न्यूजीलैंड मस्जिद गोलीबारी से उपजे सवाल, क्या पश्चिम में बढ़ रहा है दक्षिणपंथी आतंकवाद?
By निखिल वर्मा | Published: March 20, 2019 02:57 PM2019-03-20T14:57:59+5:302019-03-20T14:57:59+5:30
प्रेशर गुप्र एंटी डेमिफेशन लीग के अनुसार, 2009 से 2018 के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका में 73 फीसदी "घरेलू चरमपंथी-संबंधी हत्याओं" के दक्षिणपंथ उग्रवाद जिम्मेदार है।
न्यूजीलैंड में क्राइस्टचर्च की मस्जिद में शुक्रवार (15 मार्च) एक बंदूकधारी की गोलीबारी में 50 लोगों की मौत हो गई जबकि 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। 28 साल के ऑस्ट्रेलियाई हमलावर ब्रेंटन टैरेंट ने 'द ग्रेट रिप्लेसमेंट' नाम से लिखे मैनिफेस्टो में लिखा, यूरोपीय भूमि पर गैर श्वेत लोगों के आने से वह गुस्से में था। पिछले छह महीने इस तरह की दूसरी घटना हुई है। अक्टूबर 2018 में अमेरिका के पिट्सबर्ग में यहूदियों के एक प्रार्थना स्थल पर हुई गोलीबारी में कम से कम 11 लोग मारे गए थे।
क्या पश्चिम में दक्षिणपंथी आतंकवाद बढ़ रहा है। इकॉनोमिस्ट के अनुसार, हिंसा के सबसे चरम रूप, जैसे हत्याएं को पुलिस द्वारा रिपोर्ट की जाती है। अपराधियों के इरादे हमेशा स्पष्ट नहीं होते हैं और आतंकवाद को परिभाषित करना कठिन है। हर नस्लवादी हत्या का उद्देश्य राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भय फैलाना नहीं है।
पश्चिमी देशों में श्वेत राष्ट्रवादी या इस्लामी आतंकवाद में ज्यादा घातक कौन रहा है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि प्रत्येक घटना को कैसे वर्गीकृत किया जाता है। प्रेशर गुप्र एंटी डेमिफेशन लीग के अनुसार, 2009 से 2018 के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका में 73 फीसदी "घरेलू चरमपंथी-संबंधी हत्याओं" के दक्षिणपंथ उग्रवाद जिम्मेदार है। इसी अवधि में 23 फीसदी हत्याओं के लिए इस्लामी उग्रवाद जिम्मेदार था। इसके विपरीत, मैरीलैंड विश्वविद्यालय द्वारा संकलित स्टडी ऑफ़ टेररिज़्म एंड रेस्पॉन्स टू टेररिज़्म (START)के डेटाबेस में कहा गया है कि जिहादियों ने उस अवधि के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग दो बार लगभग आतंकी हत्याएं कीं, जैसा कि दक्षिणपंथी लोगों ने किया था।
क्राइस्टचर्च हमलावर ने इंटरनेट पर सफेद वर्चस्ववादी कोनों को बार-बार देखा। कई आतंकवादी, चाहे वह जिहादी हों या गोरे राष्ट्रवादी, इस तरह से प्रेरणा प्राप्त करते हैं, और दूसरों के साथ संपर्क बनाते हैं। साथ ही अपने विचार साझा करते हैं। उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी यूरोप और ओशिनिया में आतंकवादी हमलों पर START डेटा इस सिद्धांत का समर्थन करते हुए प्रतीत होता है कि सोशल मीडिया चरमपंथियों को हिंसक चरमपंथियों में बदलने में मदद कर सकता है। 2000 के दशक के शुरुआती दौर में एक खामोशी के बाद दक्षिणपंथी आतंकवादी हमलों का एक सिलसिला शुरू हुआ और मीडिया के जरिए इसने लोकप्रियता हासिल करना शुरू कर दिया।
आम तौर पर मीडिया जिहादी हमलों को दक्षिणपंथी हमलों की तुलना में ज्यादा दिखाता है। अलबामा विश्वविद्यालय के एरिन किर्न्स के एक हालिया अध्ययन ने 2006-15 से अमेरिका में आतंकवादी हमलों के मीडिया कवरेज का विश्लेषण किया। किर्न्स ने पाया कि मुसलमानों द्वारा किए गए आतंकवादी हमलों को दूसरे समूहों द्वारा किए गए की तुलना में 36 फीसदी ज्यादा कवरेज मिला है।