फिल्म - बधाई होनिर्देशक- अमित रवींद्रनाथ शर्माकलाकार- आयुष्मान खुराना, गजराज राव, नीना गुप्ता, सान्या मल्होत्रा, सुरेखा सीकरीअवधि- 2 घंटा 10 मिनटरेटिंग- 4/5
साल 2018 में हम ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां Netflix और गेम्स ऑफ़ थ्रोन्स देखना आपका लिविंग स्टैण्डर्ड तय करता। आज हम विचारों में मॉडर्नाइजेशन की बात करते हैं, लेकिन क्या हम अपने पैरेंट्स की एक्टिव सेक्स लाइफ के बारे में सोच सकते हैं ? क्या उनसे सेक्स से रिलेटेड कोई भी बात खुलकर कर सकते हैं? हम ये मान के चलते हैं कि हमारे पैरेंट्स की ज़िन्दगी हमें पैदा करने के बाद बस घर की जिम्मेदारियों तक सीमित है, लेकिन डायरेक्टर अमित शर्मा ने इस स्टीरियोटाइप को ब्रेक करते हुए बधाई हो जैसी कहानी बड़े परदे पर लेकर आए हैं, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते।
ज़रा सोचिये कि आप कॉलेज के बाद नौकरी कर रहे हैं और साथ-साथ अपनी गर्लफ्रेंड के साथ शादी करने के सपने भी देख रहे हैं। साथ ही आपके पापा की रिटायरमेंट भी नजदीक है। अचानक आपको पता चलता है कि आपकी 50 साल की मम्मी प्रेगनेंट हैं और जिस वक़्त घर में आपका नन्हा मेहमान को लाने की उम्र हो, ऐसे वक्त में खुशखबरी आपके अधेड़ उम्र के माँ-बाप दे रहे हों, तो आपका रिऐक्शन क्या होगा? कुछ ऐसी ही अटपटी कहानी फिल्म बधाई हो की है जो आज सिनेमा घरों में रिलीज़ हो रही है। ट्रेलर के बाद से ही लोग इस फिल्म को लेकर काफी उत्साहित थे। चलिए आपको बताते है कि फिल्म में क्या खास है?
बधाई हो की कहानी
फिल्म की कहानी एक मिडिल क्लास दिल्ली बेस्ड कौशिक परिवार की है। परिवार के मुखिया जीतेन्द्र कौशिक (गजराज राव) रेलवे में टिकट कलेक्टर यानी टीटी है। घर में उनकी पत्नी प्रियंवदा (नीना गुप्ता है), बड़ा बेटा नकुल (आयुष्मान खुराना) जो नौकरी करता है और छोटा बेटा गुलर जो अभी बोर्ड की परीक्षा की तैयारी कर रहा है। साथ में इनकी बड़ी और खुसड़ दादी (सुरेखा सीकरी) भी रहती है। नकुल अपनी गर्ल फ्रेंड सान्या मल्होत्रा के साथ शादी के सपने देख रहे होते हैं।
लेकिन इसी बीच मिस्टर कौशिक मिसेज कौशिक के साथ कुछ ऐसा कर बैठते हैं जो हमारे समाज के मुताबिक उस उम्र में शोभा नहीं देता है। मतलब मिसेज कौशिक प्रेग्नेंट हो जाती है। उनकी प्रेगनेंसी की न्यूज़ से पूरे परिवार में हड़कंप मच जाता है। दादी तो भूचाल ला देती है। इस खुशखबरी से सब चौंक जाते हैं और इस अटपटी गुड न्यूज़ के चलते पूरे परिवार को समाज और रिश्तेदारों के बीच अजीबोगरीब समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन कौशिक परिवार इस अटपटी गुड न्यूज़ से कैसे निपटेगा? नकुल की नाराज़गी कैसे कम होगी? या घर में नन्हे मेहमान के रूप में नकुल और गुलर का भाई या बहिन आती है इसके लिए आपको फिल्म सिनेमा घर में जाकर देखनी होगी। बधाई हो का डायरेक्शन, डायलॉग, स्क्रीनप्ले फिल्म की कहानी बहुत ही दिलचस्प और लीक से हटकर और पूरी तरह से मनोरंजन करती चली जाती है। शांतनु श्रीवास्तव, अक्षत घिल्डियाल और ज्योति कपूर ने कहानी को शानदार ढंग से लिखा है। अमित रविंद्रनाथ शर्मा ने अपने दमदार डायरेक्शन के ज़रिये कहानी को बड़े ही खूबसूरती के साथ परदे पर उतारा है। एक-एक करैक्टर इतना परफेक्ट है कि आपके मुंह से सिर्फ वाह ही निकलता है। पूरा थिएटर शुरू से लेकर आखिर तक ठहाकों की आवाज़ से गूंजता रहता है। अक्षत ने स्क्रीनप्ले काफी अच्छा लिखा है।
डायलॉग के मामले में तो फिल्म का कोई जवाब नहीं है। कहानी इंटरवल के पहले आपको पूरी तरह बांधे रखती है, इंटरवल के बाद थोड़ी इमोशनल और स्लो हो जाती है लेकिन आप फिर भी बोर नहीं होंगे। इसके अलावा फिल्म में दिल्ली और मेरठ पूरी तरह से हावी रहता है। भले ही अपनी पहली फिल्म तेवर में अमित शर्मा अपने डायरेक्शन की धार ना दिखा पाए हो लेकिन 'बधाई हो' में उन्होंने सारी कसर पूरी कर दी है। शानदार डायरेक्शन, कॉमेडी की फुल डोज और इमोशन से लबरेज है 'फिल्म बधाई हो'। इस फिल्म से ये बात तो साफ़ हो गई है कि 'कंटेंट' से बढ़ कर और कुछ नहीं होता है।
बधाई हो में अभिनय
'विकी डोनर', 'दम लगा के हईशा', 'बरेली की बर्फी' और 'शुभ मंगल सावधान' जैसी अडल्ट कॉमिडी फिल्मों के जॉनर में अपनी अलग जगह बना चुके आयुष्मान खुराना ने ये साबित कर दिया है कि वर्सटैलिटी के मामले में उनका कोई जवाब नहीं है और आम इंसान को पर्दे पर दिखाने की कला में वो एकदम एक्सपर्ट हो चुके हैं। लेकिन फ़िल्म की शो स्टॉपर तो दादी (सुरेखा सीकरी) हैं। अपने शानदार डायलॉग और अभिनय से सुरेखा सीकरी ने सबका दिल जीत लिया है। पूरी फिल्म में उन्होंने अपने अभिनय से जान डाल दी है। उनका किरदार लम्बे समय तक ज़हन में रहेगा।
बधाई हो का बैकग्राउंड म्यूजिक, म्यूजिक
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक काफई एंटरटेनिंग और रिलेटेबल है। बीच-बीच में जो बैकग्राउंड म्यूजिक बजता है वो फिल्म की जान है। फिल्म का संगीत और खास तौर पर टाइटल ट्रैक बहुत बढ़िया है। उम्मीद है दर्शकों को यह पसंद आयेगा।
बधाई हो फिल्म क्यों देखे?
ये पहली बार हुआ है जब बॉलीवुड में इस तरह के टॉपिक पर फिल्म बनी है। फिल्म पूरी तरीके पैसा वसूल और एंटरटेनिंग है। ये हर ऐज ग्रुप को पसंद आने वाली है। एक्टिंग, कॉमेडी, एंटरटेनमेंट, डायरेक्शन , म्यूजिक, डायलॉग डिलीवरी हर लिहाज़ से फिल्म परफेक्ट है। अगर आप बॉलीवुड की घिसी पिटी स्टोरीज से बोर हो गए हैं तो डायरेक्टर अमित शर्मा की 'बधाई हो' आपके लिए कुछ अलग है । फिल्म की यूएसपी यही है कि इतने अटपटे टॉपिक को बड़े ही हल्के-फुल्के अंदाज में परोसा गया है जिसके लिए डायरेक्टर के लिए दिल से निकलता है ' बधाई हो।'