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शोभना जैन का ब्लॉग: सेना की बैसाखियों पर कब तक टिकेगी इमरान सरकार?

By शोभना जैन | Updated: December 1, 2019 12:45 IST

लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसद की भूमिका मजबूत हुई है और सेना के सहारे सरकार चलाने की कोशिश करती इमरान सरकार को तगड़ा झटका लगा है

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पाकिस्तान में सेना की बैसाखियों पर टिकी और सेना के जरिये सत्ता पर पकड़ बनाने की नाकाम कोशिश करती इमरान सरकार एक बार फिर सवालों के घेरे में है. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को सेवा विस्तार दिए जाने के मामले में सरकार द्वारा जारी तीन वर्ष के कार्यकाल को निरस्त कर उन्हें न केवल मात्न छह माह का विस्तार दिया है, बल्कि आदेश का सबसे अहम पक्ष यह कि सेना प्रमुख के कार्यकाल और सेवा शर्तो को लेकर संसद द्वारा कानून बनाए जाने की व्यवस्था दी है. 

निश्चित तौर पर उससे पाकिस्तान जैसे देश में जिसमें सरकार पर सेना हावी है, लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसद की भूमिका मजबूत हुई है और सेना के सहारे सरकार चलाने की कोशिश करती इमरान सरकार को तगड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट का यह  फैसला एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है. इसे देश की लड़खड़ाती राजनीतिक व्यवस्था के लिए एक अवसर माना जा रहा है जिसके चलते  राजनीतिक व्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है, संसद की भूमिका और चुने हुए राजनीतिक प्रतिनिधियों के कानूनी फैसलों को सर्वोपरि माना जा सकता है. 

सेना प्रमुख जनरल बाजवा को जिस तरह से इमरान सरकार ने बेहद लचर तरीके से व्यवस्था की धज्जियां उड़ाते हुए तीन वर्ष सेवा विस्तार दिलवाने की कोशिश की, यह सब आंतरिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहे देश में एक बार फिर इमरान सरकार और सेना की सांठगांठ और हालात के बेकाबू होने का ही द्योतक है. जाहिर है उससे आंतरिक नीतियों  को लेकर पहले से ही सवालों के घेरे में आई इमरान सरकार की और भी फजीहत हुई है. 

गत अगस्त से ही इमरान सरकार जनरल बाजवा को तीन वर्ष का सेवा विस्तार दिलवाने पर तुली थी, कानून की ‘सुविधाजनक व्याख्या’ का हवाला दे कर जिस तरह से इमरान सरकार ने जनरल बाजवा का कार्यकाल तीन वर्ष के लिए और बढ़ाने के लिए हथकंडे अपनाए उससे इमरान सरकार और बेनकाब हुई.  

गौरतलब है कि  पाकिस्तान सरकार ने बाजवा का कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ाने की अधिसूचना जारी की थी लेकिन पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तो के साथ पाक सैन्य प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के सेवा विस्तार को सिर्फ 6 महीने की मंजूरी दी है. दरअसल इस निर्णय में बाजवा के कार्यकाल को 6 महीने बढ़ाते हुए अदालत ने रक्षा मंत्नालय और केंद्रीय सरकार को भी नोटिस जारी किया है और सरकार को निर्देश दिया है कि वह सेना प्रमुख के कार्यकाल और सेवा शर्तो को लेकर इस संबंध में जल्दी ही जरूरी कानून लेकर आए. 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बाजवा के कार्यकाल के विस्तार से जुड़ी अधिसूचना पर रोक लगा दी थी. इस रोक के बाद प्रधानमंत्नी इमरान खान ने इसी मंगलवार को कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई थी. पुराने नियम के मुताबिक बाजवा 29 नवंबर को रिटायर हो रहे थे. लेकिन अदालत के  आदेश के बाद अब वह अगले 6 महीने तक इस पद पर बने रह सकते हैं. 

इमरान खान अगर चाहें तो वह विपक्ष को भरोसे में लेकर आगे बढ़ सकते हैं, जिससे देश में राजनीतिक व्यवस्था मजबूत होगी, स्थिरता आएगी और क्षेत्न में भी शांति को बढ़ावा मिलेगा. लेकिन सवाल वही है क्या इमरान सरकार सेना की बैसाखियों का सहारा छोड़ अपने बूते पर खड़ी हो पाएगी, या सेना उन्हें खड़ा होने देगी. पाकिस्तान में लोकतांत्रिक व्यवस्था का मजबूत होना न केवल उसके आंतरिक हालात के लिए बल्किपड़ोसी देशों के साथ संबंधों के लिए भी हितकारी होगा. 

टॅग्स :इमरान खानपाकिस्तान
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