युद्धों से साबित होती है नेतृत्व की विफलता, यूक्रेन, गाजा की त्रासदियां और इजराइल-ईरान संघर्ष आत्मा को झकझोर देने वाली गाथा

By अश्वनी कुमार | Updated: July 17, 2025 05:36 IST2025-07-17T05:36:45+5:302025-07-17T05:36:45+5:30

संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा संचालित एक कार्यात्मक नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का दिखावा एक बार फिर ध्वस्त हो गया है.

Wars prove failure leadership tragedies of Ukraine, Gaza and the Israel-Iran conflict are a soul-stirring saga blog Ashwani Kumar | युद्धों से साबित होती है नेतृत्व की विफलता, यूक्रेन, गाजा की त्रासदियां और इजराइल-ईरान संघर्ष आत्मा को झकझोर देने वाली गाथा

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Highlightsशत्रुताओं के निशान सैन्य शक्ति के दमनकारी प्रयोग के दृश्यमान प्रतीक बने रहेंगे.पश्चिम एशिया में स्थायी शांति अन्याय और नैतिक आक्रोश की अमिट भावना की बंधक बनी रहेगी.अंतर्राष्ट्रीय कानून की असहायता की पुष्टि होती है. लेकिन कुछ सबक सीखने को भी हैं.

वैश्विक संघर्षों और लोकतांत्रिक पतन के दौर में, लोकतांत्रिक दुनिया में राजनीतिक नेतृत्व का प्रश्न अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है. दुनिया के कई हिस्सों में बढ़ती प्रतिद्वंद्विता नेतृत्व की विफलता का प्रतीक है. सिद्धांतों को प्राथमिकता देने में वैश्विक नेताओं की दुविधा और आधिपत्यवादी सत्ता के आगे उनका पूर्ण समर्पण अपने आप में सारी कहानी कह देता है. यूक्रेन, गाजा की त्रासदियां और इजराइल-ईरान संघर्ष आत्मा को झकझोर देने वाली गाथा हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा किए गए नाजुक युद्धविराम के बावजूद, इन शत्रुताओं के निशान सैन्य शक्ति के दमनकारी प्रयोग के दृश्यमान प्रतीक बने रहेंगे,

जिसने हजारों निर्दोष लोगों की जान ले ली है. इस तबाही के लिए जिम्मेदार लोग इतिहास के उस स्थायी सबक को स्पष्ट रूप से भूल गए हैं कि अपनी आत्मा में नासूर जैसे घाव लिए हुए लोगों को तभी राहत मिलती है जब अन्याय का बदला लिया जाता है. पश्चिम एशिया में स्थायी शांति अन्याय और नैतिक आक्रोश की अमिट भावना की बंधक बनी रहेगी.

इसलिए, ऐसे नेतृत्व को बढ़ावा देना अनिवार्य है जो न्याय को अपरिपक्व शक्ति से ऊपर रखता हो और उसके प्रलोभनों के आगे झुकने से इनकार करता हो. अत्यधिक कष्टदायक सीमापार संघर्षों ने विश्व को वैश्विक युद्ध के खतरनाक रूप से करीब पहुंचा दिया है. संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा संचालित एक कार्यात्मक नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का दिखावा एक बार फिर ध्वस्त हो गया है,

जिससे राष्ट्रों के बीच संबंधों में बल प्रयोग को गैरकानूनी घोषित करने में अंतर्राष्ट्रीय कानून की असहायता की पुष्टि होती है. लेकिन कुछ सबक सीखने को भी हैं. दुनिया को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो वैश्विक सहमति की तलाश में हो और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुशासन के अधीन हो ताकि क्षेत्रीय विवादों के निपटारे सहित हमारे समय की निर्णायक चुनौतियों का समाधान किया जा सके.

यह उन लोगों के लिए एक खास तौर पर महत्वपूर्ण तकाजा है जो लोकतांत्रिक दुनिया का नेतृत्व करने का दावा करते हैं और एक विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय कानूनी व्यवस्था की जरूरत का समर्थन करते हैं. लोकतांत्रिक नेतृत्व का अर्थ है, जहां आवश्यक हो, सिद्धांतों की रक्षा के लिए अकेले भी चलना.

यह सभी बाधाओं के बावजूद सत्य पर अडिग रहने और कमजोरों को सशक्त बनाने, उन्हें आवाज और अधिकार देने के बारे में है. यह कठिन समय में लोगों को एकजुट करने और अकल्पनीय असमानताओं को दूर करके मानवीय गरिमा को बढ़ावा देने के बारे में है. प्रेरणादायक नेतृत्व सामाजिक और राजनीतिक अस्तित्व के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करने के निरंतर प्रयास के बारे में है जो शांति और सद्भाव के वातावरण में मानवीय क्षमता की प्राप्ति को अधिकतम कर सकें. नेतृत्व शून्य से नहीं उभरता. ‘व्यक्ति, समय और स्थान’ का सम्मिलन नेतृत्व का निर्माण करता है.

जैसा कि कार्ल मार्क्स ने हमें प्रसिद्ध रूप से याद दिलाया था, ‘मनुष्य अपना इतिहास स्वयं रचता है, लेकिन वह इसे अपनी इच्छानुसार नहीं रचता ... (वह ऐसा) पहले से मौजूद, अतीत से प्राप्त और प्रेषित परिस्थितियों में करता है.’ फ्रांसीसी राजनेता शैटोब्रिआंड ने घोषणा की थी कि ‘राष्ट्र का नेता समय का नेता होना चाहिए’,

ताकि उसके प्रयास जनता की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करें, राजनीति को स्वयं से भी बड़े नैतिक उद्देश्य प्रदान करें. इस समय के वैश्विक संघर्ष लोकतंत्रों को सुधार के लिए अपने भीतर झांकने और अपनी अपील को सुदृढ़ करने का अवसर प्रदान करते हैं. भारतीय लोकतंत्र, जिसने अनेक उतार-चढ़ावों और ‘हजारों विद्रोहों’ को झेला है,

महात्मा गांधी के नेतृत्व में अपने कई दिग्गज नेताओं के परिश्रम और नि:स्वार्थ भाव से समृद्ध हुआ है, जिन्होंने हमारे लिए परिवर्तनकारी नेतृत्व का अर्थ परिभाषित किया.  महात्मा गांधी की राजनीतिक निष्ठा, जो सत्ता के लालच से अप्रभावित थी और स्वतंत्रता एवं सम्मान की चाह रखने वाले लोगों की नैतिक कल्पना में निहित थी, ने उन्हें अन्याय के विरुद्ध एक स्थायी अहिंसक संघर्ष का सूत्रपात करने में सक्षम बनाया.

उन्होंने ‘अपने युग की इच्छा’ को पूरा किया, उसे लोगों के लिए परिभाषित किया और उसे मूर्त रूप दिया. नैतिकता से प्रेरित राजनीति की गांधीवादी विरासत के गौरवशाली उत्तराधिकारी और ‘वसुधैव कुटुम्बम’ के अपने सभ्यतागत मूल्यों से शक्ति प्राप्त करने वाले भारत को हर जगह न्याय की रक्षा के लिए खड़ा होना चाहिए.

एक न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था के निर्माण के लिए उसे अपनी नैतिक शक्ति का प्रदर्शन करना होगा. अपनी आर्थिक शक्ति, परमाणु क्षमता और क्षेत्रीय शक्ति के बल पर भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता से समझौता किए बिना या प्रमुख सहयोगियों को अलग किए बिना अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता का पालन करने में सक्षम बनना चाहिए.

इस चुनौतीपूर्ण समय में, हमें अपने सर्वोच्च नेताओं का आह्वान करना होगा कि वे सामूहिक रूप से भारतीय लोकतंत्र को ऊर्जावान बनाएं और अपने नेतृत्व की विशिष्टता को ‘अपनी क्षुद्रता या निराश करने की क्षमता के कारण नहीं’, बल्कि राष्ट्रीय लक्ष्यों और वैश्विक शांति की सेवा में एक विशाल दृष्टिकोण के माध्यम से स्थापित करें.

हमारे नेताओं को ‘विनम्रता के स्वर को सुदृढ़’ करना होगा, राजनीतिक प्रक्रियाओं के केंद्र में गरिमा का समावेश करना होगा, सहयोग की भावना को पुनर्जीवित करना होगा, ‘विखंडन और भय’ के दौर में आशा का प्रतीक बनना होगा और अपनी राजनीति को निरंकुश सत्ता की चाहत से परे नए सिरे से परिभाषित करना होगा.

राष्ट्र के इतिहास के इस मोड़ पर, जब घरेलू और बाहरी चुनौतियां सामाजिक सद्भाव के लिए खतरा बन रही हैं और सत्ता की आवाजाही में विघटनकारी बदलाव सामाजिक संतुलन की परीक्षा ले रहे हैं, हमें ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो मजबूत और करुणामय हो, दृढ़ निश्चयी हो, लेकिन साथ ही मैत्रीपूर्ण भी हो, और निर्णायक रूप से महत्वपूर्ण मुद्दों पर लोकतांत्रिक सहमति बनाने का प्रयास करे.

हम जिन उग्र संघर्षों और अन्यायों का सामना कर रहे हैं, उनसे सबक लेते हुए, आइए हम उन परिवर्तनकर्ताओं के लिए अपनी मोमबत्तियां जलाएं जो अपने जाने के बाद भी हमारी स्मृतियों में नायकों के रूप में जीवित हैं. उनके लिए, निबंधकार और इतिहासकार थॉमस कार्लाइल ने कहा था, ‘इस दुनिया में मनुष्य ने जो कुछ भी हासिल किया है, उसका इतिहास मूलतः उन महापुरुषों का इतिहास है जिन्होंने यहां काम किया है.’

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