नई दिल्ली: आगामी फ़िल्म जॉली एलएलबी 3 को लेकर शुरू हुआ विवाद अब और तूल पकड़ता जा रहा है। बॉम्बे के वकीलों द्वारा सेंसर बोर्ड (CBFC) को पत्र लिखकर फ़िल्म की रिलीज़ रोकने की मांग के बाद अब दिल्ली के वकील भी मैदान में उतर आए हैं। मंगलवार को चर्चित वकील ए.पी. सिंह ने कई हाई-प्रोफाइल मामलों में पैरवी की है। फ़िल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि फ़िल्म वकीलों को जोकर की तरह दिखाती है और न्यायपालिका का मज़ाक उड़ाती है। हम वकील हैं, कॉमेडियन नहीं। वकालत दुनिया का सबसे पवित्र पेशा है और यह फ़िल्म हमारे काम को हास्यास्पद बना रही है।”
सिंह ने यह भी दावा किया कि दुनियाभर के वकील इस ट्रेलर से आहत हैं और इसे न्याय व्यवस्था पर लोगों के भरोसे के लिए ख़तरनाक बताया। उन्होंने कहा, “सिनेमा की ताक़त बहुत बड़ी है। अगर जनता वकीलों को जोकर के रूप में देखने लगेगी, तो फिर न्याय प्रणाली का सम्मान कौन करेगा?” बवाल की शुरुआत पुणे से हुई थी।
जहाँ एक स्थानीय वकील ने फ़िल्म के ट्रेलर के आधार पर जनहित याचिका (PIL) दायर कर दी। याचिका में कहा गया कि ट्रेलर ‘वकीलों और जजों की छवि खराब करता है।’ इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए पुणे की अदालत ने अभिनेता अक्षय कुमार, अरशद वारसी और निर्देशक सुभाष कपूर को समन जारी किया। इस कदम ने पहले ही कलात्मक स्वतंत्रता बनाम न्यायपालिका की गरिमा पर राष्ट्रीय बहस छेड़ दी है।
जहाँ एक ओर बार एसोसिएशन सेंसर बोर्ड को पत्र लिखकर फ़िल्म पर कार्रवाई की तैयारी कर रही हैं, वहीं आलोचकों का कहना है कि इस तरह की याचिकाएँ ‘फ्रिवलस लिटिगेशन’ (तुच्छ मुकदमेबाज़ी) की श्रेणी में आती हैं और पहले से बोझिल अदालतों का समय बर्बाद करती हैं।
देश की अदालतों में 4 करोड़ से ज़्यादा मामले लंबित हैं और ऐसे में किसी फ़िल्म के ट्रेलर पर बहस को कई लोग हास्यास्पद मानते हैं। फ़िलहाल यह मामला अक्टूबर में फिर से अदालत में उठेगा। लेकिन इतना तय है कि जॉली एलएलबी 3 रिलीज़ से पहले ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और न्यायपालिका की गरिमा के बीच टकराव का बड़ा मुद्दा बन चुका है।