैं। तो, मैंने ईमानदारी से कहा नहीं। मैंने शराब कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले उत्पादों को भी ना कह दिया। ऐसा इसलिए था क्योंकि मुझे पता था कि बच्चे देख रहे थे।"
स्मृति ईरानी इस दौरान अपने बच्चों को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा, "मैं एक टूटे हुए घर से आती हूं। मेरी इससे सबसे बड़ी यही सीख है कि मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चे यह जाने कि मैं उन्हें प्रोटेक्ट करने के लिए मौत से भी लड़ सकती हूं। मुझे लगता है कि एक बच्चे के लिए ये सबसे बेस्ट फीलिंग है कि आपके पास ऐसे पैरेंट्स हैं जो उनके लिए दुनिया से लड़ सकते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "एक मां होने के नाते भगवान ने जो मुझे एक सबसे बड़ा आर्शीवाद दिया है वो ये कि अगर मेरे बच्चे मुझसे दूर चले जाएंगे तो मुझे इससे फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि वह काफी चीजों से गुजरे हैं। मैं उनके लिए लड़ सकती हूं और उन्हें जाने भी दे सकती हूं। मैं मरते दम तक बच्चों को प्यार करूंगी और 24 घंटे उनके सिर पर नहीं बैठने वाली। उन्हें स्पेस दो और खुद को भी उतना स्पेस देती हूं।"