एन. के. सिंह का ब्लॉग: इलेक्ट्रॉनिक टेक्नोलॉजी से हम कितने सुरक्षित?
By एनके सिंह | Updated: November 2, 2019 11:41 IST2019-11-02T11:41:06+5:302019-11-02T11:41:06+5:30
व्हाट्सएप्प के निदेशक ने कोर्ट को यह भी बताया कि भारत के अनेक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्नकार भी इस खुफिया कंपनी की जद में थे. डायरेक्टर के बयान के अनुसार भारतीय लोगों के बारे में ये जानकारियां इस साल मई माह के पहले तक के लगभग दो सप्ताह के काल में जुटाई गईं.

एन. के. सिंह का ब्लॉग: इलेक्ट्रॉनिक टेक्नोलॉजी से हम कितने सुरक्षित?
अमेरिका के सेन फ्रांसिस्को की अदालत में व्हाट्सएप्प ग्रुप के डायरेक्टर ने एक बेहद संगीन रहस्योद्घाटन किया. अधिकारी कार्ल वूग के अनुसार एक इजराइली जासूसी कंपनी एनएसओ ने अपने देश के ही एक सॉफ्टवेयर-पेगासस-का इस्तेमाल करके दुनिया भर के 1400 पत्नकारों और समाजसेवियों की, जिनमें अनेक लोग भारत के भी हैं, एक-एक गतिविधि ‘ट्रैक’ की और उनके व्हाट्सएप्प सहित सभी संदेशों को हासिल किया. एनएसओ का अपने बचाव में कहना है कि वह ये जानकारियां केवल वैध सरकारी एजेंसियों को ही बेचती है. यानी दुनिया के देशों में सरकारों या उनकी एजेंसियों ने लक्षित लोगों के बारे में खुफिया जानकारी लेने के लिए इस कंपनी से समझौता किया होगा.
व्हाट्सएप्प के निदेशक ने कोर्ट को यह भी बताया कि भारत के अनेक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्नकार भी इस खुफिया कंपनी की जद में थे. डायरेक्टर के बयान के अनुसार भारतीय लोगों के बारे में ये जानकारियां इस साल मई माह के पहले तक के लगभग दो सप्ताह के काल में जुटाई गईं. मई माह में देश का आम-चुनाव खत्म हुआ था. अधिकारी ने उन व्यक्तियों के, जिनके बारे में आंकड़े जुटाए गए, नाम बताने से इनकार किया. लेकिन अमेरिका के कुछ अखबारों ने ये नाम उजागर किए.
एनएसओ नामक इस खुफिया कंपनी को जैसे ही पता चला कि कनाडा की किसी सॉफ्टवेयर सुरक्षा कंपनी को उसकी गतिविधियों और तरीकों की जानकारी हो चुकी है तो उसने कई देश से अपने समझौते खत्म कर दिए और अब वह कह रही है कि उसने इस साल के सितंबर माह से मानवाधिकार नीति अपना ली है. भारत की केंद्र सरकार ने अपने को दोष मुक्त करने के लिए व्हाट्सएप्प से स्पष्टीकरण मांगा है.
यह सॉफ्टवेयर इतना शक्तिशाली है कि लक्षित व्यक्ति के फोन को यह निर्देश भी दे सकता है कि कैमरा ऑन करे, वीडियो रिकॉर्ड करे और उसे बगैर फोन में अंकित किए ऑपरेटर को भेज दे. इसका खुलासा तब हुआ जब सितंबर, 2018 में कनाडा की एक साइबर सिक्योरिटी कंपनी ने पाया कि इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे दुनिया के 45 देशों की 36 में से 33 कंपनियां जिनमें भारत भी है, इसका शिकार हो रही हैं. ऐसे पांच ऑपरेटर्स जो एशिया में यह सब कर रहे हैं उनमें से एक संगठन भारत में राजनीतिक थीम वाले डोमेन का इस्तेमाल कर रहा है.
यह राज तब खुला जब पत्नकार खशोगी की हत्या के बाद अरब के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को यह शक हुआ कि वे इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की जद में हैं और उन्होंने कनाडा की एक साइबर सिक्योरिटी कंपनी से बात की. यह सब गोरखधंधा जून, 2017 से सितंबर, 2018 के बीच के काल का है. सऊदी अरब के नागरिक खशोगी की हत्या इस्तांबुल में सऊदी दूतावास में हुई थी.
आरोप है कि सरकार के खिलाफ बोलने वाले खशोगी को सरकार के सीक्रेट एजेंटों ने खत्म कर दिया. इस राज के उजागर होने के बाद पेगासस सेवाएं बेचने वाली इजराइली कंपनी ने सऊदी अरब सरकार से अपना कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया. भारत के जिन पत्नकारों के तथ्य हासिल किए गए हैं, कहा जाता है कि उनमें एक रक्षा विषय का जानकार है जबकि एक किसी अखबार का संपादक और कुछ छत्तीसगढ़ के मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. भाजपा सरकार की मुसीबत यह है कि इस कंपनी का अपने बचाव में हर बार कहना कि वह सिर्फ वैध सरकारी एजेंसियों को ही जानकारी देती है, सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है.
याद करें जांबाज अभिनंदन पाकिस्तान की सीमा में इसलिए घुस गए कि पाकिस्तानी सेना ने भारत-स्थित कंट्रोल रूम और उनके बीच के संवाद को ब्लॉक कर दिया था और इस पायलट को वापस लौटने के संदेश मिलना बंद हो गए थे. जो इजराइली सॉफ्टवेयर पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की गतिविधियां जान सकता है, उस तकनीक का इस्तेमाल सरकार अपने इलेक्ट्रॉनिक रक्षा उपकरणों को महफूज रखने या मध्यम वर्ग के बैंक खाते बचाने में भी कर सकती है. इससे पहले कि मध्यम वर्ग का विश्वास इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से उठने लगे, सरकार को एक ‘हैकिंग-मुक्त’ व्यवस्था देनी होगी. बाइक से मिसाइल तक इस टेक्नोलॉजी बिना आज नहीं चल सकते. ट्रेन-परिचालन में भी अब इस तकनीकी का भरपूर इस्तेमाल हो रहा है. लाखों करोड़ों का पूरा का पूरा शेयरबाजार भी इसी तकनीकी के भरोसे चल रहा है. जहां एक ओर मध्यम वर्ग तक को, कम बैंक ब्याज दर दे कर, शेयर में पैसे लगाने के लिए मजबूर किया जा रहा है, वहीं किसी रिटायर्ड क्लर्क की जिंदगी भर की कमाई कोई हैकर एक झटके में गायब कर सकता है. क्या सरकार इस हकीकत से दो-चार हो साइबर सिक्योरिटी सुनिश्चित करेगी?