मुंबईः सलमान खान कम मौकों पर भावुक होते हैं। उन्हें बॉलीवुड का सुपरस्टार कहा जाता है। हालांकि एक वक्त ऐसा भी था जब उनके पास ना तो काम होते थे और ना ही शर्ट खरीदने तक के पैसे। आईफा अवॉर्ड के दौरान उन पुराने दिनों को सलमान खान ने याद किया। ना सिर्फ याद किया बल्कि वे भावुक भी हुए। इसका वीडिया काफी वायरल हो रहा है।
सलमान खान आईफा अवॉर्ड्स में यह बताते हुए भावुक हो गए कि जब उनके पास रुपए नहीं थे तब सुनील शेट्टी ने उनकी मदद की। अपने संबोधन के दौरान सलमान खान ने कहा कि वह सुनील की दुकान पर थे और उनके पास सिर्फ जीन्स लेने के रुपए थे। उन्होंने बताया कि सुनील ने उन्हें तब शर्ट गिफ्ट की। इसके बाद वे अपने घर ले गए और एक पर्स भी गिफ्ट किया।
इस दौरान उन्होंने बोनी कपूर का भी आभार जताया। सलमान खान ने कहा कि जब उनका करियर ढलान पर था तब बोनी कपूर ने उनकी मदद की। सलमान खान ने कहा कि बोनी कपूर ने उस वक्त वांटेड फिल्म दी जब मेरा समय अच्छा नहीं चल रहा था। बोनी कपूर ने उन्हें काम दिया। बोनी ने अपने निर्माण में बनी फिल्म वांटेड में काम दिया जिसके बाद उनका करियर पटरी पर लौटा। इस दौरान उन्होंने एक बात मजाक में भी कही। सलमान ने कहा कि बोनी ने फिर नो एंट्री में मुझे काम दिया जिससे अनिल कपूर का भी करियर संभला।
सलमान ने मैंने प्यार किया फिल्म से बॉलीवुड में कदम रखा था। यह फिल्म काफी हिट रही बावजूद इसके सलमान खान को महीनों तक काम नहीं मिला। अपनी बातों में इसका जिक्र करते हुए आईफा में सलमान ने बताया कि उनकी हिट फिल्म मैंने प्यार किया के बाद उनके पास कोई काम नहीं था, क्योंकि उनकी सह-कलाकार भाग्यश्री ने कथित तौर पर इसका सारा श्रेय लिया था।
मैने प्यार किया (1989) मुख्य भूमिका में सलमान की पहली फिल्म थी और भाग्यश्री ने अभिनय की शुरुआत की खी। सूरज बड़जात्या की निर्देशन में बनी यह फिल्म उस समय की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्मों में से एक बनी। बकौल सलमान, "मैंने प्यार किया के रिलीज होने के बाद, भाग्यश्री ने फैसला किया कि वह अब और काम नहीं करना चाहती, क्योंकि वह शादी करना चाहती थीं। और वो पूरा क्रेडिट लेकर चली गई। सलमान ने कहा कि इसके बाद छह महीने तक उन्हें कोई फिल्म नहीं मिली।
सलमान ने आगे बताया, तभी एक 'देवता समान आदमी' रमेश तौरानी ने मेरे जीवन में प्रवेश किया। मेरे पिता ने उस समय 2000 रुपये का भुगतान किया और निर्माता जीपी सिप्पी को एक फर्जी घोषणा,कि मैंने एक फिल्म साइन की है, करने के लिए मना लिया। जीपी ने वह किया लेकिन असल में फिल्म तो थी नहीं। लेकिन रमेश तौरानी सिप्पी के दफ्तर गए और फिल्म के संगीत के लिए 5 लाख का भुगतान किया। उन्हीं 5 लाख की वजह से मुझे आखिरकार पत्थर के फूल (1991) नाम की फिल्म मिली।