जब परवीन बाबी की जगह जया बच्चन को फिल्म 'सिलसिला' के लिए कर लिया गया था कास्ट, नेपोटिज्म पर अब रंजीत ने तोड़ी चुप्पी
By अमित कुमार | Published: July 20, 2020 08:41 PM2020-07-20T20:41:10+5:302020-07-20T20:42:26+5:30
रंजीत ने अपने दौर को याद करते हुए नेपोटिज्म को लेकर कई बातों का जिक्र किया है। इस इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि पहले भी कलाकारों को भेद-भाव का सामना करना पड़ता था।
जब भी हिंदी सिनेमा जगत के खलनायकों के बारे में बात होगी तो उस लिस्ट में मशहूर एक्टर रंजीत का नाम जरूर होगा। फिल्मों में अपने विलेन के हर रोल को अमर बना देने वाले रंजीत आखिरी बार हाउसफुल 4 में नजर आए थे। रंजीत की फिल्मों के बारे में एक रोचक बात यह है कि अधिकतर फिल्मों में उनमें किरदार का नाम रंजीत ही रहा है। उन्होंने इसी नाम से बॉलीवुड के खई सुपरहिट फिल्मों में काम किया।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से ही लगातार बॉलीवुड में नेपोटिज्म, फेवरटिज्म और भाई-भतीजेवाद पर बहस चल रही है। इस मुद्दे पर अब रंजीत ने भी अपनी बात रखी है। रंजीत के मुताबिक फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म नया नहीं है, बल्कि पहले भी लोग आउट-साइडर्स के साथ भेद-भाव किया करते थे। रंजीत के अलावा भी कई सेलेब्स इस मुद्दे पर अपनी बात रख चुके हैं।
परवीन बाबी को ऑफर हुई थी फिल्म सिलसिला
इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में रंजीत ने कहा कि नेपोटिज्म पहले भी होता था और राइवलरी भी। मुझे याद है कि परवीन बाबी को सिलसिला में कास्ट किया जाने वाला था लेकिन प्रोड्यूसर को लगा कि जया बच्चन ज्यादा अच्छी लगेंगी तो परवीन बाबी को हटाकर जया बच्चन को कास्ट कर लिया गया था। इसी तरह दूसरे कलाकारों के साथ भी ऐसा होता रहा है।
फिल्मों में काम करने का कोई मौका नहीं छोड़ते रंजीत
80 साल की उम्र में भी रंजीत फिल्मों में सक्रीय हैं, उन्हें जब भी एक्टिंग करने का मौका मिलता है वो उसे छोड़ते नहीं हैं। अमीर-गरीब, हिमालय से ऊंचा, धोती-लोटा और चौपाटी, धरमवीर, अमर-अकबर-एंथोनी, टक्कर, नमक हलाल, शपथ, गिरफ्तार, मेरी जबान, जिम्मेदार, जालिम, आतंक और बुलंदी जैसी फिल्मों में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके रंजीत की गिनती बॉलीवुड के टॉप विलेन में होता है। रंजीत ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1970 में प्रदर्शित फिल्म सावन भादो से की थी।