हिंदी सिनेमा में जब भी कॉमेडी की भी बात की जाती है तो महमूद अली का नाम जरूर लिया जाता है। भारतीय सिनेमा के गोल्डन एरा में एक ऐसे अभिनेता थे जिनके बिना फिल्म को अधूरा माना जाता था। उनकी कॉमेडी ने लोगों के पेट में दर्द करा दिया था। महमूद एक समय के बाद ऐसे एक्टर बन गए जो फिल्मों में मुख्य अभिनेता से ज्यादा फीस चार्ज किया करते थे। लेकिन एक्टर बनने से पहले उनकी जिंदगी काफी संघर्षों से भरी थी। आज महमूद के जन्मदिन के अवसर पर हम आपको उनके संघर्ष के बारे में बताएंगे।
दुनिया को अलविदा कह जाने वाले महमूद भले ही हमारे बीच ना हो लेकिन फिल्मी दुनिया में उनकी भूमिका को हमेशा याद किया जाएगा। महमूद ने हिंदी सिनेमा में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है लेकिन इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्हें संघर्ष से गुजरना पड़ा। आर्थिक तंगी के कारण महमूद ने बहुत छोटी सी उम्र में काम करना शुरू कर दिया। शुरुआती दिनों में वह मलाड से विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेन में टॉफियों को बेचने का काम करते थे। इसके बाद उन्होंने घर-घर अखबार और अंडे बेचने का काम किया।
महमूद के पिता मुमताज अली मुंबई टॉकीज के के स्टूडियो में काम करते थे। पिता की सिफारिश लगाने पर महमूद को बतौर बाल कलाकार फिल्म किस्मत में काम करने का मौका मिला। लेकिन उनकी किस्मत तो फिल्म नादान से बदली। उनकी फिल्मों का एक किस्सा मशहूर है इस फिल्म में मधुबाला के सामने एक बाल कलाकार 10 बार रीटेक के बावजूद अपना डायलॉग को नहीं बोल पाया वहीं जब महमूद की बारी आई तो उन्होंने एक बार में ही पूरा डायलॉग बोल कर सबको हैरान कर दिया।इस फिल्म के लिए उन्हें ₹300 दिए गए थे।
इस फिल्म को करने के बाद महमूद ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। महमूद इतने बड़े स्टार बन गए थे कि उनकी फोटो पोस्टर पर होना जरूरी होता था। लोग उनकी एंट्री पर बेहद खुश हो जाते थे। मुंबई टू गोवा, आंखें, लव इन टोक्यो, पड़ोसन उनकी प्रसिद्ध फिल्में हैं। महमूद के बराबर अवार्ड शायद किसी अभिनेता को मिले हैं।
महमूद को 25 बार फिल्म फेयर अवार्ड मे नॉमिनेट किया गया। जिसमें उन्हें 19 बार बेस्ट कॉमिक रोल का अवार्ड मिला है जबकि 6 बार उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवार्ड मिला।