लाइव न्यूज़ :

संपादकीय: मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना...

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 17, 2019 2:05 PM

सबसे पड़ोसी देश ऑस्ट्रेलिया में फैल रही नस्लीय हिंसा और कट्टरपंथ ने अब न्यूजीलैंड का रुख किया है। यह कहना कष्टप्रद है लेकिन अमेरिका में हुए 9/11 के आतंकी हमलों के बाद से पश्चिमी देशों समेत दुनियाभर में न सिर्फ एक समुदाय विशेष को आतंकवाद से जोड़कर देखा जाने लगा है, बल्कि हर पगड़ी-दाढ़ी और गैर-श्वेत के खिलाफ हिंसक घटनाओं की चिंगारी को भड़का दिया है। 

Open in App

क्राइस्टचर्च की घटना से पूरा विश्व सकते में है। दुनिया इसलिए भी आहत है कि यह घटना न्यूजीलैंड में हुई, जो बेहद शांतिप्रिय समाज वाला राष्ट्र माना जाता है। महज 45 से 50 लाख आबादी वाले इस छोटे से देश के अब तक के इतिहास में यह पहला आतंकी हमला है और दिली प्रार्थना है कि यह आखिरी भी हो। हालांकि मजहबी ठिकानों पर हुआ यह पहला आतंकी हमला नहीं है, लेकिन अंधाधुंध गोलियों की आवाज से क्राइस्टचर्च की अल नूर मस्जिद और लिनवुड मस्जिद की भंग हुई शांति न्यूजीलैंड जैसे उदार देश के लिए खतरे की घंटी है, जो संभवत: इस ओर इशारा करती है कि अब सब कुछ ठीक नहीं है। 

सबसे पड़ोसी देश ऑस्ट्रेलिया में फैल रही नस्लीय हिंसा और कट्टरपंथ ने अब न्यूजीलैंड का रुख किया है। यह कहना कष्टप्रद है लेकिन अमेरिका में हुए 9/11 के आतंकी हमलों के बाद से पश्चिमी देशों समेत दुनियाभर में न सिर्फ एक समुदाय विशेष को आतंकवाद से जोड़कर देखा जाने लगा है, बल्कि हर पगड़ी-दाढ़ी और गैर-श्वेत के खिलाफ हिंसक घटनाओं की चिंगारी को भड़का दिया है। 

क्राइस्टचर्च में जो हुआ वह भी इन्हीं हमलों की एक कड़ी है। क्योंकि अतिवाद और कट्टरपंथ से ग्रसित 28 वर्षीय युवक ने धर्म विशेष के लोगों को उन्हीं की इबादतगाह में घुसकर बेरहमी से सिर्फ निशाना ही नहीं बनाया, बल्कि पूरी वारदात को कैमरे में कैद भी किया और सोशल मीडिया पर लाइव दिखाया। इस एक घटना ने सिर्फ न्यूजीलैंडवासियों को ही नहीं दहलाया, बल्कि वैश्विक समाज और उनके नेताओं को एक धरातल पर लाकर खड़ा कर दिया। क्योंकि आतंकवाद चाहे नस्लीय-जातीय मुद्दे को लेकर हो या धार्मिक कट्टरता को लेकर, उसे किसी भी रूप में जायज नहीं ठहराया जा सकता। लेकिन आतंकवाद की ही छाया में पनप रहा नस्लीय अलगाववाद अब एक नई चुनौती का रूप ले रहा है। भीतर पनप रहा कट्टरपंथ हमारी विचारशक्ति को कुंद कर रहा है। 

हमें समझना चाहिए कि किसी भी संप्रदाय के आराध्य की इबादत, उनका स्मरण या प्रार्थना लोगों का बेहद निजी मसला है। इन्हें किसी पर न तो थोपा जा सकता है और न ही किसी कट्टरपंथ से जोड़ा जा सकता है। इसके अतिरिक्त हमें इस अकाटय़ तथ्य पर अडिग रहने की जरूरत है कि दुनिया का कोई भी मजहब हिंसाचार या बैर भावना का संदेश नहीं देता।

टॅग्स :न्यूजीलैंड शूटिंग (न्यूजीलैंड मस्जिद में गोलीबारी)
Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटInd vs NZ: लगभग 1 साल बाद भी मस्जिद पर हुए हमले से नहीं उबर पाया है क्राइस्टचर्च, जहां खेला जाएगा भारत-न्यूजीलैंड के बीच दूसरा टेस्ट मैच

विश्वन्यूज़ीलैंड हमले के बाद मुस्लिम देशों ने 'इस्लामोफोबिया' के खिलाफ कदम उठाने का किया आह्वान

विश्वन्यूजीलैंड मस्जिद गोलीबारी से उपजे सवाल, क्या पश्चिम में बढ़ रहा है दक्षिणपंथी आतंकवाद?

विश्वन्यूजीलैंड क्राइस्टचर्च हमले की 1.5 मिलियन वीडियो फेसबुक ने किए डिलीट, इतने मिलियन यूर्जस को किया ब्लॉक

ज़रा हटकेऑस्ट्रेलियन सांसद ने दिया मुस्लिमों को लेकर विवादित बयान, विरोध करने उतरे नाबालिग लड़के का वीडियो हुआ वायरल

विश्व अधिक खबरें

विश्वमिलिए भारतीय पायलट कैप्टन गोपीचंद थोटाकुरा से, जो 19 मई को अंतरिक्ष के लिए भरेंगे उड़ान

विश्वIsrael–Hamas war: शनि लौक का शव मिला, हत्या के बाद अर्धनग्न अवस्था में सड़कों पर घसीटा गया था, गाजा से दो अन्य बंधकों के शव भी बरामद

विश्वLok Sabha Elections 2024: 96 करोड़ 90 लाख लोग वोट देंगे, दुनिया को भारतीय लोकतंत्र से सीखना चाहिए, व्हाइट हाउस सुरक्षा संचार सलाहकार जॉन किर्बी ने तारीफ में बांधे पुल

विश्वRussia-Ukraine War: खार्किव पर रूसी सेना ने पकड़ मजबूत की, 200 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा किया

विश्वपरमाणु युद्ध हुआ तो दुनिया में सिर्फ दो देशों में ही जीवन बचेगा, लगभग 5 अरब लोग मारे जाएंगे, होंगे ये भयावह प्रभाव, शोध में आया सामने