लाइव न्यूज़ :

राजेश बादल का ब्लॉग: नक्शा नहीं, अपनी किस्मत बदले पाकिस्तान

By राजेश बादल | Updated: August 11, 2020 14:16 IST

Open in App
ठळक मुद्देयह भी सच्चाई है कि इस नए कथित नक्शे की वैधता पर पाकिस्तान में ही सवाल उठाए जाने लगे हैं. इस नक्शा-कार्रवाई के पीछे भारत के पड़ोसी चीन का हाथ छिपा नहीं है

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान फिर एक शिगूफे के साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत हैं. नेपाल की तरह वे भी नक्शों की सियासत पर उतर आए हैं. अपने मुल्क की तकदीर बदलने की तदबीर उनके पास नहीं है, इसलिए कागज पर आड़ी-तिरछी रेखाओं के जरिए अवाम को भरमाने की कोशिश कर रहे हैं. अपना घर संभालने में नाकाम रहे इमरान को समूचा कश्मीर चाहिए, गुजरात का जूनागढ़ चाहिए. सर क्रीक का इलाका चाहिए, लद्दाख चाहिए और आंध्र का हैदराबाद भी चाहिए. उनका बस चले तो पूरे हिंदुस्तान को कागजी पैरों से नापकर पाकिस्तान का हिस्सा बना लें. इस संप्रभु देश की हुकूमत अपनी बाल सुलभ हरकतों के जरिए देश का भूगोल बदलने पर आमादा है. एक बार 1971 में भी हुक्मरानों ने पाकिस्तान को अपने देश का नक्शा बदलने पर मजबूर कर दिया था. आधी सदी के बाद एक बार फिर नक्शे में छेड़छाड़ की कोशिश उसे कहां ले जाएगी, यह तो सिर्फ नियति ही जानती है, मगर इस तरह की मासूम मूर्खता ने यकीनन करोड़ों पाकिस्तानियों की चिंता बढ़ा दी होगी.

कम लोग यह जानते हैं कि 1965 में पाकिस्तान के साथ जंग से कुछ महीने पहले भी एक छोटा युद्ध गुजरात के कच्छ इलाके में हुआ था. उसने वहां के निर्जन बियाबान में हमला बोला था. उसके बाद युद्ध विराम हुआ था. चीन ने इस जंग में खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया था. गुजरात में सौराष्ट्र इलाके की जूनागढ़ रियासत के नवाब भारत के बंटवारे के बाद पाकिस्तान में कराची में जाकर बस गए थे. पाकिस्तान ने उनके वंशजों को आज भी जूनागढ़ के नवाब का शाही दर्जा दिया हुआ है. पाकिस्तानी हुकूमत उन्हें हर महीने बाकायदा भत्ता देती है. नवाब के ये वंशज जूनागढ़ का निर्वासित प्रधानमंत्री भी नियुक्त करते हैं. पाकिस्तान की यह बेतुकी हरकत 73 साल से मुसलसल जारी है.

पूछा जा सकता है कि इमरान खान नक्शा जारी करने या कश्मीर मार्ग का नाम बदलकर श्रीनगर मार्ग करने जैसे सनक भरे फैसले इन दिनों क्यों ले रहे हैं. चार दिन पहले अपने कब्जे वाले कश्मीर की असेंबली में उन्होंने कश्मीरियों को फिर आजादी का सब्जबाग दिखाया. असेंबली में तकरीर से पहले उन्होंने पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद में रैली भी निकाली थी. यह रैली पूरी तरह फ्लॉप रही थी. इसमें शामिल होने वाले लोग इमरान खान की पार्टी की ओर से सैकड़ों वाहनों में ढोकर ले जाए गए थे. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इससे बेहद बौखलाए हुए थे. पाक प्रधानमंत्री ने दावा किया कि विदेशी मंचों पर उन्होंने इतने जोरदार तरीके से कश्मीर से 370 हटाने का विरोध किया कि भारत के मंसूबे पूरे नहीं हो सके. पूछा जा सकता है कि वे कौन से मंसूबों की बात कर रहे थे. इसी असेंबली में विपक्षी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ भी मौजूद थे. लेकिन उन्होंने इमरान खान के बड़बोलेपन पर ही सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने कहा कि लंबी-लंबी छोड़ने से कुछ हासिल नहीं होगा. काम करके दिखाने की जरूरत है. गौर तलब है कि इन दिनों फौज का हाथ शाहबाज शरीफ की पीठ पर है और इमरान खान की असफलताओं ने उन्हें देश में ही अलोकप्रिय बना दिया है. पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली दूर करने में वे विफल रहे हैं. बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और कारोबारी मोर्चे पर घाटा ही घाटा आज के पाकिस्तान की तस्वीर है. खबरें तो यहां तक हैं कि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को इमरान खान से कहीं अधिक अधिकार और आजादी मिली हुई है.

यह भी सच्चाई है कि इस नए कथित नक्शे की वैधता पर पाकिस्तान में ही सवाल उठाए जाने लगे हैं. आनन-फानन में जिस तरह रातोंरात नक्शे को बदला गया और उसे कैबिनेट की मंजूरी दी गई, उससे पत्रकार, वकील और बुद्धिजीवी शंका कर रहे हैं कि यह चीन के दबाव में उठाया गया कदम है. नक्शे में कोई भी परिवर्तन संसद में चर्चा के बाद ही किया जा सकता है. पाक बुद्धिजीवी मानते हैं कि नेपाल की तर्ज पर अब चीन पाकिस्तान को अपने उपनिवेश की तरह आदेश देने लगा है. चीन के बैंक और करंसी पाकिस्तान का हिस्सा बन गई है. वहां के रक्षा, विदेश और उद्योग मंत्रलयों में चीनी दखल बढ़ता जा रहा है. यह मुल्क के भविष्य के लिए खतरनाक है. लेकिन उसके खिलाफ कोई आवाज उठाने की हिम्मत नहीं कर रहा है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून के पूर्व संपादक मोहम्मद जियाउद्दीन ने अपने स्तंभ में एक नई बात उठाई है. वे पूछते हैं कि क्या पाकिस्तान का वर्तमान संविधान नए नक्शे की मंजूरी देता है जो केवल चार प्रांतों को ही देश का हिस्सा मानता है. क्या सरकार ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और गिलगित- बाल्टिस्तान का पाकिस्तान में विलय कर दिया है ? यदि यह सच है तो इसके लिए संविधान में कोई संशोधन क्यों नहीं किया गया ?

इस नक्शा-कार्रवाई के पीछे भारत के पड़ोसी चीन का हाथ छिपा नहीं है. पहले वह नेपाल के साथ भी ऐसा ही कर चुका है. सीधी जंग से चीन बच रहा है लेकिन पड़ोसियों की सहायता से उसका भारत पर मनोवैज्ञानिक आक्रमण शुरू हो गया है. पाकिस्तान के नए नक्शे को कहीं मान्यता मिले अथवा नहीं, चीन के लिए तो यह सहूलियत भरा कदम है. हिंदुस्तान को अब इस तरह के आक्रमण का उत्तर इसी अंदाज में देना आवश्यक है.

टॅग्स :पाकिस्तान
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वतोशाखाना भ्रष्टाचार मामलाः पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पत्नी बुशरा बीबी को 17-17 साल के कारावास की सजा, एक-एक करोड़ रुपये जुर्माना

भारतBihar: नीतीश कुमार के हिजाब विवाद को लेकर मिली पाकिस्तान से धमकी, महिला डॉक्टर नुसरत परवीन ने छोड़ दिया बिहार

विश्वऔकात से ज्यादा उछल रहा बांग्लादेश

क्रिकेटIND vs PAK, U19 Asia Cup 2025: भारत ने पाकिस्तान को 90 रनों से हराया, आरोन जॉर्ज ने बल्ले से तो दीपेश- कनिष्क ने गेंद से किया कमाल

क्रिकेटIND Vs PAK, U19 Asia Cup 2025: टॉस के दौरान आयुष म्हात्रे ने पाकिस्तान के कप्तान फरहान यूसुफ से हाथ मिलाने से किया इनकार

विश्व अधिक खबरें

विश्वBangladesh: हिंदू युवक की हत्या मामले में बांग्लादेशी सरकार का एक्शन, 10 आरोपी गिरफ्तार

विश्वबांग्लादेश में उस्मान हादी की हत्या के बाद हिजाब न पहनने वाली महिलाओं पर हमलों से गुस्सा भड़का

विश्वVIDEO: बांग्लादेश के ढाका में उस्मान हादी के जनाज़े में भारी हुजूम, मुहम्मद यूनुस भी मौजूद

विश्वTaiwan: ताइपे में अज्ञात ने चाकू से हमला कर 3 लोगों की ली जान, संदिग्ध की इमारत से गिरकर मौत

विश्वBangladesh Violence: ढाका में आज युवा नेता उस्मान हादी को दफनाया जाएगा, अंतरिम सरकार ने लोगों से की शांति की अपील